
भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यह क्षेत्र रोजगार सृजन, इनोवेश और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, वित्तीय संसाधनों की कमी और ऋण प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयाँ एमएसएमई के विकास में एक बड़ी बाधा रही हैं। इन्हीं चुनौतियों का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS - MSME) शुरुआत की है।
क्या है म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS - MSME)?
केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS) की शुरुआत की। इस योजना के तहत, एमएसएमई को बिना किसी गारंटी के 100 करोड़ रुपये तक का ऋण मिलेगा, जिससे वे मशीनरी, उपकरण और अन्य व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे। यह योजना केंद्रीय बजट 2024-25 की घोषणा के अनुरूप शुरू की गई है और इससे देश के एमएसएमई क्षेत्र को नई गति मिलने की उम्मीद है।
योजना की प्रमुख बातें:
1.100 करोड़ रुपये तक का गारंटी-मुक्त ऋण
2.MSME के विकास और विस्तार के लिए वित्तीय सहायता
3.नए उद्योगों और व्यवसायों को प्रोत्साहन
4.मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप को बढ़ावा
कैसे मिलेगा लाभ?
इस योजना के तहत, नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLIs) को 60% गारंटी कवरेज प्रदान करेगी। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अधिक सुरक्षा मिलेगी और वे एमएसएमई को आसानी से ऋण उपलब्ध करा सकेंगे।
कौन ले सकता है ऋण?
1.उद्यमियों के पास वैध उद्योग पंजीकरण संख्या (Udyam Registration Number) होना आवश्यक है।
2.ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकती, हालांकि परियोजना की कुल लागत अधिक हो सकती है।
3.परियोजना लागत का कम से कम 75% मशीनरी या उपकरण खरीदने के लिए होना चाहिए।
MSME के लिए यह योजना क्यों महत्वपूर्ण है?
1.आसान फंडिंग: बिना गारंटी के लोन मिलने से छोटे और मध्यम उद्योगों को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी।
2.इनोवेशन को बढ़ावा: स्टार्टअप्स और नई तकनीकों को अपनाने के लिए पूंजी आसानी से उपलब्ध होगी।
3.रोजगार वृद्धि: नए उद्यमों और व्यापार विस्तार से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
4.आर्थिक विकास: एमएसएमई सेक्टर मजबूत होने से भारत की अर्थव्यवस्था और विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
बजट 2025-26 की मुख्य बातें
बढ़ता पूंजीगत व्यय
वित्त मंत्री ने बताया कि कोविड के बाद सार्वजनिक व्यय पर सरकार का ज़ोर जारी है और इस बार बजट में पूंजीगत व्यय को 10.2% बढ़ाकर लगभग 16 लाख करोड़ रुपये किया गया है। सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर लगातार निवेश कर रही है।
अनुसंधान और विकास (R&D) तथा STEM क्षेत्रों को बढ़ावा
सरकार अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित कर रही है, खासकर STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में। निजी क्षेत्र को भी इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राजकोषीय घाटे को कम करने पर ज़ोर
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार राजकोषीय घाटे को 4.5% से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध है और 2030-31 तक ऋण-से-जीडीपी अनुपात को 50% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) क्या होता है?
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और उसकी कुल प्राप्तियों (कर राजस्व और गैर-कर राजस्व) के बीच का अंतर होता है, जिसमें ऋण (Debt) शामिल नहीं होता। सरल शब्दों में, जब सरकार की कमाई की तुलना में उसका खर्च अधिक होता है, तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह घाटा आमतौर पर उधारी (Borrowing) के ज़रिए पूरा किया जाता है।
सरकार का लक्ष्य और रणनीति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के केंद्रीय बजट के दौरान स्पष्ट किया कि सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए राजकोषीय घाटे को 4.5% से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध है और 2030-31 तक ऋण-से-जीडीपी अनुपात को 50% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
राजकोषीय घाटा 4.5% से नीचे लाने की योजना
सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कई प्रमुख कदम उठा रही है:
(i) व्यय की प्राथमिकता और नियंत्रण
- पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को प्राथमिकता देना, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास हो।
- अनावश्यक राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) को सीमित करना, ताकि सरकारी खर्च नियंत्रित रहे।
- योजनाओं की समीक्षा कर गैर-आवश्यक खर्चों को कम करना।
(ii) कर राजस्व बढ़ाना
- कर अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए नई आयकर संहिता (New I-T Act) लाई जा रही है।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) को अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है, ताकि कर संग्रह में वृद्धि हो।
- डिजिटलीकरण से टैक्स चोरी पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है।
(iii) निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
- निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EODB) सुधारों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
- पीपीपी (Public-Private Partnership) मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे सरकारी व्यय पर भार कम हो।
(iv) आर्थिक विकास को बनाए रखना
- मैन्युफैक्चरिंग, स्टार्टअप और एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं, जिससे कर राजस्व बढ़े।
- निर्यात प्रोत्साहन और व्यापार सुधारों के ज़रिए विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
- ऋण-से-जीडीपी अनुपात को 50% तक लाने का लक्ष्य
ऋण-से-जीडीपी अनुपात (Debt-to-GDP Ratio) क्या होता है?
