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- महिलाओं के ऐथनिक ब्रांड की फ्रेंचाइज़ व्यवसाय में बड़ी हिस्सेदारी
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि आजकल पश्चिमी या वेस्टर्न वियर भारतीयों की प्राथमिक चुनाव का विकल्प बन गया है, विशेषतौर पर कामकाजी वर्ग का। इसके बावजूद फिर भी यदि किसी विशेष अवसर जैसे त्योहार या शादी में अब भी केवल ऐथनिक वियर का अपना प्रभुत्व है। और इसी चलन का लाभ ऐथनिक कपड़ों के रिटेलर और फ्रेंचाइज़र उठाते है। आने वाले तीन से चार सालों में ऐथनिक वियर के बाजार का 45000 करोड़ रूपये तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
स्थानीय बुटीक से लेकर स्थापित परंपरागत रिटेलर और क्षेत्रीय ब्रांडों तक सभी ऐथनिक रिटेलर इस बाज़ार में निष्ठावान ग्राहकों को प्राप्त करना चाहता है। यह बाजार ब्रांड के नाम से ज्यादा डिजाइन के दम पर चलता है।
महिलाओं के ऐथनिक वियर : ऊंचाइयां छूते
महिलाओं के सेग्मेंट में वर्तमान में 87 प्रतिशत तक ऐथनिक वियर बाजार का है जोकि 5442 करोड़ रूपये (10.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर)है। इस सेग्मेंट का विकास इस पूरे सैक्टर को आगे बढ़ा रहा है। भारतीयों के परंपरागत कपड़े पहनने की प्राथमिकता ने बहुत से ब्रांडों को इस ऐथनिक वियर सेग्मेंट का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि अभी भी बाजार असंगठित कारोबारियों के नियंत्रण में है लेकिन अब संगठित कारोबारियों ने भी अपनी उपस्थिति बनाना शुरू कर दिया है।
कुछ कारक जो इस सैक्टर के विकास को बढ़ावा दे रहें है वह है कामकाजी महिलाओं की संख्या में वृद्धि, बदलता फैशन चलन, डिजायनर वियर की लोकप्रियता, जानकारी का स्तर बढ़ना और मीडिया की भूमिका के कारण लोगों का ब्रांड के प्रति जागरूक होना। भव्य शादियां और त्योहार, टूरिज़्म इंडस्ट्री का विस्तार के कारण बहुत से विदेशी भारत में आ रहें है और अंत में डिस्पोसेबल आय में वृद्धि के कारण लोग पैसे ज्यादा खर्च करना चाहते है। इस विषय की बढ़ती लोकप्रियता के कारण बहुत से सफल ब्रांड विस्तार को अपना रहें और फ्रेंचाइजिंग के आरामदायक और तेजी से विकास के विकल्प को चुन रहें हैं।
बड़े फ्रेंचाइज़ कारोबारी
फिलहाल जो कारोबारी ऐथनिक वियर सैक्टर में फ्रेंचाइज़ इंडस्ट्री में प्रभुत्व रखते हैं वे बहुत बड़े पैमाने पर विकास कर रहें है। यहां पर एथेनिक वियर में फ्रेंचाइज़िंग करने वाले महत्वपूर्ण कारोबारियों से चर्चा की।
डब्लू (W) वूमेन्स वियर जिसके मालिक दिल्ली स्थापित टीसीएनएस क्लोदिंग कंपनी है। जोकि एक इंडो-वेस्टर्न ब्रांड हैं जिसके 60 एक्सक्लूसिव स्टोर भारत के 25 शहरों में मौजूद हैं। साथ ही यह 500 रिटेल प्वॉइंटस पर भी उपस्थित है जिसमें शॉप-इन-शॉप्स भी शामिल हैं। भारत में अपने भविष्य की योजना के अनुसार कंपनी अपने 100 एक्सक्लूसिव स्टोर देश में स्थापित करना चाहती हैं जिसमें टीयर।। और टीयर ।।। के शहर भी शामिल हैं। वर्तमान में और साथ ही साथ नए ब्रांड भी कंपनी और फ्रेंचाइज़ आधारित स्टोर का मिश्रण होंगे। इसके अलावा ब्रांड अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड का भी अध्ययन कर रहें है जैसे यूके, मिड्डल ईस्ट और दक्षिणी पूर्वी एशियन देशों में भविष्य के विस्तार के लिए।
