संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस पर सीओपी-28 का आयोजन हुआ। इसके प्रेसीडेंसी सत्र में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विकासशील देशों को उनकी जलवायु महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने और उनके एनडीसी को लागू करने हेतु कार्यान्वयन के साधन, विशेष रूप से जलवायु वित्त उपलब्ध कराने की तात्कालिकता पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त को अधिक सुलभ, उपलब्ध और किफायती बनाना है। हमें मिलकर इसपर कार्य करना होगा। इस मौके पर मौजूद सभी वैश्विक नेताओं ने नए वैश्विक जलवायु वित्त प्रारूप पर संयुक्त अरब अमीरात के घोषणापत्र को अपनाया। घोषणा में जलवायु वित्त संबंधी सभी बातों के साथ ही अन्य प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करना, महत्वाकांक्षी परिणाम प्राप्त करना और जलवायु कार्रवाई के लिए रियायती वित्त स्रोतों को व्यापक बनाना शामिल किया गया है।
पीएम मोदी ने हानि और क्षति कोष के संचालन और सीओपी-28 में संयुक्त अरब अमीरात जलवायु निवेश कोष की स्थापना का स्वागत किया। उन्होंने जलवायु वित्त से संबंधित निम्नलिखित मुद्दों पर सक्रियता से विचार-विमर्श करने का आह्वान किया। इसमें सबसे पहले तो जलवायु वित्त पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य में प्रगति। दूसरा हरित जलवायु निधि एवं अनुकूलन निधि की पुनःपूर्ति तीसरा जलवायु कार्रवाई के लिए एमडीबी द्वारा किफायती वित्त उपलब्ध कराया जाना व चौथा विकसित देशों को 2050 से पहले अपने कार्बन उत्सर्जन को खत्म करने संबंधित विषयों पर गंभीरता से विचार करने और कार्य करने का आह्वान किया।
लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन हुआ लॉन्च
भारत और स्वीडन ने सीओपी-28 के दौरान लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन के दूसरे चरण की संयुक्त रूप से मेजबानी की। इससे पूर्व भारत और स्वीडन ने वर्ष 2019 में न्यूयॉर्क में यूएन क्लाइमेट एक्शन समिट में लीडआईटी को संयुक्त रूप से लॉन्च किया था। पीएम मोदी ने स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन के साथ दुबई में सीओपी-28 में 2024-26 की अवधि के लिए लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (लीडआईटी 2.0) को संयुक्त रूप से लॉन्च किया। यह दोनों देशों की सरकारों, उद्योगों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, शोधकर्ताओं और थिंक टैंक को आपस में जोड़ेगा। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि लीडआईटी 2.0 समावेशी एवं न्यायपूर्ण उद्योग परिवर्तन, निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी का मिलकर विकास एवं हस्तांतरण व उद्योग परिवर्तन के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने संबंधी बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।