व्यवसाय विचार

भारत में 44 प्रतिशत शिक्षक शिक्षण और मूल्यांकन, सर्वेक्षण पर एआई के प्रभाव को लेकर तनाव में

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Nov 20, 2023 - 3 min read
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एक ओर जहां एआई यानी कि कृत्रिम बुद्धिमता को प्रत्येक क्षेत्र के लिए उपायोगी बताया जा रहा है, वहीं शिक्षा के क्षेत्र में इसके प्रभाव को लेकर जब सर्वे हुआ तो स्थिति कुछ अलग थी।

-वैश्विक शिक्षण प्रौद्योगिकी कंपनी डी2एल ने किया सर्वेक्षण

-एआई यानी कि कृत्रिम बुद्धिमता के शिक्षण और मूल्यांकन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं शिक्षक

एआई यानी कि कृत्रिम बुद्धिमता, वर्तमान में स्वास्थ्य हो या शिक्षा हर जगह पर इसकी स्वीकार्यता देखी जा रही है। अब यह बात अलग है कि वैश्विक शिक्षण प्रौद्योगिकी कंपनी डी2एल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में कम से कम 44 प्रतिशत शिक्षक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के शिक्षण और मूल्यांकन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। यह परिणाम टीचिंग एंड लर्निंग इन इंडिया रीइमेजिन्ड शीर्षक वाले सर्वेक्षण के तहत देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों से गुमनाम रूप से हुए सर्वे में प्राप्त हुए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सर्वेक्षण रिपोर्ट भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में शिक्षण समुदाय के बीच एड तकनीक और एआई-सक्षम शिक्षण प्लेटफार्मों के बारे में जागरूकता के बढ़ते स्तर को रेखांकित करती है।

इस सर्वेक्षण में एचईआई में एड टेक प्लेटफॉर्म और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) की बढ़ती मांग पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए शिक्षण संकाय के लिए उचित प्रशिक्षण और एआई के रणनीतिक उपयोग की आवश्यकता है। सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि लगभग 100प्रतिशत उत्तरदाता हाइब्रिड शिक्षण प्रारूपों से परिचित थे, जो देश में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को उजागर करता है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद। हाइब्रिड लर्निंग आमने-सामने और ऑनलाइन शिक्षण को एक समेकित अनुभव में जोड़ती है। यह शिक्षार्थियों को उनकी प्राथमिकताओं या परिस्थितियों के आधार पर सीखने की अनुमति देती है। यानी कि यह सीखने का दृष्टिकोण लचीलेपन और वैयक्तिकरण के साथ छात्र-केंद्रित सीखने का अनुभव प्रदान करती है।

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इस विशिष्ट प्रश्न पर कि क्या उत्तरदाताओं ने बड़े भाषा मॉडल को अपनी शिक्षण विधियों में एकीकृत किया है? 33 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने इन मॉडलों को आंशिक रूप से एकीकृत किया है, जबकि 38 प्रतिशत ने नकारात्मक उत्तर दिया। वहीं 11 प्रतिशत ने कहा कि वे वर्तमान में मॉडलों को एकीकृत करने की प्रक्रिया में हैं, 16 प्रतिशत इस बारे में निश्चित नहीं थे कि ये मॉडल क्या है? या उन्हें अपनी शिक्षण विधियों में कैसे एकीकृत किया जाए? इसी तरह, 50 प्रतिशत शिक्षकों ने महसूस किया कि एलएमएस सहयोग और संचार में सुधार कर रहे हैं और शिक्षण और सीखने के अनुभवों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 50 प्रतिशत से अधिक ने यह पुष्टि की कि शिक्षा में बड़े भाषा एआई मॉडल के एकीकरण से सभी छात्रों के लिए सीखने के अधिक समान अवसर प्राप्त होंगे।

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इस बाबत डी2एल कॉर्पोरेशन के बिजनेस डायरेक्टर, दक्षिण एशिया, प्रेम माहेश्वरी ने कहा कि संदेश जोरदार और स्पष्ट है कि भारत में अधिक से अधिक शिक्षक एआई यानी कि कृत्रिम बुद्धिमता के समग्र शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। वे अभी भी संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए पाठ्यक्रम में शिक्षा तकनीक के एकीकरण को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि, इस वर्ष से अधिक कॉलेज और विश्वविद्यालय एनईपी-2020 को लागू कर रहे हैं, इसलिए यह जरूरी हो गया है कि शिक्षक एलएमएस जैसे नवीन प्लेटफार्मों के बारे में जागरूक हों। एआई का उपयोग करना सीखें और अपने शिक्षण में डिजिटल टूल को एकीकृत करें। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि हम अपने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और प्रौद्योगिकी एकीकरण के कारण शिक्षा के बदलते परिदृश्य के अनुसार उन्हें उन्नत करने में निवेश करें।

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