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- मेडिकल छात्रों को लेकर रूस और भारत के बीच हो सकता है नया समझौता
बीते कुछ वर्षों से रूस जाकर एमबीबीएस डिग्री लेने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। इसे ध्यान में रखकर रूस ने भारतीय छात्रों के लिए एमबीबीएस करने का रास्ता आसान करने की ठान ली है।
रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने उम्मीद जताई है कि भारत के साथ रूस में शैक्षणिक डिग्री की पारस्परिक मान्यता के लिए जल्दी ही एक समझौता किया जा सकता है। इसके तहत भारत में एमबीबीएस करने वाले छात्र अब सीधे रूस में भी प्रैक्टिस कर सकेंगे।
साल दर साल बढ़ रही यह संख्या
रूस के भारतीय राजदूत ने गुरुवार को कहा, “प्रतिवर्ष 25 हजार से ज्यादा भारतीय छात्र अलग-अलग क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से रूस पहुंचते हैं। पिछले साल 8 हजार से ज्यादा भारतीय छात्रों को रूस का वीजा जारी किया गया था। साल दर साल यह संख्या बढ़ ही रही है। हमें उम्मीद है कि भारत के साथ हम एक ऐसा समझौता करने में सफल होंगे, जिसके तहत दोनों देशों में एक-दूसरे की डिग्रियों को मान्यता दी जाएगी। इससे डॉक्टर जैसे पेशेवरों को अतिरिक्त कोर्स किए बिना मेडिकल प्रेक्टिस शुरू करने में आसानी होगी।”
बता दें कि सोवियत संघ के विभाजन से पहले उनकी डिग्रियों को भारत में मान्यता प्राप्त थी। हालांकि, इस विभाजन के बाद भी भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूएसएसआर जाना पसंद करते रहे हैं।
रूस में MBBS भारतीय छात्रों की पहली पसंद
रूस में एमबीबीएस करना बीते कई वर्षों से भारतीय छात्रों की पहली पसंद रही है। हर वर्ष भारत में नीट की परीक्षा पास करने वाले हजारों छात्र रूस जाकर एमबीबीएस करना चाहते हैं। भारतीय छात्रों के लिए रूस सुरक्षित भी है। यही वजह है कि विदेश जाकर एमबीबीएस की शिक्षा लेने वाले भारतीय छात्रों के लिए रूस उनकी पहली पसंद बनी हुई है।
नेशनल मेडिकल कमिशन का इंटर्नशिप
रूस में एमबीबीएस का कोर्स छह वर्षों का है। हालांकि, अब तक रूस से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए पहले नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) का इंटर्नशिप करना जरूरी है। यही वजह है कि रूस में एमबीबीएस करने वाले भारतीय छात्रों को कोर्स पूरा करने में छह वर्ष का समय लगता है।