नोटबंदी के बाद लोगों के जीवन और व्यवसायों में यह परेशानी शुरू हो गई थी और तभी टियर ।। और ।।। के शहरों के बाजार में एक स्पष्ट अंतर दिखाई देने लगा जिसे बहुत समय से ब्रांडों ने अनदेखा कर रखा था।
डिजिटल पेमेंट करने वाले दिग्गज पेटीएम ने हाल ही में कहा है कि उनके 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं का आधार छोटे शहरों से आता है। छोटे शहर निःसंदेह तेजी से बड़े बाजार के सेक्टर के रूप में उभर कर आ रहे हैं जिस कारण इन्हें भारत के तेजी से व्यवसाय विकास की जगहों के तौर पर देखा जाने लगा है।
ज्यादा इच्छुक, जानकार और आत्मविश्वासी ग्राहक टियर।। और ।।। के शहरों के बाजार में मांग पैदा कर रहे हैं जिन्हें संतुष्ट करने के लिए ब्रांड भरपूर प्रयास भी कर रहे हैं। फ्रैंचाइज़र उनकी इस बढ़ी मांग को पूरा करने में ज्यादा खुश भी हो रहे हैं।
यहां पर कुछ ऐसे कारण बताए जा रहे हैं जिससे ब्रांड छोटे शहरों में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहे हैं:
आसानी से मिलने वाली जगह:
छोटे शहरों को आपस में जुड़े इलाकों में बांटा गया है और यहां पर सभी के लिए बाजार एक है। सामाजिक मेल-मिलाप या समारोह आदि में मिलने के कारण छोटे शहरों में विज्ञापनों की तुलना में आपसी बातचीत से किया गया प्रचार बहुत तेजी से फैलता है। बड़े शहरों के विपरीत छोटे शहरों में बाजार ग्राहक के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं।
महंगे रियल एस्टेट की तुलना में किराया कम:
बड़े शहरों में आसमान छूता किराया एक ऐसा कारण है जिसकी वजह से ब्रांड अपना ध्यान टियर।। और ।।। के शहरों पर केंद्रित कर रहे हैं। बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में जगह कम कीमतों पर मिल जाती हैं जो ब्रांडों को अपने शहर में आकर्षित कर उन्हें निमंत्रण दे रही हैं।
बेरोजगार युवाओं के लिए अवसर:
बेरोजगारी भारत की एक अन्य परेशानी है जिसका सामना हम वर्तमान में कर रहे हैं। 'मेक इन इंडिया' ने वर्तमान की जरूरत को पूरा करते हुए खुद को साबित किया है। यही कारण है कि जहां पर उद्यमी स्टेज का केंद्र बन रहे हैं वहीं भावी व्यवसायी भी उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं।
भावी व्यवसायी अपना व्यवसाय शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे फ्रैंचाइज़िंग को तेजी से विकास करने के लिए सुरक्षित अवसर मानते हैं और ये छोटे शहरों में बेरोजगारी की समस्या खत्म कर रहे हैं।
ज्यादा रिटर्न ऑफ इंटरेस्ट की आशा:
छोटे शहरों के पास संभावित ग्राहक हैं और फ्रैंचाइज़ी बाजार को अच्छे से जानते हैं इसलिए उन्होंने अपेक्षित ब्रांड का चुनाव किया है और इसका परिणाम रिटर्न ऑफ इंटरेस्ट पर साफ दिखाई पड़ता है। साथ ही, मॉल संस्कृति के पेश होने से ब्रांड को ऐसी जगह मिल गई है जहां पर वे ग्राहकों की नजर में आएं। इससे उन्हें बहुत ही मदद मिली है। छोटे शहर ब्रांडों के साथ-साथ मॉल प्रथा का स्वागत करने में बहुत ही जोश और उत्साह दिखा रहे हैं।