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- भारत को @2047 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनाने की तैयारी है 'नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क': डाॅ. बिस्वजीत साहा
'आंत्रप्रेन्योर इंडिया' द्वारा आयोजित 'एडटेक एक्स इंडिया एजुकेशन कांग्रेस 2024' में देशभर से शिक्षा जगत की जानी-मानी हस्तियां पहुंचीं। स्कूली शिक्षा पैनल से पूर्व सम्मेलन में सीबीएसई के निदेशक (कौशल शिक्षा) डाॅ. बिस्वजीत साहा ने बतौर कीनोट स्पीकर 'नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क' पर बात की, जो इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। आइए जानते हैं कि 'इंडिया एजुकेशन कांग्रेस 2024' के दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर क्या कहा...
'नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क' (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा) असल में 'नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी' का गाइडिंग फैक्टर है, खासकर स्कूल एजुकेशन और हाइयर एजुकेशन के लिए। हाइयर एजुकेशन को ध्यान में रखकर यह भी कहा जा रहा है कि स्कूल से ही छात्रों को इंडस्ट्री की जरूरतों को ध्यान में रखकर शिक्षा देने की जरूरत है। यही नहीं, छात्रों के कौशल विकास के लिए आवश्यक है कि बचपन से ही उन्हें इंडस्ट्री व भविष्य की अन्य जरूरतों के अनुसार तैयार करने की कोशिश की जाए। इसके लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में यह तय करने की कोशिश की जाती है कि छात्रों को अभी से ही कौन-कौन से विषय पढ़ाए जाएं। छात्रों को स्कूल में ही तीन तरह की शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है, जिनमें से पहला- इंटरडिसिप्लीनरी, दूसरा- फिजिकल और तीसरा- किताबी शिक्षा है। यह बच्चों को भविष्य के लिए 'इंडस्ट्री रेडी' करने हेतु आज से ही उनका आधार तैयार करेगा।
बचपन से ही 'इंडस्ट्री रेडी' बनाने की तैयारी
छात्रों को बचपन से ही 'इंडस्ट्री रेडी' बनाने की यह पहल असल में भारत को वर्ष 2047 में 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनाने की तैयारी है, जैसे- पहले जापान और बाद में चीन बना। इसके पीछे मानसिकता यह भी है कि इन छात्रों को न केवल वर्ष 2047 के लिए आज से ही कौशल युक्त बनाने की तैयारी की जाए, बल्कि बाद में उच्च शिक्षा का भी इन्हें विशेष लाभ दिया जा सके। आज हमारे यहां स्नातक करने वाले लोगों को जिस तरह की शिक्षा दी जाती है, उसे 'सामान्य' कहा जाता है, जिसे अब 'विशेष' बनाने की तैयारी की जा रही है। ताकि ये छात्र जब 'मास्टर्स' की डिग्री लें तो वे खुद को इंडस्ट्री या किसी भी क्षेत्र के अनुसार 'उपयुक्त' बनाने में पूरी तरह से सक्षम पाएं।
इसके अलावा, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वह टेक्नोलाॅजी स्पेसिफिक हो, पर्यटन विशेष हो या कुछ और। सीबीएसई आज इन सारी बातों को ध्यान में रखकर अपना पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। इसके लिए सीबीएसई ने 33 माॅड्यूल तैयार किए हैं, जिसमें जयादा से ज्याद कौशल को जगह दी गई है, पर्यटन से लेकर AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और कोडिंग तक, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर हर कौशल के हर क्षेत्र को छूने की कोशिश की गई है। हमारी कोशिश है कि सीबीएसई के स्कूल इस पाठ्यक्रम और इन विषयों को 'हाइब्रिड मोड' में लें, जिनका ज्यादा से ज्यादा लाभ छात्रों को मिल सके।
क्या आप जानते हैं कि सीबीएसई के निदेशक (कौशल शिक्षा) डाॅ. बिस्वजीत साहा ने जिस मुद्दे पर अपनी राय रखी, वह क्या है? आइए, इसे विस्तार से जानें....
