भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने "भारत के लिए ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप" रिपोर्ट जारी की। आरएंडडी रोडमैप (अनुसंधान और विकास योजना) को वैश्विक ऑटोमोटिव क्षेत्र की गहन जांच और भविष्य की उन्नत तकनीकी जरूरतों को पहचानने के बाद तैयार किया गया है। इसका मतलब है कि इस योजना को बनाने से पहले, विश्वभर के ऑटोमोटिव क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन किया गया और आने वाले समय में किन-किन नई तकनीकों की जरूरत होगी, यह समझा गया।
यह परियोजनाओं को चार मुख्य क्षेत्रों में बाँटता है: एनर्जी स्टोरेज सेल, ईवी एग्रीगेट्स, मैटीरियल और रिसाइकिल, चार्जिंग और ईंधन भरना। इसके साथ ही, अगले पांच सालों में आत्मनिर्भर बनकर दुनिया में अग्रणी बनने का तरीका बताता है।
प्रो. सूद ने बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी करना और 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनना है, ताकि 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (यानि कार्बन न्यूट्रल) प्राप्त किया जा सके। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग, देश में ही एनर्जी स्टोरेज सिस्टम का निर्माण, और चार्जिंग के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ई-मोबिलिटी वैल्यू चेन आयात पर बहुत अधिक निर्भर करती है। प्रो. सूद ने ई-मोबिलिटी वैल्यू चेन के भीतर आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने और ऑटोमोटिव क्षेत्र में घरेलू अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पीएसए कार्यालय की सलाहकार डॉ. प्रीति बंजल ने ऑटोमोटिव क्षेत्र में एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम बनाने की दिशा में कार्यालय के महत्वपूर्ण प्रयासों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अगस्त 2022 में पीएसए कार्यालय ने 'ई-मोबिलिटी पर परामर्श समूह (सीजीईएम)' का गठन किया था, जो भारत में प्रचलित जीवाश्म ईंधन आधारित परिवहन क्षेत्र से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर तेजी से बढ़ने के लिए तकनीकी रोडमैप, अध्ययन, दस्तावेज तैयार करने के लिए सरकार, शिक्षाविदों और उद्योगों के विशेषज्ञों का एक पैनल है। रोडमैप दस्तावेज़ एआरएआई द्वारा सीजीईएम के समग्र मार्गदर्शन में तैयार किया गया है।
आईआईटी मद्रास में पीएसए फेलो और प्रैक्टिस के प्रोफेसर प्रो. कार्तिक आत्मनाथन ने भारत के लिए ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप का सारांश प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे डीएसटी श्वेत पत्र ने वर्तमान आयात-निर्भर स्थिति से बाहर निकलने के लिए आवश्यक कार्रवाइयों को सफलतापूर्वक पहचाना है और कैसे यह रोडमैप भविष्य में ऐसी ही स्थिति से बचने में मदद करता है क्योंकि समय के साथ तकनीक विकसित होती रहती है। प्रो. आत्मनाथन ने संकेत दिया कि विशेषज्ञों ने प्राथमिक उद्देश्य के रूप में प्रौद्योगिकी परिनियोजन और बाजार नेतृत्व दोनों पर शोध परियोजनाओं की पहचान की है। यह अध्ययन उन प्रभावों को जांचने के लिए किया गया है जो राष्ट्रीय ऊर्जा स्वतंत्रता की प्राप्ति से हो सकते हैं। इसके अंतर्गत, यह देखा जाता है कि निर्धारित समयसीमा के अंदर यह कार्यान्वयन संभव है या नहीं, बाजार में क्या प्रभुत्व है, और क्या मौजूदा बुनियादी ढांचे और संसाधनों का लाभ उठाया जा सकता है।
ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप भविष्य की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक रास्ता तैयार करता है, जिसमें महत्वपूर्ण शोध पहलों की रूपरेखा दी गई है जो भारत को अगले पांच से सात वर्षों में वैश्विक मूल्य और सप्लाई चेन में अग्रणी के रूप में स्थापित करेगी। इस रोडमैप का उद्देश्य वर्तमान अनुसंधान और विकास ढांचे में महत्वपूर्ण गैप को भरना है। जबकि कई पहचानी गई परियोजनाओं को अभी वैश्विक सफलता हासिल करनी है, कुछ क्षेत्र पहले से ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हैं, जहां भारत को अभी तैयारी शुरू करनी है। इन परियोजनाओं को देश के लिए एक मजबूत आधार स्थापित करने के लिए शामिल किया गया है ताकि अवसर आने पर उन क्षेत्रों में भविष्य के इनोवेशन को आगे बढ़ाया जा सके।
प्रो. सूद ने बताया कि भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और इसकी तेज़ वृद्धि को देखते हुए इसे भविष्य में भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रगति को देश के नेट-ज़ीरो विज़न के साथ मिलाकर देखा जाना चाहिए, और ऑटोमोटिव क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति की संचालन की ज़रूरत है।