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- महिंद्रा यूनिवर्सिटी और ला ट्रोब आए एक साथ, शिक्षा और अनुसंधान को देंगे बढ़ावा
छात्र अब दो साल के पोस्ट स्टडी वर्क परमिट के लिए कर सकेंगे आवेदन
सिविल इंजीनियरिंग में छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने पर होगा जोर
महिंद्रा यूनिवर्सिटी और ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया ने सिविल इंजीनियरिंग में छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साझेदारी का उद्देश्य छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना है। साथ ही इस साझेदारी में चार साल का कार्यक्रम, एक सामंजस्यपूर्ण छात्र विनिमय पहल और संकाय विनिमय कार्यक्रम शामिल हैं। ला ट्रोब विश्वविद्यालय कार्यक्रम में भाग लेने वाले महिंद्रा विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रति वर्ष 9500 ऑस्ट्रेलियन डाॅलर यानी कि पांच लाख बीस हजार की छात्रवृत्ति प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम के तहत ऑस्ट्रेलिया में अपना दो साल का अध्ययन पूरा करने के बाद, छात्र अपनी वैश्विक रोजगार क्षमता को बढ़ाते हुए, दो साल के पोस्ट स्टडी वर्क परमिट के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने के पात्र हैं। बेंडिगो परिसर को चुनने से अध्ययनोत्तर कार्य (पीएसडब्ल्यू) की अवधि अतिरिक्त दो वर्षों तक बढ़ जाती है।
इस सहयोग पर महिंद्रा यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर यजुलु मेदुरी ने कहा कि यह समझौता सिविल इंजीनियरिंग अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में भविष्य के लीडर्स को तैयार करने की दिशा में हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह साझेदारी हमारे छात्रों को अत्याधुनिक ज्ञान, उद्योग-प्रासंगिक कौशल और एक वैश्विक मंच प्रदान करेगी, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफल करियर के अवसर प्रदान करेगी।
ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एचओडी अबुएल नागा ने कहा कि यूनिवर्सिटी का बैचलर ऑफ सिविल इंजीनियरिंग (ऑनर्स) प्रोग्राम इंजीनियर्स ऑस्ट्रेलिया द्वारा मान्यता प्राप्त है, जो प्रोग्राम चुनने वाले छात्रों के लिए शिक्षा में उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि हम अपने बेहतरीन शैक्षणिक समुदाय में महिंद्रा विश्वविद्यालय के छात्रों को बेेहतर से बेहतर शैक्षणिक अनुभव प्राप्त हो, इसके लिए प्रयासरत रहेंगे। यह साझेदारी हमारे दोनों विश्वविद्यालयों के लिए कई अवसर लेकर आएगी। अबुएल नागा ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई व्यापार और निवेश आयोग भी इस सहयोग को बढ़ावा देगा। हमें उम्मीद है कि इसके जरिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध और भी मजबूत होंगे।