भारतीय अर्थव्यवस्था के अगले दो वर्षों तक दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने का अनुमान है। 2022-23 में यह नौ प्रतिशत और 2023-24 में 7.1 प्रतिशत दर से आगे बढ़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक जीडीपी की वृद्धि अनुमान पर बताया था, वैश्विक विकास दर 2022-23 में 4.4 प्रतिशत और 2023-24 में 3.8 प्रतिशत रह सकती है।
उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा कि इंटरनेशनल इकोनॉमिक रेसिलिएंस (आईईआर) में, भारतीय अर्थव्यवस्था 2019 में छहवें स्थान पर था। 2020 में चौथे स्थान पर, 2021 में तीसरे और 2022 में दूसरे स्थान पर पहुंच गई। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट प्रदीप मुल्तानी ने कहा महामारी के कारण डिमांड और सप्लाई में भारी बाधा के बावजूद भारत टॉप 10 मे रहा हैं और इसने अपनी अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार दिखाया है।
भारत की सप्लाई ने इसके कारकों की गतिशीलता में सुधार करने में मदद की। पीएचडीसीसीआई द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 2 वर्षों के दौरान सरकार ने संरचनात्मक सुधारों के कारण आर्थिक गतिविधियों की गति को मजबूत बनाया है। भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सबसे तेज दर से बढ़ने का अनुमान है।
प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि अप्रैल 2022 डब्लयूईओ के आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, 2022 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर और व्यापारिक निर्यात वृद्धि दर क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 7.0 प्रतिशत पर सबसे मजबूत होने का अनुमान है। उन्होने कहा कि भारतीय सप्लाई चेन को और ज्यादा विविधतापूर्ण बनाने के लिए एमएसएमई, कृषि और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों को और ज्यादा प्रोत्साहन मिला है। भारत की आर्थिक सुधार को साकार करने और इसके इकोनॉमिक रेसिलिएंस को और मजबूत बनाने से अभूतपूर्व समय के लिए और तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति देगा।
उन्होंने कहा कि आगे बढ़ते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक विकास संभावनाओं पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है जो हमेशा विकसित होने वाले अवसरों का लाभ उठाने में मदद करेगी। वैसे यह सुझाव दिया जाता है कि भारत अपनी आर्थिक नीतियों को इस तरह से बनाए ताकि मजबूत आंतरिक परिवर्तन के बावजूद वह बाहरी आर्थिक वातावरण का लाभ उठाने में मदद मिल सके।
प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि इसके अलावा, इनोवेशन को प्राथमिकता देने पर और भी ज्यादा जोर देना होगा। कोविड के बाद आर्थिक विकास को अनलॉक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। व्यापार करने में आसानी होगी। सुधार करने से व्यापार में विश्वास को बढ़ाने में मदद मिलेगी, भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू और विदेशी निवेश दोनों को बड़ी संख्या में मदद मिलेगी।