जब महिलाएं व्यवसाय के बारे में सोचती हैं, तब उनके मन में सबसे पहले घरेलु व्यवसाय कल्पनाएं आती हैं, क्योंकि वे काम और जीवन का संतुलन बनाए रखना चाहती हैं, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि काम में ज्यादा ध्यान और विकास का नजरिया रखने वाली आज की महिला-उद्यमियों के कारण घरेलु व्यवसाय सफलता और धन कमाने के निश्चित जरिया बनते जा रहे हैं। यहां समय की कसौटी पर सौ प्रतिशत खरी उतरी हुईं, घरेलु व्यवसायों की 8 कल्पनाओं पर गौर करते हैं।
ट्यूशन क्लासेज – हमेशा ही समकक्ष शिक्षा का सबसे बड़ा हिस्सा रहे ट्यूशन क्लासेज और परीक्षा-तैयारी के क्लासेज आज भी घरेलु व्यवसाय के लिए सबसे पसंदीदा कल्पना है। कम-से-कम लागत के इस व्यवसाय में, अच्छा बुनियादी ढांचा और आधुनिक शिक्षा तकनीक के सामग्री तथा उपकरण हों, तो ज्यादा अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। निवेश 8 लाख रु. इतना कम है और इसके लिए 400 स्क्वे.फी. क्षेत्र की आवश्यकता होती है। ये सबसे तेज यानी 12 से 14 महीने में ब्रेकईवन (ना मुनाफा ना नुकसान ये स्थिति आने का समय) देता है।
डाइट क्लिनिक - स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता, सुस्त कार्य-संस्कृति, शारीरिक गतिविधियों के लिए समय का अभाव और खर्च करने लायक आय में बढोतरी के कारण मेट्रोज और टियर 1 शहरों में डाइट क्लिनिक्स जबरदस्त मांग में हैं। 5-15 लाख रु. के निवेश के साथ 350 से 700 स्क्वे. फी. एरिया की आवश्यकता होती है। 1 से 2 वर्ष में नफा देना शुरु करने वाला ये व्यवसाय फोन और ऑनलाइन परामर्श के जरिए भी चलाया जा सकता है।
टिफिन सर्विस - ये फिर से एक कम निवेश व्यवसाय संकल्पना है, जो घर से चलाई जा सकती है। ‘टिफिन’ ये शब्द अपने आप में गरीब-सा लग सकता है, लेकिन वह आज एक समृद्ध व्यवसाय बन चुका है और आने वाले दिनों में और अधिक संपन्न होने वाला है। बदलती जीवनशैली, समय का कमी और लोगों के ज्यादातर घर से बाहर रहने के कारण, टिफिन सर्विस कॉर्पोरेट जैसे ही घरेलु ग्राहकों की भी समान रूप से सर्विस देता है।
थैरेपी सेंटर्स - जब हम थैरेपीज की बात करते हैं, तब वह मनोवैज्ञानिक परामर्श से लेकर एक्यूप्रेशर या फिजियोथैरेपी तक कुछ भी हो सकता है। जीवन में तनाव इस घटक का बढ़ता प्रभाव, कामकाज का दबाव और डिजिटल विश्व द्वारा परिवार तथा मित्रों से परस्परसंवाद ना हो पाना – इन सारी वजहों से आजकल मनोवैज्ञानिक परामर्श ये एक बहुत फायदेमंद व्यवसाय के रूप में उभरकर आ रहा है। फिजियोथैरेपी और एक्यूप्रेशर पहले ही वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं। इस व्यवसाय के लिए आवश्यक मेडिकल डिग्री और सेंटर चलाने के लिए लाइसेंस होना जरूरी है।
बेड एंड ब्रेकफास्ट – जिनके पास उचित जगह पर स्थित एक अच्छी प्रॉपर्टी है, उनके लिए ये एक फायदेमंद व्यवसाय कल्पना है। जगह हाइवे के पास हो सकती है, किसी बढ़िया छुट्टियों की जगह हो सकती है या फिर मेट्रो शहर में भी हो सकती है। जगह को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप और सुखद वातावरण बनाने के लिए सजाना-संवारना आवश्यक है। यहाँ सुरक्षा और स्वच्छता का महत्व सर्वोपरि है। अच्छी ग्राहक सेवा और किफायती मूल्य महत्व की भूमिकाएं निभाती हैं।
लॉन्ड्री सर्विस- ये एक और ऐसा उद्योग है, जो बदलती जीवनशैली और कपड़े धोने को एक मुसीबत समझने वाले युवा शहरी कामकाजी जनसंख्या की मानसिकता के कारण विकसित हुआ है। KPMG के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में संगठित लॉन्ड्री के बाजार का आकार 5,200 करोड़ रु. है और हर साल 30% की गति से बढ़ रहा है। आवश्यक निवेश है 15 से 20 लाख रु. के बीच में और इसके लिए 500-600 स्क्वे. फी. एरिया की आवश्यकता होती है। बहुत ही उच्च ROI के साथ इसका ब्रेकईवन भी जल्द यानी 3-6 महीने में आ जाता है।
होम क्लीनिंग सर्विसेज – लॉन्ड्री व्यवसाय की ही तरह होम क्लीनिंग भी ऐसा व्यवसाय है, जो बदलती जीवनशैली और शहरी जनसंख्या के पास समय का अभाव होने के कारण चल पड़ा है। पहले सिर्फ कॉर्पोरेट ऑफिसेज ही क्लीनिंग सर्विसेज लिया करते थे, लेकिन अब निजी तौर पर भी इसकी मांग स्वस्थ रूप से बढ़ रही है, जो महिलाएं अपने घर में ही एक कमरा अलग से रख कर व्यवसाय शुरु कर सकती हैं, उनके लिए ये एक व्यवहार्य व्यवसाय कल्पना है।
पेट डे-केअर – आजकल कई परिवारों में पालतू जानवर भी समान रूप से परिवार का हिस्सा होता है। ये क्षेत्र एक उभारता हुआ उद्योग है। इस बात का सबसे बड़ा सबूत है दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का व्यवसाय dogspot.com। पालतुओं के मानवीकरण के बढ़ते प्रचलन के चलते और भारतीय उपभोक्ताओं की व्यय करने लायक आय में हो रही बढोतरी के कारण पेट केयर क्षेत्र के व्यवसाय को और भी चलन मिलने वाला है। कामकाजी दम्पति को, जब वे काम के लिए घर से बाहर जाते हैं, तब अपने पालतू जानवर के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ जगह की आवश्यकता होती है।