ग्लोबल ब्रांड्स भारत में प्रवेश करने के तरीके ढूंढ रहे हैं। वे भारत के विशाल बाजार में अपनी उपस्थिति दर्शाना चाहते हैं।
ग्लोबल ब्रांड अपने क्लीनिक और प्रयोगशालाओं में नई टेक्नोलॉजी की मशीनों और गैजेट्स का प्रयोग करते हैं। इस वजह से लोग इन ब्रांडों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। वहीं भारतीय मशीनें सटीकता प्रदान करने में असफल होती हैं।
ग्लोबल हेयर फॉर्मूलेशन का बाजार मूल्य 7 अरब डॉलर है जबकि स्किन केयर इंडस्ट्री के बाजार मूल्य का अनुमान 50 अरब डॉलर है। व्यापार को बढ़ाने में प्रमुख चीजों में से कुछ यह हैं की उपभोग्ताओं की जीवनशैली बदल रही है, सौंदर्य और इससे जुड़ी चीजों के लिए उनकी जागरुकता भी बढ़ रही है और साथ ही उपभोग्ताओं के खर्च करने में भी बढ़ोतरी देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ बहुराष्ट्रीय ब्रांडों की भारतीय फॉर्मूलेशन सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति है।
हालांकि, पश्चिम की प्रतिस्पर्धा कई तरीकों से फायदेमंद साबित हुई है जैसे ग्राहक की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए अविष्कारों पर अपना ध्यान देना।
क्या किया गया
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) ने स्किन, हेयर और अन्य प्लास्टिक सर्जरी दवाओं, कॉस्मेटिक्स के लिए क्लीनिकल ट्रायल, दवा विकास के संचालन के लिए त्वचा विज्ञान और प्लास्टिक सर्जरी केंद्रों की एक श्रृंखला को मंजूरी दे दी हैं।
इस कार्य की पहल, उत्पाद परीक्षण में शामिल लागत को कम करने के लिए और नए, अधिक परिवर्तनात्मक, कॉस्मेटिक, त्वचा विज्ञान और प्लास्टिक सर्जरी उत्पादों को तेजी से बढ़ाने के लिए की गई है।
ये भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होगी क्योंकि ये उन्हें भारत में ही क्वालिटी रिसर्च सुविधाएं, चिकित्सक और प्रयोगशाला देंगी। इसके लिए उन्हें विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी।
बेहतर समाधान की तलाश में :
प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन और डायरेक्टर, द एस्थेटिक क्लिनिक्स के डॉ डेबराज शोम ने कहा, 'त्वचा और बालों की देखभाल करना एक ऐसा व्यवसाय है जहां जरूरतें अभी भी बढ़ रही हैं और दुनिया भर के लोग नए और बेहतर समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भारत के पास अब क्लीनिकल कौशल हैं और टॉप क्वालिटी के कॉस्मेटिक्स की जरूरतों को पूरा करवाने के लिए क्लीनिकल ट्रायल, नए प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी के लिए डीसीजीआई और सीडीएससीओ का साथ है। जो भारतीय बाजार के लिए फायदेमंद साबित होगा।
स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, बहुराष्ट्रीय कंपनियां और घरेलू कंपनियां आसानी से भारतीय बाजार में बहुत कम लागत पर प्रवेश कर सकती हैं।'
एस्थेटिक क्लीनिक के कॉस्मेटिक त्वचा विज्ञानी और डायरेक्टर डॉ. रिंकी कपूर ने कहा, 'कॉस्मेटोलॉजी और सौंदर्यशास्त्र में कई प्रोडक्ट्स को भारत में कॉकेशियन या काले आबादी वाले शहरों में किए गए क्लीनिकल ट्रायल के आधार पर शुरू किया जाता है, न कि भारतीय आबादी पर। भारतीय त्वचा अलग है इसलिए दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया अलग हैं।
इसलिए, जहां प्रोडक्ट को लॉन्च करना हैं, वहां हमारा विशेष आबादी में क्लीनिकल ट्राय करना जरूरी हो जाता है बजाय इसके की विविध आबादी में परीक्षण किया जाए।'