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मांकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना: चंपई सोरेन का आदिवासी छात्राओं को तोहफा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 15, 2024 - 2 min read
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झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कुर्सी संभालते ही आदिवासी छात्राओं के लिए नई योजना शुरू की है।  आदिवासी छात्राओं की तकनीकी शिक्षा के लिए नामांकन में रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से मूलतः यह योजना शुरू की गई है।

एक ओर केंद्र सरकार शिक्षा में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है तो दूसरी ओर झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी 4200 छात्राओं को तकनीकी शिक्षा के लिए नामांकन में उनकी रुचि बढ़ाने और आर्थिक सहायता के लिए 'मांकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना' शुरू की है।

उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को 12 फरवरी 2024 को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी गई। झारखंड मंत्रालय में आयोजित कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा भी कुल 25 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। 'मांकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना' का लाभ तीन हजार छात्राओं को मिलेगा।

बता दें कि सरकारी, निजी और पीपीपी मोड पर संचालित इस डिप्लोमा स्तरीय कोर्स में नामांकन लेने वाली 10वीं कक्षा पास छात्राओं को हर साल 15 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। इस योजना का लाभ 3 हजार छात्राओं को मिलेगा। इसके लिए छात्राओं को राज्य में स्थित शैक्षणिक संस्थानों से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई और आईटीआई पास होना अनिवार्य है। जेटेट परीक्षा आयोजन नियम प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली।

अल्पसंख्यक छात्रावास पोषण योजना

कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित छात्रावासों के निर्माण, संचालन एवं प्रबंधन के लिए राज्य में एसटी, एससी, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक छात्रावास पोषण योजना-2024 की शुरुआत की जाएगी। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिली है। इस योजना को लाने के पीछे उद्देश्य यह है कि छात्रावास में रहने वाले छात्र-छात्राएं यहां की साफ-सफाई तथा सुरक्षा से मुक्त होकर अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर दे सकें।

इस प्रस्ताव के तहत छात्रावासों का संचालन अब गैर-सरकारी संस्थानों (एनजीओ) के माध्यम से किया जाएगा। चयनित एनजीओ छात्रावास प्रबंधन समिति के साथ समन्वय बनाकर छात्रावासों का संचालन और प्रबंधन करेंगे। छात्रावास में रहने वाले छात्रों को एक स्वयंसेवी संस्था पका हुआ भोजन कल्याण विभाग द्वारा निर्मित मेनू के अनुसार देगी।

अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह

बता दें कि मुंडा विद्रोह उलगुलान के समय भगवान बिरसा मुंडा के सेनापति के रूप में गया मुंडा ने अहम योगदान दिया था, जिनकी मृत्यु छह जनवरी 1900 को हो गई थी। अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह करने के कारण गया मुंडा और उनके पुत्र सानरे मुंडा को 6 जून 1900 को फांसी दे दी गई थी। जबकि उनके दूसरे पुत्र-पुत्रियों सहित पत्नी मांकी मुंडा को आजीवन कारावास का दंड दिया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उलगुलान करने को लेकर गया के पूरे परिवार को सजा दे दी गई थी। झारखंड सरकार ने उन्हीं मांकी नाम से छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की है।

 

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