व्यवसाय विचार

बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर बात करते अमरीश चंद्रा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jun 20, 2019 - 2 min read
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फ्रेंचाइज़ इंडिया के एक साक्षात्कार ने अमरीश चंद्रा, गु्रप प्रेसीडेंट, जेम्स एजुकेशन ने अपने विचारों को साझा किया है कि कितना आवश्यक है ब्रांड के आधारभूत बातों को बनाए रखकर ग्लोबल स्कूलों को अपने पाठ्यक्रम को अलग या अद्भुत बनाना।

वर्तमान में भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और एक ऐसा देश जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भूख है। गुणवत्तापूर्ण छात्रों को नामांकन के लिए शिक्षा व्यवसाय हमेशा नए अवसरों की खोज में रहता है।  बहुत से देश जैसे यूनाइटेड किंगडम और यूएसए ने भारत में पहले से ही अपने नेटवर्क का विस्तार शुरू कर दिया है ब्रांच खोल कर और सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान कर।

भारतीय स्कूलों के बाजार का बाहर होते विस्तार को देखते हुए अमरीश चंद्रा, गु्रप प्रेसीडेंट, जैम्स एजुकेशन ने कहा, “वापस आते अप्रवासी एक महतवपूर्ण पहलू है कि निवेशक, शिक्षक और छात्र फिर से भारत वापस आ रहें है अपनी स्कूली शिक्षा के लिए और यह भारत को दुनिया का अगला बौद्धिक राजधानी बना रहा है।“

अनदेखा नहीं कर सकते

भारतीय पाठ्यक्रम में स्कूल फिर चाहे वे विदेशी हो या फिर भारत में छात्र उच्च सर्पोटिव सिस्टम से लाभ पाते है जोकि उन्हें अपने व्यक्तिगत क्षमता तक पूरा पहुंचने के लिए प्रेरित करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह तेजी से पहचान बना रहा है और दुनियाभर में सम्मान पा रहा है।

भारतीय स्कूलों को भारत से बाहर ले जाने की बात पर अमरीश ने कहा, “हां, बाहर में भारतीय स्कूलों की संख्या में वृद्धि हो रही हैं और सभी स्कूल जो बाहर खोले गए है वे मुख्य रूप से वहां पर रह रहीं भारतीय जनसंख्या के लिए है। आपको वास्तव में ऐसे स्कूल बहुत नहीं मिलेंगे।“ इसके कारण के बारें में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, “हमारें पास मजबूत स्कूलिंग सिस्टम है मगर हमें मूल्यांकन और सिस्टम को मूल्यांकन प्रणाली को और अधिक ग्लोबल करने की आवश्यकता है।“

सहयोगात्मक संरचना

मेलजोल या अनुबंध छात्र को यह जानने की क्षमता देता है जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि विदेशी स्कूलों में उच्च शिक्षा कैसे हो सकती है। मगर यह व्यवस्थित तरीके से होना चाहिए और यहीं भारत में नहीं हो रहा है। ग्रुप प्रेसीडेंट, जेम्स एजुकेशन ने कहा, “हमारें मुंबई, दिल्ली और पूना के स्कूलों के साथ कहीं-कहीं पर संबंध है। यहां पर एक व्यवस्थित दृष्टिकोण होना चाहिए कि आप कैसे इसे कर रहें हैं।“

हां कहें नियमों और नियामावलियों को

कितना आवश्यक है ब्रांड के आधारभूत बातों को बनाए रखकर ग्लोबल स्कूलों को अपने पाठ्यक्रम को अलग या अद्भुत बनाना?

वैसे तो भारतीय पाठ्यक्रम सबसे ज्यादा बात किया जाने वाला व्यवस्थित नियम के साथ वाला पाठ्यक्रम है जोकि छात्र के लिए एक आदेश या जनादेश है।

अमरीश चंद्रा का विचार है, “यहां पर एक रेगुलेटरी पहलू को होना चाहिए जो ऐसे सामान्य कार्यक्रम की अनुमति दे जो स्कूल और यूनिवर्सिटी दोनों द्वारा मिलकर आयोजित किए जाएं और यह उन्हें बाहर के समर स्कूल प्रोग्राम के लिए क्रेडिट देते हैं।“

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