अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने स्टार्टअप इंडिया के साथ मिलकर 'आयुष स्टार्ट-अप चैलेंज' लॉन्च किया है।आयुष का मतलब आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी है।
इसे आयुर्वेद और वैकल्पिक उपचार के क्षेत्र में इनोवेशन पर काम करने वाले स्टार्ट-अप और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए लॉन्च किया गया था। आयुष स्टार्ट-अप चैलेंज के विजेताओं को एआईआईए से नकद पुरस्कार जैसे की विजेता को 1 लाख और उपविजेता को 50 हज़ार और इन्क्यूबेशन सपोर्ट दोनों मिलेगे।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने (एआईआईए) कहा कि आयुष बाजार लगभग 10 अरब डॉलर (75,000 करोड़ रुपये) का है और अगले 5 वर्षों में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखने का अनुमान है। ऐसे समय में जब अल्टरनेटिव मेडिकल प्रैक्टिस के क्षेत्र में वैश्विक रुचि बढ़ रही है तो आयुष क्षेत्र में वृद्धि की व्यापक संभावनाएं होती हैं।
भारत में आयुर्वेद उद्योग का मूल्य 2019 में 335 अरब रुपये था और 2025 तक 1,042.07 अरब रुपये के मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है, वित्त वर्ष 2020- वित्त वर्ष 2025 की अवधि के दौरान ~ 22.15 प्रतिशत की सालाना विकास दर (सीएजीआर) पर विस्तार होने का अनुमान है। आयुर्वेदिक उत्पादों के लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के प्रति उपभोक्ताओं का झुकाव भारतीय आयुर्वेद उद्योग के विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक हैं।
आयुष प्रोडक्ट्स के निरयात को प्रमोट करने के लिए बीते सालों में अभूतपूर्व प्रयास हुए हैं। वर्ष 2014 में देश से 6,600 करोड़ रुपए के आयुष उत्पादों का निरयात होता था, जो आज बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गए है।
आयुष क्षेत्र में निवेश और इनोवेशन की संभावनाएं असीमित हैं। कोलंबिया, मैक्सिको, क्यूबा, जर्मनी, जमैका, किर्गिस्तान और थाईलैंड सहित विभिन्न देशों ने आयुष मंत्रालय के साथ अपना सहयोग बढ़ाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। उत्पादों और सेवाओं में क्वालिटी स्टैंडर्ड और मान्यता में कटौती की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया गया। अमूल और डाबर अन्य जैसी कंपनियां आयुष क्षेत्र और एफएमसीजी उद्योग के बीच तालमेल लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आयुष दवाओं, सप्लीमेंट और कॉस्मेटिक्स के उत्पादन में पहले ही अभूतपूर्व तेजी देख रहा हैं। वर्ष 2014 में जहां आयुष सेक्टर लगभग 3 बिलियन डॉलर (22,800 करोड़ रुपये) से भी कम का था। आज ये बढ़कर लगभग 18 बिलियन डॉलर( 136,800 करोड़ रुपये) के भी पार हो गया। पीएम मोदी ने कहा कि इस साल अब तक 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब से जुड़ चुके हैं। मुझे विश्वास है कि यूनिकॉर्न जल्द ही आयुष स्टार्ट-अप्स से उभरेंगे।
अब आप सोच रहे होंगे की यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्या होता है तो चलिए आपको बताते है। यूनिकॉर्न एक ऐसी स्टार्टअप कंपनी को कहते हैं जिसकी वैल्यू 100 करोड़ से ज्यादा की होती है।
कोरोना की महामारी की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा था जिसने व्यापार,महामारी के तेजी से प्रसार ने पूरे देश में लॉकडाउन हुआ, जिसने व्यापार, मैन्युफैक्चरिंग और कमर्शियल क्षेत्र में एक ठहराव ला दिया, जिसने भारत के सभी बिज़नेस परिदृश्य को मौलिक रूप से बदल दिया। हालांकि, आयुर्वेद उद्योग उन गिने-चुने क्षेत्र में शामिल है, जिन्हें वायरस के प्रकोप से लाभ हुआ है। महामारी के मद्देनजर आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों जैसे चवनप्राश, गिलोय की गोलियां, शहद और अश्वगंधा की गोलियों की मांग आसमान छू रही थी। इसके अलावा, तनाव को दूर करने और प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए नेचुरल डाइटरी सप्लीमेंट की मांग में वृद्धि हुई है। इस प्रकार, कोविड 19 की रोकथाम और उपचार के लिए नेचुरल प्रोडक्ट और आयुर्वेदिक कंपाउंड को अपनाने से उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
हाल ही में गुजरात में आयुष सेक्टर के लिए इंवेस्टमेंट समिट का आयोजन किया गया। जहां पीएम मोदी ने कहा कि जब कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ था। हम सभी देख रहे थे कि उस दौरान, किस तरह आयुर्वेदिक दवाइयां, आयुष काढ़ा और ऐसे अनेक प्रोडक्ट्स, इम्यूनिटी बढ़ाने में लोगों की मदद कर रहे थे, तब भारत से हल्दी का एक्स पोर्ट अनेक गुना बढ़ गया था। यानि ये इसका सबूत है, इसी दौर में हमने देखा कि जो मॉर्डन फार्मा कंपनियां हैं, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स हैं, उन्हें उचित समय पर निवेश मिलने पर उन्होंने कितना बड़ा कमाल करके दिखाया। कौन कल्पना कर सकता था कि इतनी जल्दी कोरोना की वैक्सीन विकसित कर पाएंगे- मेड इन इंडिया। पीएम ने कहा कि इनोवेशन और इंवेस्टमेंट किसी भी क्षेत्र के अफोर्डेबिलिटी को कई गुना बढ़ा देता है। अब समय आ गया है कि आयुष क्षेत्र में भी इंवेस्टमेंट को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए।
दूसरे देशों के साथ आयुष औषधियों की मान्यता पर बल दिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने बीते सालों में अलग-अलग देशों के साथ 50 से अधिक एमओयू किए हैं। देश के आयुष एक्सपर्ट भारतीय मानक ब्यूरो के साथ मिलकर आईएसओ मानक विकसित कर रहे हैं। इससे आयुष के लिए 150 देशों से भी अधिक देशों में एक विशाल निर्यात बाजार खुलेगा। इसी तरह एफएसएसएआई ने भी पिछले ही हफ्ते अपने रेगुलेशन में ‘आयुष आहार’ नाम की एक नयी कैटेगरी घोषित की है। इससे हर्बल न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के उत्पादों को बहुत सुविधा मिलेगी। अब तक केन्या, अमेरिका, रूस, लातविया, कनाडा, ओमान, ताजिकिस्तान और श्रीलंका जैसे 8 देशों में 50 से ज्यादा उत्पादों (यूनानी और आयुर्वेद) को पंजीकृत किया गया है।