वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, दावोस समिट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने स्टार्टअप की बात की और साथ ही दुनिया को भारत की उपलब्धियां भी गिनाईं।
उन्होने कहा भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में विश्व का एक भरोसेमंद पार्टनर बनने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अनेक देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के रास्ते बना रहे हैं। भारतीयों में इनोवेशन की नई टेक्नोलॉजी को अपनाने की क्षमता है। भारतीय युवाओं में आज एंटरप्रेन्योरशिप एक नई ऊंचाई पर है।हमारे हर ग्लोबल पार्टनर को नई ऊर्जा दे सकती है। इसलिए भारत में इन्वेस्टमेंट का ये सबसे अच्छा समयहै। वर्ष 2014 में जहां भारत में कुछ 100 रजिस्टर्ड स्टार्ट अप थे। वहीं आज इनकी संख्या 60 हजार के पार हो चुकी है। इसमें भी 80 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स हैं, जिसमें से 40 से ज्यादा तो 2021 में ही बने हैं। भारतीय युवा बिजनेस को भारत में नई बुलंदी देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
कोरोना काल में पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे भारत ने 'वन अर्थ, वन हेल्थ' विजन पर चलते हुए सभी की मदद की। अनेकों देशों को जरूरी दवाइयां, वैक्सीन देकर करोड़ों जीवन बचाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसी मजबूत डेमोक्रेसी ने पूरे विश्व को एक खूबसूरत उपहार दिया है, इसमें आशाओं की पोटली है। इस पोटली में हम भारतीयों का डेमोक्रेसी पर अटूट विश्वास है। इसमें भारतीयों का मिजाज और टैलेंट छिपा है।
इसी संकट के दौरान भारत के आईटी सेक्टर ने 24 घंटे काम करके दुनिया के तमाम देशों को बहुत बड़ी मुश्किल से बचाया है। आज भारत दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है। 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलपर भारत में काम कर रहे हैं। आज भारत में दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न्स हैं। 10 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप्स पिछले 6 महीने में रजिस्टर हुए हैं। आज भारत के पास विश्व का बड़ा, सुरक्षित और सफल डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म है। सिर्फ पिछले महीने की ही बात करूं तो भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस इस माध्यम से 4.4 बिलियन ट्रांसजेक्शन हुए हैं।
पीएम मोदी ने दुनिया को लाइफस्टाइल के कारण क्लाइमेट के लिए पैदा हो रहे चैलेंजस के लिए चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'थ्रो अवे' कल्चर और उपभोक्तावाद ने क्लाइमेट के लिए ज्यादा सीरियस चैलेंज खड़े कर दिए हैं। उन्होंने दुनिया से मिशन 'लाइफ' की अपील की। उन्होंने कहा, यह बेहद अहम है कि मिशन 'लाइफ' एक ग्लोबल मूवमेंट बने। तभी हम आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रख पाएंगे।
पीएम ने कहा आज ग्लोबल सिचुएशन को देखते हुए, सवाल है कि क्या बहुपक्षीय संगठन, नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं? जब ये संस्थाएं बनी थीं, तो स्थितियां कुछ और थीं। आज परिस्थितियां कुछ और हैं। इसलिए हर लोकतांत्रिक देश का ये दायित्व है कि इन संस्थाओं में सुधार पर बल दे ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके।
आज 2022 की शुरुआत में जब हम दावोस में ये मंथन कर रहे हैं, तब कुछ और चुनौतियों के प्रति सचेत करना भी भारत अपना दायित्व समझता है। आज ग्लोबल ऑर्डर में बदलाव के साथ ही एक वैश्विक परिवार के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं, वो भी बढ़ रही हैं। इनसे मुकाबला करने के लिए हर देश, हर वैश्विक एजेंसी द्वारा कोलेक्टीव और सिकोनाइज एक्शन की जरूरत है। ये सप्लाई चेन के डिसरप्शन इन्फ्लेशन और क्लाइमेट चेज इन्हीं
के उदाहरण हैं।
एक और उदाहरण है- क्रिप्टोकरेंसी का। जिस तरह की टेक्नोलॉजी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले, इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। हमें एक समान सोच रखनी होगी। लेकिन आज वैश्विक परिदृष्य को देखते हुए, सवाल ये भी है कि मल्टीलेटरल ऑर्गेनाइजेशन नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं क्या, वह सामर्थ्य बचा है क्या? जब ये संस्थाएं बनी थीं, तो स्थितियां कुछ और थीं। आज परिस्थितियां कुछ और हैं। इसलिए हर लोकतांत्रित देश का ये दायित्व है कि इन संस्थाओं में रिफॉर्म्स पर बल दे ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके। मुझे विश्वास है, दावोस में हो रही चर्चाओं में इस दिशा में भी सकारात्मक संवाद होगा।
इस शिखर सम्मेलन में कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इनमें जापान के पीएम किशिदा फुमियो, ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, इजराइल के नफ्ताली बेनेट व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस, अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट एल येलेन समेत अनेक वैश्विक नेता शामिल हुए।
नई चुनौतियों के बीच आज दुनिया को नए रास्तों की ज़रूरत है, नए संकल्पों की ज़रूरत है। आज दुनिया के हर देश को एक-दूसरे से सहयोग की पहले से कहीं अधिक ज़रूरत है। यही बेहतर भविष्य का रास्ता है। मुझे विश्वास है कि डावोस में हो रही ये चर्चा, इस भावना को विस्तार देगी। फिर से एक बार, आप सब से वर्चुअल भी आपसे मिलने का मौका मिला, आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद।