केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के महत्व को बताया गया। सीतारमण ने कहा कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के कुल उत्पादन में एमएसएमई की हिस्सेदारी 35.4 प्रतिशत है। जीडीपी की बात करे तो वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 6.5 से 7 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। महामारी के बाद, भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से ठीक हो गई है। वित्तीय वर्ष 2020 की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी 20 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 2020 के अंत तक, भारत की अर्थव्यवस्था ने औसतन 6.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है। यह दर दर्शाती है कि भविष्य में अर्थव्यवस्था की लंबी अवधि के लिए अच्छी वृद्धि की उम्मीद है। भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक और बाहरी समस्याओं के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है।
वित्तीय वर्ष 2024 में जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। टिकाऊ उपभोक्ता मांग और बढ़ते निवेश की वजह से, इस वित्तीय वर्ष के तीन तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि की दर 8 प्रतिशत से भी ज्यादा रही है। औद्योगिक क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग ने वित्तीय वर्ष 2023 की खराब प्रदर्शन को पार कर लिया और वित्तीय वर्ष 2024 में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को घरेलू मांग को पूरा करने में मदद मिली और इनपुट कीमतों में कमी का भी लाभ मिला।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल ने एमएसएमई के लिए एक सरल, ऑनलाइन और मुफ्त पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान की है जो स्व-घोषणा पर आधारित है। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को औपचारिक रूप से पंजीकृत होने में मदद मिली है, जिससे उनका कामकाज आसान हो गया है और वे सरकारी लाभ उठा सकते हैं। सर्वेक्षण में यह तथ्य दर्ज किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2020 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024 के दौरान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को प्रदान की जाने वाली गारंटियों की राशि और संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट को 9,000 करोड़ रुपये दिए थे। इसका मकसद था कि छोटे व्यवसायों को कम ब्याज पर दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज मिल सके।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रत्येक श्रमिक द्वारा किए गए काम से जुड़ी कुल मूल्य में वृद्धि हुई है। यह राशि 1,38,207 रुपये से बढ़कर 1,41,769 रुपये हो गई है। इसके अलावा, प्रत्येक व्यवसाय द्वारा किए गए कुल उत्पादन का मूल्य भी बढ़ा है, जो 3,98,304 रुपये से बढ़कर 4,63,389 रुपये हो गया है। इससे पता चलता है कि श्रमिकों की काम करने की क्षमता और उत्पादकता में सुधार हुआ है। सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि उद्यम पंजीकरण पोर्टल बहुत सफल रहा है, क्योंकि 5 जुलाई 2024 तक इस पर 4.69 करोड़ उद्यमों का पंजीकरण किया गया है।
PLI योजना ने MSME को दी नई गति
सर्वेक्षण के अनुसार, भारत को आत्मनिर्भर बनाने और उत्पादन क्षमता और निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार ने 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च कर 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं शुरू की हैं। इसका उद्देश्य है कि इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़े और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो। सर्वेक्षण में बताया गया है कि मई 2024 तक, 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इससे 10.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और बिक्री हुई है और कुल 8.5 लाख लोगों को (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) रोजगार मिला है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि निर्यात में चार लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, फूड प्रोसेसिंग, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों का रहा है।
ODOP के लिए यूनिटी मॉल स्थापित करने की प्रोत्साहन योजना
वित्तीय वर्ष 2024 के केंद्रीय बजट में 'एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) पहल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राज्यों को उनके ओडीओपी (ODOP) उत्पादों को प्रोत्साहित और बेचने के लिए प्रमुख पर्यटन केंद्र या वित्तीय राजधानी में "एकता मॉल" बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की घोषणा की थी।
"पीएम-एकता मॉल" का मकसद ओडीओपी के कारीगरों और उपभोक्ताओं को जोड़ना है। ये मॉल घरेलू और विदेशी बाजारों के लिए भारत के इन खास उत्पादों को एक अच्छा बाजार उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा, केंद्र और स्थानीय विक्रेताओं और पुनर्जीवित स्वदेशी उद्योगों के बीच बेहतर सहयोग के लिए 15 राज्यों में ' ओडीओपी संपर्क' कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। जी20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान देश भर में आयोजित जी20 कार्यक्रमों में ओडीओपी उत्पादों को दिखाया गया। इससे कारीगरों, विक्रेताओं और बुनकरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
सर्वेक्षण 2023-24: एमएसएमई प्रोत्साहनों की समाप्ति
एमएसएमई (MSME) के लिए ऋण की कमी को दूर करने के साथ-साथ, उन्हें बिना बाधाओं के काम करने, भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी सुधारने, और एक ऐसी निर्यात योजना लागू करने की जरूरत है जो उनके बाजार और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करे। इस क्षेत्र को विस्तृत नियमों और अनुपालन आवश्यकताओं के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है कि उन्हें किफायती और समय पर वित्तीय सहायता नहीं मिल पाती, जो एक प्रमुख चिंता का विषय है। एमएसएमई को लाइसेंसिंग, निरीक्षण और अनुपालन से जुड़ी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जो अक्सर राज्य सरकारों द्वारा लगाई जाती हैं। ये जटिलताएं एमएसएमई की वृद्धि और रोजगार सृजन में बाधा डालती हैं।
सीमा आधारित रियायतें और छूट ऐसी अनचाही स्थिति पैदा करती हैं, जहां उद्यम अपने आकार को सीमा में बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं। इसलिए, इन प्रोत्साहनों में एक समाप्ति सेगमेंट होना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये रियायतें समय पर समाप्त हो जाएं और उद्यम अपने आकार को बढ़ा सकें।
एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण धारा हैं। ये देश के जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में 45 प्रतिशत योगदान देते हैं। इसके अलावा, ये भारत के 11 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। भारत सरकार एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठा रही है:
1.ईसीएलजीएस योजना: 5 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना से व्यवसायों को ऋण मिलना आसान हो गया है।
2. आत्मनिर्भर भारत फंड: इस फंड के तहत 50,000 करोड़ रुपये का निवेश एमएसएमई में किया गया है।
3. नए मानदंड: एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए नए मानदंड लागू किए गए हैं।
4. आरएएमपी प्रोग्राम: 5 वर्षों में 6,000 करोड़ रुपये खर्च करके एमएसएमई के कामकाज को सुधारने और तेजी लाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया गया है।
5. यूएपी प्लेटफार्म: 11 जनवरी 2023 को एक नया प्लेटफार्म शुरू किया गया है, जो अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक दायरे में लाने में मदद करेगा और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण का लाभ दिलाएगा। एमएसएमई क्षेत्र को जिन बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे समय पर और किफायती ऋण नहीं मिलना, इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ये योजनाएं बनाई गई हैं।
निष्कर्ष
पीएलआई योजना के तहत, जो कंपनियां या एमएसएमई विशिष्ट क्षेत्रों में अच्छा उत्पादन करती हैं, उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है। इसका मतलब है कि उनकी बिक्री और उत्पादन पर आधारित उन्हें अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। इस योजना के तहत, कंपनियों को कुछ करों में छूट मिलती है। इससे उनकी लागत कम होती है और वे अपने उत्पादों की कीमतें कम रख सकते हैं।इसके तहत, कंपनियों को इनोवेशन और अनुसंधान में मदद करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, ताकि वे नई और बेहतर तकनीकें अपना सकें। योजना का उद्देश्य व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना भी है, जिससे एमएसएमई आसानी से अपना कारोबार चला सकें और विस्तार कर सकें।