कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किसान इससे कैसे लाभ उठा पाएंगे। हम सब जानते हैं कि इस समय कृषि कार्यों के लिए श्रमिकों की बहुत बड़ी समस्या है। अगर कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा तो खाद और कीटनाशक के छिड़काव में किसानों को मदद मिलेगी। उन्हें इस काम के लिए श्रमिकों के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। हालांकि शुरुआत में इसका लाभ सिर्फ बड़े किसान उठा पाएंगे।
हाथ से खाद का छिड़काव करने पर ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है, जिससे लागत में इजाफा होता है। ड्रोन से छिड़काव पर इससे राहत मिलेगी। वहीं कीटनाशक का छिड़काव करने वालों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। जब यह काम मशीन से होगा तो इस समस्या का हल भी आसानी से निकल जाएगा।
सरकार लैंड रिकॉर्ड को डिजिटाइज कर रही है। ड्रोन से इस काम में काफी मदद मिलने की उम्मीद है। ड्रोन के उपयोग से समय की बचत होगी और काम में गड़बड़ी की आशंका कम हो जाएगी। साथ ही फसल आंकलन करने में भी यह काफी मददगार साबित हो सकता है, वहीं फसलों की देखरेख में भी इसकी मदद ली जा सकती है।
लीड्स कनेक्ट के चेयरमैन नवनीत रविकर ने ड्रोन से खेतों की सुरक्षा पर बात करते हुए कहा कि हम सरकार के साथ मिलकर रिसर्च कर रहे है। महलनवीस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर (एमएनसीएफसी) एक संस्था है डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की। उनके लिए हम रिसर्च कर रहे है।
सरकार ने जो ड्रोन नीति और उसके उपयोग से फर्टिलाइजर छिड़काव की बात कही थी उस पर हम सरकार की मदद कर रहे है। हम लोग कोशिश कर रहे है, की किसानों के बीच जागरूकता लाइ जाए कि वह किस तरह से अपने खेतों की सुरक्षा करें और अपनी फसलों को नुकसान होने से बचा सकें।
उन्होने बताया की हमने सिग्मा प्रोजेक्ट को बरेली में लांच किया था और उस दौरान हमने किसानों को टिकाऊ खेती के तरीके अपनाने और तकनीक के बारे में सलाह दी। ड्रोन और फर्टिलाइजर के छिड़काव के बारे में किसानों को जागरूक किया गया। हमने अपने प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग फतेहगंज पश्चिमी के ट्यूलिया गांव से की। इस पर अभी काम चल रहा है। बहुत जल्द इसके परिणाम लेकर भी आएगे।
प्रोजेक्ट को विस्तार से समझाने के लिए एक बैठक की गई जिसमें आसपास के क्षेत्रों से किसानों को बुलाया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए लीड्स कनेक्ट सर्विसेज के निदेशक घनश्याम खंडेलवाल ने कहा कि कई देशों में आधुनिक तकनीक के जरिए किसान अपनी पैदावार दोगुना से ज्यादा कर रहे हैं। हमारी कंपनी ऐसे किसानों को चिन्हित करेगी और पायलट प्रोजेक्ट के तहत उन्हें मिट्टी का सैंपल लेकर यह बताएगी कि उनके लिए कौन सी फसल ज्यादा लाभकारी होगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभ
अभी हम 2016 से प्रधान मंत्री फसल बिमा योजना से किसानों को क्लेम सर्विस मैनेजमेंट दे रहे है। जिससे उनका क्लेम एक्सेस करके क्लेम सेटलमेंट करवा रहे है। हम 500 लोग है जो सारे डिस्ट्रिक्ट में फैले हुए है। उनसे जो हम डाटा बेस जेनरेट कर रहे है उससे हम एक प्लेटफॉर्म बना रहे है, जिससे हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडलिंग लैंग्वेज (एआईएमएल) का उपयोग करके सेटेलाइट की तकनीक और ड्रोन के जरिए उन्हे हम मदद देंगे। उस प्लेटफॉरम को भी बनाकर हम जल्द ही लॉन्च करने वाले है।
