व्यवसाय विचार

मानवीकरण (ह्यूमनाइजेशन) से प्रभावित होती पेट इंडस्ट्री

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 13, 2018 - 3 min read
मानवीकरण (ह्यूमनाइजेशन) से प्रभावित होती पेट इंडस्ट्री image
पेट इंडस्ट्री की आय 2020 तक $96 बिलियन हो जाने का अनुमान है।

हमारे पालतू पशुओं का मानवीकरण पूरी दुनिया में पेट इंडस्ट्री को चलन देने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रचलन है। पालतू जानवरों को अपने परिवार का हिस्सा मान लेना यह काफी समय से आम बात है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पालतू प्राणियों को सचमुच इंसानों तरह माना जाने लगा है - यही है 'मानवीकरण' का ट्रेंड। पालतू पशुओं के मालिक उनके लिए बेहतर दर्जे का खाना, ज्यादा कीमती सामग्री और ज्यादा महंगे मेडिकल इलाज चाहने लगे हैं। पालतू पशुओं के मानवीकरण से पालतू जानवरों की इंडस्ट्री में नए अवसर तैयार होकर इंडस्ट्री उद्योग का अधिक विकास होने वाला है। आइए देखें कि किस तरह मानवीकरण पालतू पशुओं के व्यवसाय पर असर डाल रहा है। 

स्वास्थ्य

पालतू पशुओं के बाजार में भी इंसानों के हेल्थ ट्रेंड्स की तरह वजन घटाने के लिए आहार तथा व्यायाम के लिए उपकरणों के रूझान दिखाई दे रहे हैं। इंसानों के लोकप्रिय फिटनेस उपकरणों की नकल करके कुत्ते और बिल्लियों के लिए भी खास तरह के इक्विपमेंट बनाए जा रहे हैं। बाजार में 'गो पेट'  ट्रेडमिल और ट्रेड व्हील्स जैसे उपकरण बेचे जा रहे हैं। आज कल ज्यादा लोग स्वास्थ्य की प्रतिबंधात्मक देखभाल को अपने रोजाना जीने का हिस्सा बना रहे हैं। आहार नियंत्रण और वजन घटाने जैसे हेल्थ रूटीन्स को सुरक्षित रूप में लागू करने के लिए स्वास्थ्य की नियमित देख-रेख में लोग रुचि ले रहे हैं। इसीलिए स्मार्ट, पहनने योग्य मॉनिटरिंग उपकरणों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। यही बात पशु-जगत में भी दोहराई जा रही है।

दवाईयाँ

किसी बीमारी के प्रति पेशेंट को बताई गई रिस्क या रिएक्शन देखते हुए पेशेंट के लिए निजी तौर पर लिए गए मेडिकल डिसिजंस, पद्धतियां, मदद और/या दवाईयां देना आम बात है, लेकिन उसी के साथ, 'व्यक्तिगत दवाइयाँ' देने का ट्रेंड दवाईयों के क्षेत्र में तेजी से आया है। इसके जरिए पेशेंट्स को विभिन्न समूहों में बांटा जा सकता है। मानवी औषधि के क्षेत्र में इसका बहुत ज्यादा फायदा होने के कारण, यही ट्रेंड प्राणियों के क्षेत्र में भी अपनाने की रुचि दिखाई दे रही है।  इसके अलावा पालतू पशुओं के आनुवंशिक विज्ञान में निरंतर रिसर्च हो रही है। कुछ खास  नस्लों से संबंधित स्वास्थ्य परिस्थितियों की जानकारी लगातार आ रही है और उस में से कुछ में व्यावसायिक अवसर भी निकल आ सकते हैं। 

आहार

दुनिया भर में यह देखा जा रहा है कि पालतू जानवरों के मालिकों की पशु-आहार को लेकर  मांग अब 'उच्च-गुणवत्ता (पेट्स के लिए)' से 'मानवीय' की ओर जा रही है। इसका मतलब यह  है कि वे अपने पशुओं के लिए आहार में वही सब विकल्प चाहते हैं, जो वर्तमान में स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए इंसानों के खाद्य-उत्पादन में देखे जा रहे हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों के उपभोक्ताओं में स्वस्थ आहार के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। उपभोक्ता स्वयं के लिए और अपने पालतू पशुओं के लिए ऐसे फूड प्रोडक्ट्स खरीदना चाहते हैं, जिनमें 'प्राकृतिक' तत्व हों।  इसके अलावा कई लोग बीमारियों का खतरा घटाने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में फायदा पहुंचाने वाले फूड प्रोडक्ट्स खरीदना चाहते हैं। वे बड़ी तादाद में प्राकृतिक (क्लीन लेबल) तत्व चाहते हैं - ताजा, प्राकृतिक और कम से कम प्रक्रिया किए गए प्रोडक्ट्स, जिनमें आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMO's),  नकली रंग और स्वाद ना हो। इतना ही नहीं वे फल तथा सब्जियों से बनाए आहार को अधिक पसंद करते हैं। फायदेमंद तत्व होने के कारण प्राकृतिक आहारों को सबसे ज्यादा तरजीह दी जा रही है। इस वजह से पशुओं के आहार में फलों जैसे पदार्थों का अधिक उपयोग हो रहा है और उत्पादन में भी उपयुक्त और नई तकनीकों के इस्तेमाल में इजाफा हो रहा है। कई देशों में इंसानों के आहार के साथ पालतू पशुओं के आहार-उत्पादन में बढ़ते नियम-नियंत्रण के कारण पालतू पशुओं के फूड-प्रोडक्शन का तकनीकी नजारा पूरी तरह बदल रहा है।

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