भारत में कुल सौंदर्य व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है और सौंदर्य उत्पादों का बाजार वार्षिक 15-20% से विकसित हो रहा है। सौंदर्य और सौंदर्य उत्पादों के भारतीय बाजार का वर्तमान मूल्य $950 मिलियन अनुमानित है और वर्ष 2020 तक $2.68 बिलियन होना संभावित है। भारतीय वैलनेस इंडस्ट्री की वृद्धि में भारतीय ब्यूटी केयर मार्केट का प्रमुख योगदान रहेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। इसमें सैलून्स, सौंदर्य उत्पाद और सौंदर्य उपचार केंद्रों का समावेश है। सैलून उद्योग की कुल आय में महिला ग्राहकों का योगदान 85% है, जबकि पुरुषों के बाल भारतीय सैलून उद्योग में नई लहर ला रहे हैं। पुरुष और स्त्रियां, दोनों में अपने रूप-रंग की बढ़ती जागरूकता के चलते पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सौंदर्य उद्योग ने आश्चर्यजनक विकास किया है।
पिछले पांच वर्षों के विकास दर हैं :
सौंदर्य उत्पाद - 60%
सैलून्स - 35%
सौंदर्य उपचार - 5%
एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय सौंदर्य उद्योग में वर्तमान और नए, दोनों खिलाडियों के लिए विकास की आशाजनक संभावनाएं हैं। हेयर एंड ब्यूटी इंडस्ट्री के लिए हर व्यक्ति द्वारा $1 का वार्षिक व्यय होने का अनुमान है जो $6.2 तक जाने की आशा है। वस्तुतः देश का सौंदर्य क्षेत्र अपरिमित विकास क्षमताएं रखने वाले बाजारों में से एक होकर उभरा है। उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ती करने के लिए लाए जा रहे नए उत्पादों के चलते ये उद्योग तेजी से विकास करेगा और भविष्य असाधारण रूप से उज्जवल होगा। नवीनतम अनुसन्धान रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सौंदर्य बाजार ने प्रभावशाली बिक्री दर्ज की है, बढ़ती क्रय शक्ति और फैशन-सतर्कता के कारण वह वार्षिक 17% से विस्तारित होने का अनुमान है। ग्राहकों के व्यवहार के विश्लेषण पर आधारित निरीक्षण ये बताता है कि, कई ग्राहक बड़ी संख्या में 'प्राकृतिक' या 'औषधीय' उत्पादों की ओर झुक रहे हैं, क्योंकि वो 'जैव-सक्रीय' घटकों से बनाए जाते हैं और मानव-त्वचा के लिए सुरक्षित हैं। इसके अतिरिक्त, ये देखा गया है कि महिलाएं सौंदर्य उत्पादों पर अधिक खर्च कर रही हैं, क्योंकि वे सक्रीय रूप से कमा रही हैं और खुद के रख-रखाव पर अधिक खर्च कर रही हैं।
ये उजागर हुआ है कि अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कलर कॉस्मेटिक्स मार्केट अधिक तेजी से बढ़ रहा है। जहां तक भारत में पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की बात है, भारतीय बाजार में आई तेजी को भुनाने के लिए सौंदर्य उत्पादों का ताँता लगा हुआ है। 2020 तक विक्टोरिया सीक्रेट्स, बॉडीओग्राफी और लेबीओकोस जैसे ब्रांड्स भारतीय ग्राहकों की जेब का हिस्सा पाने और उनके दिलों में जगह पाने के लिए कोहराम मचाने वाले हैं। हालांकि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था और गैर-जरूरी उत्पादों और सेवाओं पर ग्राहकों के व्यय में कमी हो रही है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय महिलाएं और पुरुष अपना अच्छा रूप दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स भारतीय बाजार में विदेशी सौंदर्य ब्रांड्स की जबरदस्त मांग का लाभ उठाने की कोशिश में हैं। हर वर्ष कॉर्पोरेट कार्यक्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती संख्या के कारण देश की महिलाओं के एक बड़े वर्ग की बढ़ती क्रय-शक्ति भी उन्हें मदद कर रही है। औसतन देखा गया है कि कामकाजी महिलाएं अपनी कमाई का 35% या उससे अधिक खुद पर खर्च करती हैं।