हाल के कुछ वर्षों में मछली पालन का व्यवसाय तेजी से हो रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र को आय और रोजगार उत्पन्न करने वाले एक शक्तिशाली क्षेत्र के रूप में जाना जा रहा है। यह कई सहायक उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है। भारत में 28 मिलियन से ज्यादा लोगों को आय और रोजगार का अवसर प्रदान करता हैं।
हाल ही में मत्स्य विभाग, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मछुआरों को इंटरनेशनल मैरीटाइम बाउंड्री लाइन (आईएमबीएल) पार नहीं करने की सलाह दी है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड्स (आईसीजी) को नियमित रूप से तटीय गांवों में मछुआरों के लिए कम्युनिटी इंटरेक्शन प्रोग्राम्स (सीआईपी) आयोजित करने को कहा है। जिसमें सुरक्षा उपायों और आईएमबीएल के बारे में जागरूक किया जाएगा। 2009 के बाद से इंडियन कोस्ट गार्ड्स ने 10,696 सीआईपी आयोजित की हैं। भारतीय मछुआरों द्वारा आईएमबीएल के उल्लंघन को रोकने के लिए नवंबर, 2016 में गृह मंत्रालय द्वारा मानक संचालन प्रक्रियाएं लागू की गई हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)
‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत 10 सितंबर 2020 को ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा’ योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य था- पांच साल में करीब 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के साथ इस सेक्टर में बदलाव लाना। योजना के लागू होने के बाद बीते 2 साल में मत्स्य पालन सेक्टर में उत्पादन से लेकर निर्यात तक अच्छी ग्रोथ देखी जा रही है।
इस योजना के तहत गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले 101 जहाज, स्तह मछली पकड़ने वाले 260 जहाजों, मशीनी से पकड़ने वाले मछली के लिए 1,353 जहाज साथ ही मछली पालन के लिए 890 खुले समुद्री पिंजड़े, दो छोटी समुद्री फिनफिश हैचरी मशीन, खारे पानी की जलीय कृषि के लिए 642 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र और तीन खारे पानी की हैचरी मशीन को मंजूरी प्रदान की गई है।
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश
भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा झींगा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में मुनाफे की भरपूर संभावनाएं हैं। सरकार इस दिशा में मछली पालकों व किसानों के लाभ के लिए कार्य भी कर रही है। जिससे मछली उत्पादन में तेजी से वृद्धि हो रही है।