छोटे और मध्यम उद्योग जिसे स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ (एसएमई) कहते है, भारत के विकास में मदद कर रही है। एसएमई न सिर्फ 60 मिलियन लोगों को नौकरी दे रहा है बल्कि सालाना 1.3 मिलियन नौकरियों के अवसर भी बना रहा है। ये 45 प्रतिशत इंडस्ट्रीयल आउटपुट और 45 प्रतिशत भारत के निर्यात में भी योगदान दे रहा है।
एसएमई के बढ़ते महत्व और तथ्य के अनुसार, 2014 से अब तक भारत में स्टार्टअप में 3.62 बिलियन डॉलर लगाए गए हैं। अब भारत सरकार ने इस विषय को अपने हाथ में ले लिया है और स्टार्टअप को समर्थन करने के लिए कई प्रोग्राम बना रही है।
आइए जानते हैं इन प्रोग्राम्स के बारे में।
स्टार्टअप इंडिया
2016 में भारत सरकार द्वारा स्थापित स्टार्टअप इंडिया एक स्टार्टअप के व्यवसाय को मार्गदर्शन देने, विकसित करने, सुविधाएं देने और बढ़ावा देने का कार्य करता है। चार सप्ताह के फ्री ऑन लाइन लर्निंग प्रोग्राम में स्टार्टअप हिस्सा लेते हैं और उसे देश के आसपास के पार्क, इंक्यूबेटर और स्टार्टअप सैंटर के रिसर्च करने की अनुमति देती है। इसके अतिरिक्त, स्टार्ट अप को सपोर्ट करने के लिए, फंडिंग में बेहतर पहुंच के लिए, फंड
ऑफ फंड्स भी उपलब्ध हैं।
स्टार्टअप ट्रेनिंग एंड इम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम(STEP)
भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने STEP की शुरुआत की है। इसका लक्ष्य है महिलाओं को घरेलू व्यवसाय खोलने के लिए कार्य कौशलता प्रदान करना है ताकि वे स्वावलंबी बन सकें।
अटल इनोवेशन मिशन (AIM)
AIM भारत सरकार का एक प्रोजेक्ट है जो नवीनता और उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है। यह एटीएल और एटीएल प्रोग्रामों के लिए भी एक मंच है। अटल इंक्यूबेशन सैंटर (एआईसीस) के इंक्यूबेटर स्टार्टअप को उद्योग विषेशज्ञों, व्यवसाय के योजना संबंधी मदद, मूल पूंजी और ट्रेनिंग की सुविधा देती है।
डिजिटल इंडिया
देश के आधुनिकीकरण और देश के हर कोने को डिजिटलाइज़ेशन करने का प्रयास है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य, डिजिटल और आर्थिक स्थान पर नागरिकों की भागीदारी में सुधार लाना, भारत के साइबर दुनिया को सुरक्षित और अधिक मजबूत बनाना और आसानी से डिजिटल रूप से व्यापार करने में बढ़ावा देना है। इसका एक बड़ा केन्द्र बिन्दु हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना है।
डिजिटल इंडिया और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की पार्टनरशिप में यह वर्तमान और भविष्य में आने वाले एसएमई को डिजिटल रूप से सहायता प्रदान करता है।
मेक इन इंडिया
मेक इन इंडिया एक पहल है जिसने भारत को ग्लोबल डिजाइन और मैनुफेक्चर हब के रूप में बदलने की है। इस प्रोग्राम ने अस्पष्ट और अविकसित ढांचे को आधुनिक और पारदर्शी रूप में बदला है। इसके बदले में उसने निवेश को बढ़ावा, नवीनता को प्रोत्साहन, कौशल में विकास, बौद्धिकता को बचाने और बेहतरीन विनिर्माण ढांचे का निर्माण करने में मदद की है।
डिफेंस पॉलिसी 2018
हालांकि रक्षा क्षेत्र के विकास के लिए यह पॉलिसी बहुत महत्वपूर्ण है, मगर इस पॉलिसी में एसएमई के लिए भी बहुत कुछ है। डिफेंस पॉलिसी 2018 में लोकल मैनुफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बहुत से नए आबंटन शामिल किए हैं। साथ ही 13 कैटेगरी के हथियार और समर्थन प्रणालियों में आजादी दी गई है। सरकार ने एसएमई क्षेत्र के लिए आरक्षण, रक्षा में फॉरन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट (एफडीआई) में 26 प्रतिशत से 49 प्रतिशत की वृद्धि की है और 2025 तक निर्यात लक्ष्य को 35,000 करोड़ रूपए तय किया है।
दिवाला और दिवालियापन संहिता अध्यादेश
बिलों और प्राप्तियों में होने वाली देरी से एसएमई का व्यवसाय प्रभावित होता है। यह चल संपत्ति में बाधा और वित्तीय कठिनाइयों का कारण बनता है, अंत में उन्हें नॉन-प्रफोर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) में बदल दिया जाता है और उनकी स्थिरता को प्रभावित करता है।
इंसॉल्वंसी एंड बैंक्रप्सी कोड ऑडिनेंस ने कॉर्पोरेट इंसॉल्वंसी रेसोल्युशन प्रोसेस (सीआईपीएस) से गुजरने वाले व्यवसायी को बोली लगाने की अनुमति दी है, जब तक कि वे अन्य संबंधित अयोग्यता को आकर्षित न करें और स्वेछाचारी दिवालिया न हो। केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक हित और एसएमई में जारी अतिरिक्त छूट और संशोधन करने की शक्ति भी दी है।
यह आलेख बिज़2क्रेडिट के सीईओ और सह-संस्थापक रोहित अरोड़ा ने लिखा है।