अंतहीन तेजी की गति से शिक्षा इंडस्ट्री अपने अच्छे और बुरे दोनों समय से गुजरी है। यह सैक्टर न सिर्फ बहुत से बदलते चलनों को गवाह बन रहा है। बल्कि यह ज्यादा विस्तृत विकल्प का निर्माण कर छात्रों को उनके करियर के अनुसार और उनकी रूचि व उनकी क्षमता के अनुसार निर्णय लेने के विकल्प भी प्रदान कर रहा है।
तकनीक की ओर बढ़ते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह हमारें जीवन के साथ-साथ हमारी क्लासरूमों के लिए भी यह अत्यंत सामान्य हो गया है। गूगल का प्रयोग किसी प्रोजैक्ट की रिसर्च के लिए अब कोई लग्ज़री न रहकर बल्कि आधारभूत बात बन गया है। हालांकि अभी भी तकनीक का प्रयोग किस तरह से किया जाएं इस पर विवाद अभी भी चल रहा है मगर अब इसकी आवश्कता को ज्यादा समय के लिए टाला नहीं जा सकता।
भारतीय शिक्षा में बहुत से नए चलनों का जन्म हो रहा हैं और बहुत से मॉर्डन विचार चारों ओर बह रहें है जो भारतीय शिक्षा का कायापलट करने का वादा कर रहें हैं। चलिए, कुछ ऐसे ही विकल्पों को देखते हैं जोकि लर्निंग को बेहतर बनाने के लिए योजना बना रहें है।
शिक्षा और सहभागिता
लर्निंग को मजेदार और मस्ती भरा बनाना आवश्यक है ताकि लर्निंग या सीखने के स्टाइल की छवि को कम डरावना बनाया जा सकें। सीखने में एक महत्वपूर्ण तत्व है कि बच्चों को यह नहीं बोला जाना चाहिए कि उनके सोचने का तरीका गलत है, बल्कि उन्हें सकारात्मक तरीके से अंतर्दृष्टि का निर्माण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
यह तकनीक सुकरात के तरीके से सवाल पूछने का एक तरीका है और इसे शिक्षा में आवश्यक सोचने को प्रेरित करने के लिए लागू करना आवश्यक है विशेषतौर पर जब कोई नई अवधारणा को पेश करें। कई बार किसी अवधारणा का यूट्यूब विडियो, उस दिन की लर्निंग को सही शुरूआत प्रदान करने में मदद कर सकता है। हर अवधारणा और लर्निंग का स्टाइल बहुत से प्रयोग करने के लिए अवसर देता हैं और हर विषय को मजेदार व रोचक अवधारणा का बनाने में मदद करता है।
पेरेंटल इंगेजमेंट को डिजिटल बनाएं
इस डिजिटल युग में स्कूल और उनके बच्चों के साथ पेरेंट इंगेजमेंट बहुत ज्यादा डिजिटलाइज़ बन गया है। अभिभावक अब उनके बच्चों के स्कूल से और छात्र के द्वारा दिखाई गई प्रगति पर व्यक्तिगत तौर पर शिक्षक से कम्युनिकेशन प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें यह भी पता चल जाता है कि उनके बच्चें को कहां पर मदद की आवश्यकता है।
डिजिटल नागरिकता
वर्तमान में कहें या फिर भविष्य में डिजिटल नागरिकता शिक्षा पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू बन जाएगा क्योंकि यह छात्रों को सुरक्षित अवसर प्रदान करेगा सवाल करने के लिए, चर्चा करने के लिए और इसे सबसे सुरक्षित व तकनीक का सही प्रयोग करने के तौर पर देखा जाएगा।
डिजिटल नागरिकता का अर्थ है छात्रों को सही उपकरण और ज्ञान प्रदान करना तकि वे सही निर्णय ले सकें। छात्र सोशल मीडिया में कैसे और क्या शेयर करते है, इस बात पर माता-पिता और स्कूल का बहुत ही सीमित नियंत्रण होता है इसलिए छात्रों को शिक्षित करना आवश्यक हैं कि क्यों और कैसे वे सकारात्मक डिजिटल फुटप्रिंट का निर्माण करें जिस पर उन्हें गर्व हो जोकि किसी भी शैक्षिक पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक है।
मेकर स्पेस
लर्निग के आधुनिक दृष्टिकोण के आधार पर मेकर स्पेस छात्रों को उपयोग में लाने के लिए प्रेरित करता है। यह प्रयोगों और रचनात्मकता के माध्यम से न सिर्फ निर्माण के लिए बल्कि लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए। मेकर स्पेस एक अनुशासनात्मक है और इसमें वास्तव में सभी कौशलता के समूह और ज्ञान है जो छात्र अन्य कक्षओं में सीखते हैं।
रचनात्मकता अपने सर्वश्रेष्ठता पर
हर चीज जो हम करते हैं उसमें यह छात्रों को विज्ञान को देखने में मदद करेगा और गणितीय अनुपात के बारें में सोचने में सहायक साबित होगा। फिर चाहे हम पैनकेक बना रहें हों और उसमें अलग-अलग मात्रा में सामग्री का प्रयोग क्यों न कर रहें हो। समय को संगीत के बीट्स के माध्यम से मापने या यहां तक की अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान के प्रोजैक्टस पर काम करते हुए भी गणितीय अनुपात के बारें में सोचने में यह मदद करता है।
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