व्यवसाय विचार

वैश्विक विश्वविद्यालय बनने की दिशा में बढ़ रहा आईसीएआर: राष्ट्रपति

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 09, 2024 - 3 min read
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इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में अतुलनीय योगदान किया है। इस संस्थान ने न केवल कृषि से जुड़े अनुसंधान एवं विकास कार्यों को दक्षतापूर्वक पूरा किया है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसी जानकारी प्रयोगशाला के बाहर धरातल पर जाकर मूर्त रूप ले सके।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (9 फरवरी, 2024) को नई दिल्ली में आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 62वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत को खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का योगदान अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने न केवल कृषि से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसे अनुसंधान जमीन पर दिखें। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संस्थान ने 200 से अधिक नई प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। आईएआरआई ने 2005 और 2020 के बीच 100 से अधिक किस्में विकसित की हैं और इसके नाम पर 100 से अधिक पेटेंट हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक बड़ी आबादी का जीविकोपार्जन खेती से होता है। भारत की जीडीपी में कृषि का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हमारी अर्थव्यवस्था का यह आधार यथासंभव बढ़े और इसमें किसी तरह की कोई बाधा न आए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने और सुचारू सिंचाई प्रणाली प्रदान करने के लिए काम कर रही है। सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए सभी फसलों के एमएसपी में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की है।

इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में अतुलनीय योगदान किया है। इस संस्थान ने न केवल कृषि से जुड़े अनुसंधान एवं विकास कार्यों को दक्षतापूर्वक पूरा किया है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसी जानकारी प्रयोगशाला के बाहर धरातल पर जाकर मूर्त रूप ले सके। मुझे खुशी है कि किसानों के साथ वैज्ञानिकों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक अभिनव पहल 'मेरा गांव मेरा गौरव' की शुरुआत की गई है। आईएआरआई के बहुआयामी कार्यों ने देश के कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में लगातार वृद्धि सुनिश्चित की है। इसके लिए मैं आईएआरआई परिवार की विशेष सराहना करती हूं। स्थापना के बाद से ही यह संस्थान देश के लिए मानव-संसाधन विकसित करने का कार्य कर रहा है। मुझे बताया गया है कि आईएआरआई के अंतर्गत कई स्कूल्स हैं, जैसे- स्कूल ऑफ क्राॅप इंप्रूवमेंट, स्कूल ऑफ प्लांट प्रोटेक्शन, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, स्कूल ऑफ नैचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, स्कूल ऑफ हाॅर्टिकल्चरल साइंस। ये सभी स्कूल्स अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

आईएआरआई ने कृषि विकास के लिए निरंतर कार्य किया है। इस संस्थान ने 200 से ज्यादा नई तकनीकों का विकास किया है। वर्ष 2005 से 2020 के बीच ही आईएआरआई ने 100 से ज्यादा वराइटीज विकसित की है और 100 से ज्यादा पेटेंट्स अपने नाम की हैं। खुशी की बात यह है कि अनुसंधान के साथ-साथ अब यह संस्थान अब एक वैश्विक विश्वविद्यालय बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस संस्थान ने अब तक लगभग 500 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की हैं। पड़ोसी देशों में मानव संसाधन विकास कार्य करके आईएआरआई ने न केवल 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के दर्शन का परिचय दिया है, बल्कि भारत की साॅफ्ट पावर को भी बढ़ाया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी किसानों और कृषि से जुड़ी समस्याओं से परिचित हैं। हमारे कई किसान भाई-बहन आज भी गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। हमें किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य तथा उन्हें गरीबी के जीवन से समृद्धि की ओर बढ़ाने का काम सुनिश्चित करने के लिए और अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2047 में जब भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा तो भारतीय किसान इस यात्रा के अग्रदूत होंगे।

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