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- शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सरकार के ई-सिगरेट पर रोक लगाने के निर्णय की निंदा
अपने निर्णय के समर्थन में कोई प्रमाण ना होने के बाजवूद, केंद्र शासन ने सभी राज्य सरकारों के लिए ई-सिगरेट पर रोक लगाने के लिए जारी किए गए परामर्श पर शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है।
पूरे विश्व में, 55 देशों ने निकोटीन ई-सिगरेट और ई-द्रव्यों को उपभोक्ता माल मानते हुए उसकी बिक्री को विधिसम्मत किया है। ये देश वैपिंग (भाप लेना) को सिगरेट के धुएं से कहीं अधिक सुरक्षित विकल्प मानते हैं।
दी अल्टरनेटिव्ज के दीपक मुकर्जी कहते हैं, " वैपिंग में धुआं नहीं होता है। इसमें निकोटिन, जो कि टोमैटो, आलू और ब्रोकली जैसी सब्जियों में भी होता है, को गर्म कर भाप बनाई जाती है और उसे इस्तेमाल किया जाता है। तम्बाकू जलाकर बनने वाले धुंए का इसमें कोई स्थान नहीं होता है। "
शिलांग की नार्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट्री विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. एन शरण कहते हैं, "ई-सिगरेट में कैंसर उत्पन्न करने वाले कारकों की 90-92% इतनी उच्च मात्रा में कटौती होती है। सरकार ने कैंसर के खिलाफ की अपनी लड़ाई में ऐसी नीति बनाना जरूरी है, जिसमें धूम्रपान करने वालों को ई-सिगरेट की और मुड़ना का विकल्प हो।"
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा प्रकाशित एक विशेषज्ञ स्वतन्त्र प्रमाण निरिक्षण के अनुसार, ज्वलनशील सिगरेट के मुकाबले ई-सिगरेट 95% कम हानिकारक होती है और धूम्रपान छुड़ाने में मदद करती है।
वैकल्पिक निकोटीन उत्पादों के जरिए धूम्रपान से छुटकारा और उसकी हानियों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने वाले 'दी एनुअल रिव्यु ऑफ़ पब्लिक हेल्थ इन यूनाइटेड किंगडम' के अनुसार, धूम्रपान छोड़ने वाले व्यक्तियों के लिए ई-सिगरेट्स एक मददगार विकल्प के रूप में उभर रही हैं। वैपिंग की तुलना में धूम्रपान कहीं अधिक हानिकारक है और ताउम्र धूम्रपान करने वाले आधे से अधिक लोगों की समय से पहले जान लेता है। अन्वेषकों ने ये पाया है कि धूम्रपान छोड़ कर ई-सिगरेट अपनाने वालों के स्वास्थ्य में लक्षणीय सुधार पाया गया है।
दी एसोसिएशन ऑफ़ वैपर्स इंडिया कहते हैं, "कम हानिकारक विकल्पों द्वारा धूम्रपान करने वालों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सकता है। सरकार ने अब तक ये आदत छुड़ाने के लिए तम्बाकू के उपयोगकर्ताओं को भावनात्मक आह्वान करने पर जोर दिया है। लेकिन कभी कोई विकल्प पेश नहीं किया है सिवाय गम्स और पैचेस के, जिनका सफलता दर बहुत कम रहा है। एक ओर जहां सरकार की घोषित योजना उपभोक्ताओं को सभी उत्पाद और सेवाओं को व्यापक चुनाव देने की है। वहीं ई-सिगरेट पर रोक लगाने का ये प्रयास प्रतिगामी है।"