रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने डाटा सेंटर बिजनेस को और मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स एलपी और डिजिटल रियल्टी इंक में आरआईएल ने 10 अरब डाॅलर के निवेश का ऐलान किया है। इस करार के बाद आरआईएल का अब सभी इंडियन एसवीपीज (स्पेशल पर्पस व्हीकल) में 33.33 प्रतिशत हिस्सा होगा, जिसे बीएएम डिजिटल रियल्टी के नाम से जाना जाएगा।
करार की यह खबर ऐसे समय में आई है, जब भारत में ज्यादातर लोग इस तरह की सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इससे देश में डाटा सेंटर कैपिसिटी के चौतरफा विकास की उम्मीद की जा रही है। अगले कुछ वर्षों में भारत में डाटा सेंटर की क्षमता कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय पहले से ही वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े मोबाइल डाटा उपभोक्ताओं में से हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म और गेमिंग जैसी विभिन्न डिजिटल सेवाओं तक पहुंच बढ़ने और चल रहे 5जी रोल-आउट के साथ इसमें काफी वृद्धि होगी। उद्यमों द्वारा 5जी उपयोग के मामलों को अपनाने से इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे डाटा-गहन प्रौद्योगिकियों को अपनाया जाएगा। जेनेरिक एआई तकनीक में चल रहे नवाचारों को हार्डवेयर और डाटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा सक्षम किया गया है, और इनकी आवश्यकता तेजी से बढ़ने वाली है। देश के भीतर व्यक्तिगत डाटा के स्थानीयकरण पर भी जोर दिया जा रहा है। ये ड्राइवर देश के डाटा सेंटर और गणना क्षमता आवश्यकताओं में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे।
भारत में डिजिटल रियल्टी ट्रस्ट और ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर का संयुक्त उद्यम (जेवी) डिजिटल सेवा कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को विकसित करता है। यह संयुक्त उद्यम उच्च गुणवत्ता वाले, उच्च कनेक्टेड और जरूरत के मुताबिक स्केलेबल डेटा सेंटर लगाता है। इस करार के बाद रिलायंस इस संयुक्त उद्यम में एक समान पार्टनर बन जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज इस जेवी की इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज में 6.22 अरब रुपये का निवेश करेगी, जिसका समय और तरीका जरूरत के हिसाब से निर्धारित किया जाएगा। इस नए संयुक्त उद्यम को 'डिजिटल कनेक्शनः एक ब्रुकफील्ड, जियो और डिजिटल रियल्टी कंपनी' के नाम से दोबारा रिब्रांड किया जाएगा।
भारत सरकार को धन्यवाद
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुरुआत में मरकरी होल्डिंग्स एसजी पीटीई लिमिटेड में 37.8 अरब डाॅलर का निवेश किया है, जो कनाडा की 'ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स एलपी (लिमिटेड पार्टनर्स)' और यूएस के रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट 'डिजिटल रियल्टी' का ज्वाॅइंट वेंचर है। इस ज्वाॅइंट वेंचर के जरिए देश में पहले ही चेन्नई और मुंबई में डाटा सेंटर बनाने का काम शुरू हो चुका है। रिलायंस ने एक बयान में कहा कि चेन्नई में 100 मेगावाट परिसर में संयुक्त उद्यम का पहला 20 मेगावाट (एमडब्ल्यू) ग्रीनफील्ड डाटा सेंटर (एमएए10) 2023 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। संयुक्त उद्यम ने कुछ समय पहले ही 40 मेगावाट डाटा सेंटर बनाने के लिए मुंबई में 2.15 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की घोषणा की थी।
इस करार को लेकर जियो प्लेटफाॅर्म लिमिटेड के सीईओ किरण थाॅमस ने कहा, "हम डिजिटल रियल्टी और हमारे मौजूदा व विश्वसनीय भागीदार ब्रुकफील्ड के साथ साझेदारी को लेकर बेहद उत्साहित हैं। यह साझेदारी हमें अपने उद्यम और छोटे और मध्यम बिज़नेस (एसएमबी) ग्राहकों को क्लाउड से वितरित अत्याधुनिक, प्लग-एंड-प्ले समाधान प्रदान करने और उनके डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करने तथा उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाने में मदद करेगी। हम डाटा केंद्रों को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने और उनके विकास व संचालन के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं, जो 2025 तक एक ट्रिलियन डाॅलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के भारत के दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण है।"
ब्रुकफील्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर (इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रमुख, भारत और मध्य पूर्व) अर्पित अग्रवाल ने कहा, "हम रिलायंस के साथ अपनी मौजूदा साझेदारी का विस्तार करने और भारतीय दूरसंचार, तकनीक और डाटा परिदृश्य में उनकी गहरी विशेषज्ञता को मंच पर जोड़ने से बहुत खुश हैं। डाटा सेंटर भारत में जीवन के हर पहलू में हो रहे डिजिटलीकरण का समर्थन करने के लिए आवश्यक सेवाएं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं। रिलायंस और डिजिटल रियल्टी के साथ मिलकर, हम भारतीय और वैश्विक कॉरपोरेट्स की डिजिटल परिवर्तन आवश्यकताओं के लिए सर्वोत्तम समाधान प्रदान करने के लिए तत्पर हैं।"
डिजिटल रियल्टी के मैनेजिंग डायरेक्टर और एशिया प्रशांत के प्रमुख सेरेन नाह ने कहा, "डिजिटल बिजनेस मॉडल को तेजी से अपनाने, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और भविष्य के आर्थिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका को पहचानने वाली सरकार के कारण भारत डाटा सेंटर उद्योग के लिए ज्यादातर अप्रयुक्त बाजार है। यह संयुक्त उद्यम भारत भर में संस्थागत गुणवत्ता वाहक और क्लाउड न्यूट्रल डाटा केंद्रों के विकास, स्वामित्व और संचालन के माध्यम से डिजिटल इंडिया को गति देने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे में तीन वैश्विक नेताओं को एक साथ लाता है।"
क्लाउड और प्लग-एंड-प्ले व्यवस्था
क्लाउड का मतलब ऐसे सॉफ्टवेयर और सर्विसेस से होता है, जो इंटरनेट पर रन करती हैं। ज्यादातर क्लाउड सर्विस को फायरफाॅक्स या गूगल क्राॅम जैसे वेब ब्राउजर पर एक्सेस किया जा सकता है। कुछ कंपनी डिटेक्टेड मोबाइल एप्लीकेशन भी ऑफर करती हैं, जैसे- गूगल ड्राइव, नेटफ्लिक्स, याहू, मेल, ड्राॅपबाॅक्स यह सब क्लाउड सर्विसेस है। इसका फायदा यह होता है कि आप इंटरनेट पर कनेक्शन के जरिए किसी भी डिवाइस पर कभी भी अपनी जानकारी का एक्सेस ले सकते हैं।
सामान्य अवस्था में फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन लेनी पड़ती है। फिर वहां बिजली, पानी, सड़क व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं विकसित करनी पड़ती हैं। फिर वहां उत्पादन शुरू हो पाता है। इन काम में अमूमन दो वर्ष और कभी-कभी ज्यादा भी लग जाते हैं। प्लग-एंड-प्ले व्यवस्था में कंपनियों को ये इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार मिलते हैं। वहां निवेशक आकर सीधे उत्पादन शुरू कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2020 में औद्योगिक विकास और निवेश की राह में आने वाली हर बाधा को दूर कर प्लग एंड प्ले मॉडल लाने का निर्देश दिया था।