यह अनुपात किसी देश की कुल सरकारी ऋण राशि को उसकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में दर्शाता है। उच्च ऋण-से-जीडीपी अनुपात यह संकेत देता है कि सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है और कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
(i) 2030-31 तक इसे 50% तक लाने की योजना
- नए ऋण लेने की गति को धीमा करना: सरकार केवल उत्पादक परिसंपत्तियों (Productive Assets) के निर्माण के लिए ही उधारी लेने पर ध्यान देगी।
- राजस्व बढ़ाना: कर सुधारों और गैर-कर राजस्व (डिविडेंड, डिसइन्वेस्टमेंट, PSU से लाभ) को बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा।
- विकास दर को बनाए रखना: अगर अर्थव्यवस्था की विकास दर तेज़ होती है, तो GDP बढ़ेगी और ऋण-से-जीडीपी अनुपात अपने आप कम हो जाएगा।
- वित्तीय अनुशासन: अनावश्यक सब्सिडी और राजकोषीय रिसाव को रोकने पर ध्यान दिया जाएगा।
इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
आर्थिक स्थिरता: वित्तीय अनुशासन से मुद्रास्फीति (Inflation) और ब्याज दरों को नियंत्रित रखा जा सकेगा।
निवेश बढ़ेगा: कम राजकोषीय घाटा और स्थिर ऋण नीति से विदेशी और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
रुपये की मजबूती: कम राजकोषीय घाटा और नियंत्रित उधारी से रुपये की विनिमय दर मजबूत होगी।
सामाजिक और बुनियादी ढांचे पर निवेश: स्वास्थ्य, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में अधिक निवेश करने के लिए सरकार के पास अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे।
नए आयकर अधिनियम की तैयारी
1961 का आयकर अधिनियम अब नए कानून से बदला जाएगा, जो वर्तमान में चयन समिति की समीक्षा में है। इस नए कानून में 800 धाराओं को घटाकर 500 किया जाएगा और इसकी भाषा को सरल बनाया जाएगा।
नए निवेश क्षेत्रों का विस्तार
सरकार ने अंतरिक्ष, ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया है। सरकार ने 25 महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क छूट की घोषणा की है, जिससे रक्षा, दूरसंचार, उच्च तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स, परमाणु ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज़ोर
सरकार उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए अधिक विश्वविद्यालयों को छात्र ऋण सहायता देने पर विचार कर रही है। बीमा क्षेत्र में भी व्यापक सुधार किए गए हैं, जिससे विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है।
पीएम धन-धान्य कृषि योजना
कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 100 कम उत्पादन वाले जिलों में पीएम धन-धान्य कृषि योजना शुरू की गई है। इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा, जिससे उनकी कृषि उत्पादकता बढ़ेगी और सिंचाई सुविधाओं में सुधार होगा।
एमएसएमई के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत एमएसएमई को 100 करोड़ रुपये तक का गारंटी-मुक्त ऋण मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत, नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLIs) को 60% गारंटी कवरेज प्रदान करेगी। इस योजना से एमएसएमई क्षेत्र को वित्तीय सहायता मिलेगी और भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए उद्यमी के पास वैध उद्योग पंजीकरण संख्या (Udyam Registration Number) होना आवश्यक है। ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकती, हालांकि परियोजना की कुल लागत अधिक हो सकती है। साथ ही, परियोजना लागत का कम से कम 75% मशीनरी या उपकरण खरीदने के लिए होना चाहिए।
SWAMIH इन्वेस्टमेंट फंड से घर खरीदारों को राहत
मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने SWAMIH (स्पेशल विंडो फॉर अफोर्डेबल एंड मिड-इनकम हाउसिंग) फंड के तहत लाभार्थियों को प्रतीकात्मक चाबी सौंपी।
अब तक SWAMIH फंड ने 50,000 से अधिक घरों की डिलीवरी सफलतापूर्वक की है और अगले तीन वर्षों में हर साल 20,000 और घर पूरे करने का लक्ष्य है।
बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100% तक बढ़ाने का प्रस्ताव
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बीमा क्षेत्र में अधिक सुधार करने पर काम कर रही है, जहां 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि नागरिकों द्वारा बीमा प्रीमियम के रूप में भुगतान की गई राशि देश में ही बनी रहे।
एफडीआई (FDI) क्या होता है?