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework- NCF) कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए शैक्षिक परिदृश्य को नया आकार देते हुए भाषा सीखने, विषय संरचना, मूल्यांकन रणनीतियों और पर्यावरण शिक्षा में बदलाव पेश करती है। हालांकि, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने भी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) जारी की है, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के नियमों के तहत शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सुधारों को बल मिला। फिलहाल हम CBSE के तहत जारी किए गए NCF पर ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा की मुख्य विशेषताएं:
भाषा सीखना:
कक्षा 9 और 10 के विद्यार्थी तीन भाषाएं सीखते हैं, जिनमें से कम-से-कम दो मूल भारतीय भाषाएं होती हैं।
कक्षा 11 और 12 में दो भाषाएं पढ़ाई जाएंगी, जिनमें एक भारतीय मूल की होगी।
कम-से-कम एक भारतीय भाषा में भाषायी क्षमता का "साहित्यिक स्तर" हासिल करने का लक्ष्य है।
बोर्ड परीक्षा और मूल्यांकन:
यह विद्यार्थियों/छात्रों को एक स्कूल वर्ष (School Year) में कम-से-कम दो बार पर बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति देता है।
दी गई परीक्षाओं में से केवल सर्वोत्तम स्कोर को ही बरकरार रखा जाएगा।
NEP 2020 के साथ संरेखण:
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। यह CBSE के तहत ग्रेड 3 से 12 तक नई पाठ्य-पुस्तकें तैयार करने हेतु आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती है।
कक्षा 3 से 12 के लिए पाठ्य-पुस्तकों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
दूरदर्शिता और वर्तमान संदर्भ में समन्वय सुनिश्चित करने पर ध्यान देना।
अनिवार्य एवं वैकल्पिक विषयों में परिवर्तन:
इससे पहले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए पांच अनिवार्य विषय और एक अतिरिक्त विषय लेने का विकल्प रहता था।
अब कक्षा 9 और 10 के लिए अनिवार्य विषयों की संख्या सात है तथा कक्षा 11 एवं 12 के लिए छह है।
वैकल्पिक विषय:
पहले समूह में कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा सम्मिलित है।
दूसरे समूह में सामाजिक विज्ञान, मानविकी और अंतःविषय जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं।
तीसरे समूह में विज्ञान, गणित और कंप्यूटेशनल सोच (Computational Thinking) सम्मिलित है।
छात्रों के लिए विकल्प की सुविधा:
अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिए ‘माध्यमिक चरण’ को पुनः डिज़ाइन किया गया।
शैक्षणिक और व्यावसायिक विषयों या विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और शारीरिक शिक्षा जैसे विषयों में कोई बड़ा अंतर नहीं होगा।
विद्यार्थी अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के लिए विषयों का दिलचस्प संयोजन चुन सकते हैं।
पर्यावरण शिक्षा:
पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता पर ज़ोर दिया जाएगा।
पर्यावरण शिक्षा को स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में एकीकृत किया गया है।
माध्यमिक चरण में पर्यावरण शिक्षा के लिए अलग से अध्ययन क्षेत्र होगा।
सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिए सामग्री वितरण (कक्षा 6-8):
20 प्रतिशत विषयवस्तु स्थानीय स्तर की होगी।
30 प्रतिशत विषयवस्तु क्षेत्रीय स्तर की होगी।
30 प्रतिशत विषयवस्तु राष्ट्रीय स्तर की होगी।
20 प्रतिशत विषयवस्तु वैश्विक स्तर की होगी।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा:
परिचय:
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020 के प्रमुख घटकों में से एक है, जो NEP 2020 के उद्देश्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण से सूचित इस परिवर्तन को सक्षम एवं सुनिश्चित करती है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा में पहले चार संशोधन वर्ष 1975, 1988, 2000 और 2005 में हो चुके हैं। यदि प्रस्तावित संशोधन लागू होता है, तो यह ढांचे का पांचवां संशोधन होगा।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के चार खंड:
स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF for School Education- NCF-SE)
प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (मूलभूत चरण)
शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा
प्रौढ़ शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों के माध्यम से NEP 2020 में परिकल्पित भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद करना है। इसके अलावा भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज को साकार करने के अनुरूप सभी बच्चों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:
परिचय:
यह भारत में शिक्षा में सुधार के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है, जिसे वर्ष 2020 में मंज़ूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य शिक्षा हेतु एक समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण प्रदान कर भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना है।
NEP 2020 की विशेषताएं :
प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण।
छात्रों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास पर आधारित एक नई शैक्षणिक एवं पाठ्यचर्या संरचना का परिचय।
प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के विकास पर ज़ोर।
शिक्षा में अनुसंधान एवं विकास पर फोकस।