व्यवसाय विचार

वर्ष 2047 तक 50 लाख विदेशी छात्र उच्च शिक्षा के लिए आएंगे भारत

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Nov 29, 2023 - 3 min read
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उच्च शिक्षा क्षेत्र में हमें और भी ज्यादा प्रगतिशील, उन्नत और मौलिक होने की आवश्यकता है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था का पुनर्निर्माण करने की जरूरत है ताकि छात्रों को 'इंडस्ट्री रेडी' बनाया जा सके। यूनिवर्सिटीज को बड़े पैमाने पर एआई का प्रयोग करने की जरूरत है ताकि वे समय के अनुकूल और प्रतिस्पर्धी बने रह सकें।

नीति आयोग वर्ष 2047 को ध्यान में रखकर एक विजन डाॅक्यूमेंट तैयार कर रहा है, जिसमें शिक्षा की अलग भूमिका पर जोर डाला जा रहा है। डाॅक्यूमेंट में वर्ष 2047 तक हमारा लक्ष्य कम से कम पांच लाख विदेशी छात्रों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए भारत लाना रखा गया है। उच्च शिक्षा में हमें अपनी गुणवत्ता, ब्रांड वैल्यू और रैंकिंग को बेहतर बनाना है ताकि हम वैश्विक स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना सकें और उच्च शिक्षा प्रदाता के तौर पर खुद को साबित कर सकें।

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने आज '18वें फिक्की हाइयर एजुकेशन समिट 2023' को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत में हमें कई शैक्षणिक शहर तैयार करने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने निजी संस्थानों को उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी का देश में विस्तार करने के लिए आगे आने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों के साथ-साथ हम विदेशी छात्रों को भी भारत में उच्च शिक्षा के लिए आने के लिए आकर्षित करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमारे देश पहुंचें।

शिक्षा व्यवस्था का पुनर्निर्माण करने की जरूरत

सुब्रह्मण्यम ने जोर देकर कहा, उच्च शिक्षा क्षेत्र में हमें और भी ज्यादा प्रगतिशील, उन्नत और मौलिक होने की आवश्यकता है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था का पुनर्निर्माण करने की जरूरत है ताकि छात्रों को 'इंडस्ट्री रेडी' बनाया जा सके। भारतीय उच्च शिक्षा विभाग पर तकनीकी प्रभाव की महत्ता पर जोर डालते हुए उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र पर तकनीक का प्रभाव आने वाले दिनों में और भी ज्यादा देखने को मिलेगा। यूनिवर्सिटीज को बड़े पैमाने पर एआई का प्रयोग करने की जरूरत है ताकि वे समय के अनुकूल और प्रतिस्पर्धी बने रह सकें।

नीति आयोग के सीईओ सुब्रह्मण्यम ने कहा कि छात्र भारत का भविष्य हैं, जो अमृत काल में भारत की यात्रा के दौरान मुख्य भूमिका निभाएंगे। विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे छात्रों के विचारों को सही दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने भारत की विशाल जनसंख्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों के पास भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता का दोहन करने के लिए 25 वर्ष की अवधि है।

फिक्की उच्च शिक्षा समिति की अध्यक्ष और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर डॉ. विद्या येरवडेकर ने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र को एक अनुकूल इको-सिस्टम बनाने के लिए न केवल शिक्षा मंत्रालय बल्कि नीति आयोग सहित अन्य मंत्रालयों और थिंक टैंकों के समर्थन की भी आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है, जो विश्वविद्यालय परिसरों में शिक्षार्थियों और शोधकर्ताओं, दोनों के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा दे। यह पारिस्थितिकी तंत्र उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की पहचान को मूर्त रूप देगा।

देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर

फिक्की के महासचिव शैलेश के पाठक ने इस विषय पर कहा कि हमारे देश का भविष्य युवाओं और कार्यबल की उत्पादकता व कौशल-तत्परता पर निर्भर करेगा। यह बदले में तकनीकी परिवर्तन सहित उत्कृष्ट उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और आपूर्ति पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारत में उच्च शिक्षा के लिए एक बहुत प्रभावी खाका है।"

लिंक्डइन इंडिया के कंट्री मैनेजर आशुतोष गुप्ता ने कहा कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है। यह सिर्फ एक जनसांख्यिकीय लाभ से कहीं अधिक है, बल्कि यह वैश्विक प्रतिभा गतिशीलता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार अप्रयुक्त क्षमता का भंडार है।

फिक्की उच्च शिक्षा समिति के सह-अध्यक्ष और टीसीजी क्रेस्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रोफेसर सौविक भट्टाचार्य ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया, जिसके बाद फिक्की-ईवाई ज्ञान रिपोर्ट 'भारतीय उच्च शिक्षा का परिवर्तन: छलांग लगाने की रणनीतियां' जारी की गई।

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