यूपी सरकार की कारीगरी को देश-विदेश में प्रसारित करने की नीति के तहत देश भर में इस तरह की 75 दुकानें खोलने का लक्ष्य रखा गया है। विदेशों में भी इस तरह की दुकानें खोलने की योजना बनाई गई है। ये कारीगरों की दुकान होगी, जिसमें प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के प्रशिक्षित कारीगरों के बनाए खास उत्पाद उपलब्ध कराए जाएंगे। मुरादाबाद के पीतल से लेकर चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने जैसे उत्पाद शामिल होंगे। यूपी की समिट बिल्डिंग में पहला एमएसएमई मार्ट बन कर तैयार है जिसका शुभारंभ 15 अगस्त को किया जाएगा।
यूपीकॉन के प्रबंध निदेशक प्रवीण सिंह ने बताया कि लखनऊ के शहीद पथ के पास स्थित समिट बिल्डिंग के सातवें फ्लोर पर यह मार्ट बनकर तैयार हो चुका है। प्रदेश की विभिन्न योजनाओं जैसे एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) आदि के जरिए प्रशिक्षण लेने वालों के बनाए उत्पाद यहां बिकेंगे। ऐसे ही मार्ट नोएडा, प्रयागराज, वाराणसी और आगरा में भी खोले जाएंगे। अगले चरण में बेंगलुरू, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में भी इसकी शुरुआत होगी। एमएसएमई मार्ट का फ्रेंचाइजी मॉडल भी बन रहा है।
फ्रेंचाइजी लेने के लिए व्यक्ति के पास पर्याप्त जगह होना जरूरी है, जहां लोग खरीदारी के लिए आ सकें। उद्यमिता की कोई ट्रेनिंग ली होगी तो उसे प्राथमिकता मिलेगी। इस तरह के मार्ट डिस्प्ले सेंटर हैं, ताकि लोग आनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से खरीदारी कर सकें। त्योहारों के मौसम में यह मार्ट लोगों को उपहार देने का मंच भी मुहैया कराएगा। इसके लिए उत्पादों पर विभिन्न छूट की भी घोषणा की गई है।
त्योहारों पर यह मार्ट लोगों को उपहार देने का प्लेटफॉर्म भी मुहैया कराएगा। प्रवीण सिंह ने कहा कि त्योहारों को देखते हुए उत्पादों पर विभिन्न छूट की घोषणा की गई है। खासतौर पर रक्षाबंधन के लिए यहा कई तरह के आफर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लोग यहा से खरीदारी करके अपने प्रियजनों को यूपी की कारीगारी वाले उत्पाद उपहार में दे सकेंगे।
फ्रैंचाइज क्या है
फ्रैंचाइज द्वारा आप किसी कंपनी के पहले से मशहूर ब्रांड नाम का प्रयोग करके उस बिजनेस को शुरु कर सकते है। फ्रैंचाइज बिजनेस में शुरुआती लागत बहुत कम लगती है।
यदि आप उस कंपनी के साथ फ्रेंचाइजी खोलने के लिए सहमति बना लेते हैं, तो उसके ब्रांड का नाम, उसके व्यापार करने का तरीका, उसके द्वारा तय किये गए निर्धारित मूल्य एवं तकनीकी आदि का उपयोग कर सकते है।आप अपने राज्य में उसकी शाखा शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको उस कंपनी के साथ अनुबंध करना पड़ता है और उसके लिए कुछ शुल्क भी देना पड़ता है।