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) वह प्रक्रिया है जिसमें कोई विदेशी कंपनी या व्यक्ति किसी देश में स्थित व्यवसायों में सीधे निवेश करता है। इसका उद्देश्य पूंजी, तकनीक और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना होता है।
बीमा क्षेत्र में एफडीआई की नई नीति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषणा की कि सरकार बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति दे रही है। पहले यह सीमा 74% थी, जिसे अब बढ़ाकर 100% किया जा रहा है।
1.सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य
बीमा क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ाना: विदेशी कंपनियों से आने वाली पूंजी से बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे अधिक लोगों को कवर कर पाएंगी।
इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा बढ़ाना: नई विदेशी कंपनियों के आने से तकनीकी नवाचार और बेहतर ग्राहक सेवाएं देखने को मिलेंगी।
बीमा क्षेत्र का विस्तार: भारत में अभी भी बहुत से लोग बीमा सुरक्षा से बाहर हैं। इस कदम से बीमा उत्पादों को और अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा।
भारतीय ग्राहकों की सुरक्षा: सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय नागरिकों द्वारा बीमा प्रीमियम के रूप में दिया गया पैसा देश के अंदर ही बना रहे और विदेशी कंपनियां इसे पूरी तरह से बाहर न ले जा सकें।
2.बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
बीमा कंपनियों की पूंजीगत स्थिति होगी मजबूत
भारत की कई बीमा कंपनियों को विस्तार और संचालन के लिए अधिक पूंजी की जरूरत है। 100% एफडीआई की अनुमति से उन्हें विदेशी निवेशकों से सीधे वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे उनकी स्थिति मजबूत होगी।
नए बीमा उत्पाद और सेवाएं आएंगी
विदेशी कंपनियों की भागीदारी से नए बीमा उत्पाद, डिजिटल समाधान और वैश्विक स्तर की सेवाएं भारतीय बाजार में आएंगी। इससे ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे।
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
नए निवेश के साथ-साथ बीमा क्षेत्र में नई नौकरियों का सृजन होगा। अधिक बीमा कंपनियां अपने संचालन को बढ़ाएंगी, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा।
ग्राहकों को अधिक सुरक्षा और विश्वसनीयता मिलेगी
बीमा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से प्रीमियम दरें अधिक प्रतिस्पर्धी होंगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। इसके अलावा, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय नागरिकों की प्रीमियम राशि का बड़ा हिस्सा देश में ही निवेश हो, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ हो।
इनोवेशन और डिजिटल परिवर्तन होगा तेज
फिनटेक और डिजिटल बीमा सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा। नई तकनीक और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से क्लेम प्रोसेसिंग और ग्राहक सेवा में सुधार आएगा।
सरकार की सुरक्षा नीतियां और गाइडलाइंस
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई लाने के बावजूद, विदेशी कंपनियों पर कुछ गाइडलाइंस लागू रहेंगी, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा बनी रहे। इनमें शामिल हैं:
1.बीमा कंपनियों को भारतीय बाजार में पुनर्निवेश (Reinvestment) करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
2.बीमा पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए सख्त नियामक दिशानिर्देश लागू किए जाएंगे।
3.भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के बावजूद प्रबंधन और नियंत्रण भारतीय हाथों में रखने के उपाय किए जाएंगे।
निष्कर्ष
म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम एमएसएमई क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो वित्तीय चुनौतियों को हल करने और व्यापारिक विस्तार में मदद करेगा। यह योजना न केवल उद्यमियों को आसान ऋण प्रदान करेगी, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में भी योगदान देगी।