रेवेन्यू और रोजगार दोनों ही आधार पर हैल्थकेयर भारत का सबसे बड़ा सैक्टर बन गया है। जिस तरह से हैल्थकेयर खर्च सकल घरेलू प्रोडक्ट (ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का प्रतिशत बढ़ रहा है उसके अनुसार हैल्थकेयर सर्विस के और अधिक बढ़ने में महत्वपूर्ण अवसर हैं। ग्रामीण भारत जिसमें 70 प्रतिशत से ज्यादा की जनसंख्या रहती है वह अब एक संभावित मांग का स्रोत बनने के लिए एकदम तैयार है।
यूनियन बजट 2018-19 इंडियन हैल्थ्केयर सैक्टर के बहुत अधिक पक्ष में रहा है और अब वे स्वीकृति दे रहें है दवाइयों को विशेषतौर पर भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों को। यह सब देखते हुए अब लग रहा है कि हैल्थकेयर सैक्टर व्यवसाय के चरम को छूने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
हैल्थकेयर सैक्टर में तकनीक की भूमिका
तकनीकी आविष्कार जीवन को आसान और पहले से बेहतर बनाने के लिए पेश किया गया था। हैल्थकेयर एक ऐसा सैक्टर है जोकि तेजी से बढ़ रहा है और इसमें सुधार के बहुत से अवसर है जोकि और भी तकनीकी साधन जोड़कर किया जा सकता है।
जेपी नड्डा, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार ने ऐसी ही बहुत सी पहल को लॉन्च किया हैं जैसे लक्ष्य, यह लेबररूम या प्रसूति गृह की गुणवत्ता में सुधार के लिए है, सुरक्षित प्रसव के लिए मोबाइल ऐप्पलीकेशन, ऑबस्ट्रेटिक हाई डिपेंडेंसी यूनिट ऑपरेशनल गाइडलाइन और इंटेन्सिव केयर यूनिट (आईसीयूस)।
डॉ. सार्थक बक्शी, इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर ने कहा, “IoT रोगी के घर पर जाकर चैकअप करने पर ध्यान केन्द्रित करता है और प्रभावशाली तकनीक के प्रयोग के कारण अस्पताल में आने की आवश्यकता को खत्म करता है। लगातार जांच और जुड़े हुए उपकरणों से आई रिपोर्ट को तुरंत ही रोगी के डॉक्र को उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी दे देता है। रोगी के ऐसे रियल टाइम हैल्थ रिपोर्ट समय को बचाने वाले हो सकते है जिसकी वजह से तेजी से रोगी को इलाज दिया जा सकता है।“
बक्शी ने आगे कहा, “जिस तरीके से हैल्थकेयर सिस्टम में डिजिटलाइजेशन का विकास करने के लिए डॉक्टर और इंजीनियर ने हाथ जोड़े हुए है, उससे स्पष्ट है कि हैल्थकेयर सैक्टर में तकनीक की भूमिका बहुत ही बड़ी है। तकनीक सहयोग देती है और इसका प्रयोग हर तरह से चीजों को आसान करने के लिए किया जा रहा है।“
उन्होंने बताया :
हैल्थकेयर सैक्टर का भविष्य
वर्तमान की परिस्थिति और वर्तमान के भारत के हैल्थकेयर सैक्टर में हो रहें विकास को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका भविष्य बहुत ही सुनहरा होगा क्योंकि इसमें बहुत से अवसर, मौके है और विकास के लिए इसमें बहुत गुंजाइश है।
मई 2018 में भारत सरकार ने देवघर, झारखंड में ऑल इंडिया ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) की स्थापना करने के लिए 1103 करोड़ रूपये (170.14 मिलियन यूएस डॉलर) की स्वीकृति प्रदान की है।
भारत दुनिया भर से बहुत अधिक मेडिकल टूरिज़्म को आकर्षित कर रहा है। जून 2018 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नोर्वे के विदेशी मामलों के मंत्रालय से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर नोर्वे इंडिया पार्टनरशिप इनिशिएटिव (एनआईपीआई) पर हस्ताक्षर किए है। यह कॉर्पोरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य पॉलिसी 2017 के साथ संरेखित है।
बक्शी ने निष्कर्ष में कहा, “IoT की अवधारणा हैल्थकेयर सैक्टर में बहुत ही गहरी है मगर शुरूआत में इसे लागू करना महंगा हैं। भारत जैसे देश जहां पर ज्यादातर आबादी शिक्षित नहीं है ऐसी स्थिति उन्हें इस बदलाव को स्वीकारने और लागू करने को मुश्किल बना रही है।