बारहवीं के बाद छात्रों के समक्ष कई समस्याएं सुरसा की भांति मुंह बाए खड़ी रहती हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता कि वे कौन से क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। वे यह समझ पाने में भी अक्षम होते हैं कि आखिर कौन सी यूनिवर्सिटी और किस देश में जाकर आगे की शिक्षा लेना उनके बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा। ऐसी ही कई समस्याओं का समाधान आज टेक स्टार्टअप्स आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं, बस जरूरत इस बात की है कि छात्र अपने जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले एक बार शिक्षा के इन मंचों तक अवश्य पहुंचें।
एडटेक स्टार्टअप्स छात्रों के लिए विदेश में अध्ययन को किस तरह से आसान बना रहे हैं, जानने के लिए हमने कुछ टेक स्टार्टअप कंपनियों से बातचीत की। 'द बिग लीग' और 'एडमिटकार्ड' के सह-संस्थापक पीयूष भारतीय ने 'अपाॅरच्युनिटी इंडिया' की वरिष्ठ संवाददाता सुषमाश्री से इस बारे में विस्तार से चर्चा की। पेश हैं उसके मुख्य अंश...
विदेश में अध्ययन के इच्छुक छात्रों के सामने कई समस्याएं आती हैं। उनमें से हम चार तरह की मुख्य समस्याओं का समाधान करते हैं।
एक्सेसेबिलिटी
पहला- एक्सेसेबिलिटी, क्योंकि बहुत से छात्र टियर टू, टियर थ्री सिटीज से आते हैं। चूंकि, अब तक उन्होंने रिमोट यानी पिछड़े इलाकों के इंजीनियरिंग काॅलेज से पढ़ाई की होती है, इसलिए गुणवत्ता पूर्ण (क्वालिटी) गाइडेंस तक उनकी पहुंच नहीं होती। टेक्नोलाॅजी स्टार्टअप्स के पास हाई क्वालिटी गाइडेंस देने की समर्थतता है। उनके पास उच्च स्तरीय और नाॅलेजेबल काउंसलर्स हैं, जो उनके टेक प्लेटफॉर्म्स के जरिए सदैव उपलब्ध होते हैं।
पर्सनलाइजेशन
दूसरी समस्या पर्सनलाइजेशन की है। चूंकि आज के ज्यादातर काउंसलर्स पूर्णतः स्वतंत्र हैं, इसलिए इस क्षेत्र से जुड़ा उनका ज्ञान और उनकी सोच भी बिलकुल अलग है। वहीं, टेक स्टार्टअप्स पूरी दुनिया में मौजूद हजारों यूनिवर्सिटीज के हजारों कोर्सेस में से किसी ख़ास छात्र के लिए जो सबसे बेहतर होगा, बताने में पूर्णतः सक्षम होते हैं। टेक स्टार्टअप्स, निजी रूप से हर एक छात्र के व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर उसके लिए जो सबसे बेहतर हो, और जिससे भविष्य में उसके पास बेहतर अवसर मौजूद हों, के लिए एक पूरा सेटअप बताने में पूरी तरह से सक्षम हैं। इसके अलावा वे यह बताने में भी सक्षम हैं कि किसी छात्र के लिए कौन सा देश, कौन सा कोर्स और कौन सी यूनिवर्सिटी का चुनाव सबसे बेहतर होगा। कह सकते हैं कि टेक स्टार्टअप्स छात्रों के उच्च व्यक्तिकरण के पैमाने को बढ़ाने में पूर्णतः सक्षम हैं।
भरोसा लाने में सक्षम
तीसरा- टेक स्टार्टअप्स इस प्रोसेस में तुलनात्मक रूप से ज्यादा भरोसा लाने में सक्षम हैं, खासकर जब हम एडमिटकार्ड की बात करते हैं। मेंटर्स की मदद से एडमिटकार्ड ने आज अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का एक नेटवर्क तैयार कर लिया है। अपने सीनियर्स या पूर्व छात्रों के साथ हम शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से देश से बाहर जाने की इच्छा रखने वाले इन नए छात्रों को कनेक्ट कर देते हैं, ताकि उन देशों में शिक्षा की वास्तविक जमीनी हकीकत को वे अच्छी तरह समझ सकें। साथ ही, उस विशेष डोमेन में आगे की पढ़ाई करने से जुड़ी जरूरी बातों को भी समझ सकें। यह भी समझ सकें कि वहां जाॅब के मौके कितने हैं। वहां के खर्चे कैसे हैं। ऐसे हर तरह के पर्सनल और प्रोफेशनल आउटकम, जिनसे जुड़ी जानकारी ये छात्र लेना चाहते हैं, हमारे उन पुराने छात्रों से वे आसानी से ले सकते हैं, जो पहले से ही वहां रहकर अध्ययन कर रहे हैं। इस तरह से अन्य छात्रों के साथ संपर्क स्थापित करवाकर विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को पूर्णतः आश्वस्त करने का काम एडमिटकार्ड पूरी सक्षमता के साथ कर रहा है।
एक ही छत के नीचे सारी सेवाएं
इसके अलावा चौथी समस्या यह है कि छात्रों को सारी सेवाएं एक ही छत के नीचे मिल सकें। पहले छात्रों को एजुकेशन लोन के लिए अलग जगह पर जाना होता था। विदेश में समय पर धन पहुंचता रहे, आवास संबंधित किसी भी तरह की समस्या न आए, इसके लिए उन्हें अलग-अलग जगह पर जाना पड़ता था... वगैरह। टेक स्टार्टअप्स के इस दौर में आज हर चीज सुविधापूर्ण और व्यवस्थित है। उनका यह सफर भी उच्च स्तरीय मानकों को पूरा करता है। छात्रों को पहले ही यह बता दिया जाता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और कब करना चाहिए। यह पूरा प्रोसेस सिंगल विंडो के तहत टेक स्टार्टअप्स के पास पहुंचकर पूर्णतः व्यवस्थित हो जाता है।
विदेशों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने के छात्रों के उद्देश्य को पूरा करने में जो समस्याएं आती हैं, उनमें से इन चार क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने में टेक स्टार्टअप्स, खासकर एडमिटकार्ट काफी मदद कर रहा है।