आशिका ग्रुप ने अपनी शुरूआत 1975 से की थी और अब ये महिलाओं के परिधान बनाने वालों में महत्वपूर्ण है और वर्तमान में इसका बहुत रूतबा है। आशिका फैशनवियर आशिका ग्रुप का ही रिटेल है जिसे 2000 में पेश किया गया था और 2008 से इसने फ्रेंचाइज़िंग शुरू कर दी है। ब्रांड धीरे -धीरे 3 स्टोर से विकास करते हुए आज 30 स्टोर पर पहुंच गया है वह भी 2 साल से कम समय में। सौरभ अग्रवाल, एमडी, आशिका फैशनवियर ने कहा, “वर्तमान में हमारे 60 आउटलेट है जोकि कंपनी के अपने और फ्रेंचाइज़्ड दोनों प्रकार के है।
कथक फैशन मिल्स इस इंडस्ट्री में पिछले 15 सालों से है मगर इसने 2010 में जाकर फ्रेंचाइजिंग माध्यम अपनाया। 2010 में इस ब्रांड ने व्यवसाय मॉडल के लाभ को देखते हुए इसे शुरू किया। जितेंंद्र मदान, मैनेजिंग डारैक्टर, कथक फैशन मिल्स ने कहा, “कंपनी ने वर्तमान में आठ फ्रेंचाइज़िंग आउटलेट को खोला है और उसे पूरा विश्वास है कि मार्च 2012 तक ये संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी।“
इन महत्वपूर्ण फ्रेंचाइज़रों के अलावा बहुत से अन्य ब्रांड भी हैं जिन्होंने अभी तक फ्रेंचाइज़ माध्यम को अपनाया नहीं है मगर ऐथनिक वियर की इंडस्ट्री में उनकी जगह बहुत महत्वपूर्ण है जैसे फ्यूचर ग्रुप, शॉपर स्टॉप और रिलांयस ट्रेंड्स आदि।
फ्रेंचाइजिंग : एक बेहतरीन कदम
अपने ब्रांड को ग्लोबल बनाने के साथ साथ सफल बनाने के लिए फ्रेंचाइजिंग के माध्यम से विस्तार करना एक श्रेष्ठ विकल्प है। छाबरा ने बताया है कि “ फ्रेंचाइजिंग ने वर्तमान की सफलता को प्राप्त करने में बिना कोई शक के मदद की है। यह बहुत तरीकों से हो सकता है। फ्रेंचाइज़िंग पूंजी के दबाव को ब्रांड पर से कम करती है, साथ ही यह फ्रेंचाइजर के लिए मैनेजमेंट को असान बना देता है क्योंकि स्टोर फ्रेंचाइज़ी के होते है जोकि सारे मैनेजमेंट की देखभाल करते है। फ्रेंचाइज़ के माध्यम को अपनाने का एक महत्वपूर्ण कारण है स्थानीय ज्ञान को ब्रांड में प्राप्त करना वह भी विस्तार के दौरान।“ अग्रवाल ने इस बात का स्वीकारा है और कहा, “ फ्रेंचाइजिंग ने आशिका फैशनवियर को वाकई में बहुत लाभ दिए हैं। हमने बहुत कम समय में ही राष्ट्रीय स्तर पर सफलता को प्राप्त किया है। यह ब्रांड के मालिक पर से विस्तार के लिए आवश्यक पूंजी के दबाव को भी कम करने में मदद करता है।“ भंडारी ने भी यहीं विचार साझा किए, “ फ्रेंचाइजिंग एक अच्छा तरीका है राष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोजर प्राप्त करने का। वर्तमान में अंशु डिजायनर स्टूडियों की सफलता का एक बड़ा हिस्सा फ्रेंचाइजिंग के कारण ही है।“
अंत में यह कहना गलता नहीं होगा कि ऐथनिक वियर का भावी कारोबारियों के साथ ही साथ यह विकास करते और स्थापित रिटेलरस के लिए भविष्य सुनहरा है। इस विकास के चलन को देखते हुए ऐथनिक फैशन इंडस्ट्री में फ्रेंचाइजिंग का भविष्य फ्रेंचाइज़ उम्मीदवारों के लिए उज्ज्वल है।