किसानों के फसल के संबंध में समस्याओं को दूर करने के लिए नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम कराएगी।
लीड्स कनेक्ट ऐसे आई एग्री बिजनेस में
नवनीत रविकर ने अपने व्यवसाय की शुरूआत पर कहा हमने जिस मॉडल के लिए अपने व्यवसाय की शुरूआत की वह सिर्फ कॉर्पोरेट के लिए था। कॉर्पोरेट में हम मैनेजमेंट को नुकसान होने से कैसे बचा सकते है। कॉर्पोरेट मे किस तरह के जोखिम हो सकते है, वहा पर जा कर हम इंस्पेक्शन करते थे की फायर इंस्टीग्यूशर लगे हुए है की नहीं, तो इस तरह से हमने अपने बिजनेस की शुरूआत की, फिर 2012-13 में हमे समज में आया की कॉर्पोरेट से ज्यादा किसानों को खेती करने और फूड सिक्योरीटी में सबसे ज्याद समस्या हो रही है। तब से हम लोगों ने एग्रीटेक की तरफ रूख किया। लीड्स कनेक्ट की स्थापना 2009 में हुई थी।
ऐसे करना चाहिए बिजनेस को शुरू
किसी भी बिजनेस की शुरूआत करने से पहले एक सॉलिड बिजनेस मॉडल होना चाहिए, चाहे वो एग्रीटेक हो, फिनटेक हो, या कोई भी एमएसएमई हो। अगर आपको बिजनेस मॉडल या वैल्यू प्रीपोजिशन पता है यानी की क्या आप सर्विस देना चाहते है, कौन सा प्रोडक्ट बनाना चाहते है, किस तरह से वह लाभकारी होगा, उस टारगेट सेगमेंट की जानकारी होना बहुत जरूरी है। इससे पहले आप कोई भी बिजनेस शुरू करें।
एमएसएमई में ये हैं 5 बड़े अवसर
1.एमएसएमई में सबसे जरूरी तो एग्रीटेक है जिसमें युवा और बाकी लोग निवेश कर सकते है।
2.एग्रीफिनटेक है, जिसमें डिजिटल लोन और डिजिटल सेवाएं किसानों को दी जा सकती है।
3. ड्रोन सर्विस
4. ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग या फिर इसके असेम्बल में बहुत सारे अवसर है।
5. एम्बड चिप और एम्बड सिस्टम को डेवलप करने के लिए माइक्रो चिप की मैन्युफैक्चरिंग हमारे यहा नही होती है। आने वाले समय में इस इंडस्ट्री में डेवलपमेंट दिखेगी आपको।
ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में ये है सरकार की योजना
केंद्र सरकार, प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत, अगले तीन वर्षों के दौरान ड्रोन मैन्युफैक्चरर और इसके कॉम्पोनेन्ट निर्माताओं को 120 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की पेशकश करेगी। ड्रोन कॉम्पोनेंनट के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को 30 सितंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था। पीएलआई योजना के लिए 23 लाभार्थियों की अनंतिम सूची में 12 ड्रोन मैन्युफैक्चरर और 11 ड्रोन कॉम्पोनेंनट मैन्युफैक्चरर शामिल थे।
एमएसएमई और गैर-एमएसएमई कंपनियों के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया अलग-अलग हैं। एमएसएमई को ड्रोन मैन्युफैक्चरर के लिए पीएलआई का लाभ उठाने के लिए 2 करोड़ रुपये की वार्षिक बिक्री की आवश्यकता है और ड्रोन कॉम्पोनेंनट मैन्युफैक्चरर को 50 लाख रुपये और उससे अधिक के वार्षिक बिक्री राजस्व की आवश्यकता है।
ड्रोन मैन्युफैक्चरर जो एमएसएमई में नही है उनकी वार्षिक बिक्री 4 करोड़ रुपये होनी चाहिए और ड्रोन कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरर के लिए वार्षिक बिक्री राजस्व का 1 करोड़ रुपये होना चाहिए।एमएसएमई और जो एमएसएमई नहीं है दोनों के लिए, शुद्ध बिक्री का कम से कम 40 प्रतिशत का मूल्यवर्धन होना चाहिए।