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- शिक्षा ऐसी हो, जो सभी के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में योगदान करेः प्रो. प्रेम व्रत
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के चेयरमैन और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स प्रोफेसर प्रेम व्रत आंत्रप्रेन्योर इंडिया के 'एजुकेशन कांग्रेस एंड अवार्ड्स 2024' कार्यक्रम में बतौर जूरी सदस्य पहुंचे। इस दौरान उन्होंने 'हमारी शिक्षा प्रणाली को टिकाऊ और भविष्यवादी कैसे बनाएं', मुद्दे पर अपने विचार रखे। पेश हैं उनके मुख्य अंश...
प्रोफेसर प्रेम व्रत ने कहा, हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का लक्ष्य शिक्षा को समग्र, लचीला, मॉड्यूलर, बहु-विषयक मूल्य आधारित और गुणवत्ता केंद्रित, संकाय-संचालित लेकिन छात्र केंद्रित बनाना है। एक स्थायी और भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए जरूरी है कि हम अपनी भावी पीढ़ियों को शिक्षित करने के तरीके का पुनर्मूल्यांकन करें और उसमें क्रांतिकारी बदलाव लाएं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक टिकाऊ और भविष्यवादी शिक्षा प्रणाली से हमारा क्या मतलब है और यही सबसे महत्वपूर्ण भी है। शिक्षा प्रणाली की स्थिरता से अर्थ न केवल पर्यावरणीय स्थिरता से है बल्कि इसमें सामाजिक और आर्थिक स्थिरता भी शामिल है। शिक्षार्थियों को तेजी से बदलती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्यों से लैस करना चाहिए, खासकर एक स्थायी शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए यह सबसे आवश्यक है। इसके अलावा, भावी पीढ़ियों के लिए आवश्यक संसाधनों को संरक्षित करना और बढ़ाना भी आवश्यक है।
भविष्यवादी शिक्षा प्रणाली
इसी तरह, एक भविष्यवादी शिक्षा प्रणाली भविष्य की जरूरतों का अनुमान लगाती है और उन्हें अपनाती भी है। यह उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाता है, आलोचनात्मक सोच और नवाचार को बढ़ावा देता है, और छात्रों को उन नौकरियों और उद्योगों के लिए तैयार करता है, जो अभी तक अस्तित्व में नहीं हैं। यह पारंपरिक सीमाओं को पार करता है और आजीवन सीखने और अनुकूलनशीलता को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।
हमें अन्य सामाजिक प्रणालियों के साथ शिक्षा के अंतर्संबंध को भी पहचानना चाहिए। शिक्षा अलगाव में मौजूद नहीं हो सकती; यह हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे पर्यावरण, हमारी संस्कृति और हमारी राजनीति से गहराई से जुड़ा है। इसलिए, एक टिकाऊ और भविष्यवादी शिक्षा प्रणाली बनाने के किसी भी प्रयास में सभी विषयों और क्षेत्रों का सहयोग शामिल होना चाहिए।
डिजिटल साक्षरता अब वैकल्पिक नहीं
सच्ची शिक्षा में केवल तथ्यों और आंकड़ों को याद रखने के अलावा और भी बहुत कुछ शामिल है। हमें रचनात्मकता, सहानुभूति, लचीलापन और अन्य आवश्यक जीवन कौशल का पोषण करना चाहिए, जो छात्रों को तेजी से जटिल दुनिया में नेविगेट करने में हमें सक्षम बनाएगा। शिक्षकों की भूमिका छात्रों को केवल सूचित करने और उनका मूल्यांकन करने के बजाय उन्हें हर क्षेत्र में शामिल करना, बेहतर करने के लिए सदा प्रेरित करना और उनकी सोच बदलना या उन्हें सही दिशा देना भी बन जाती है।
प्रौद्योगिकी का उपयोग सीखने और नवाचार के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए। डिजिटल साक्षरता अब वैकल्पिक नहीं है, यह 21वीं सदी में आवश्यक एक मौलिक कौशल है। हालांकि, हमें डिजिटल विभाजन के प्रति भी सचेत रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी तक पहुंच सभी छात्रों के लिए समान हो। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि कोई भी तकनीक किसी प्रतिभाशाली, प्रतिबद्ध और प्रेरक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती और न ही लेनी चाहिए। सह-शिक्षार्थी के रूप में शिक्षक और छात्र मिलकर सीखने का एक बेहतरीन अनुभव बनाते हैं।
पारंपरिक धारणाओं का पुनर्मूल्यांकन
हमें मूल्यांकन और मूल्यांकन प्रक्रिया की पारंपरिक धारणाओं का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और मूल्यांकन के वैकल्पिक रूपों को अपनाना चाहिए, जो छात्रों को विभिन्न तरीकों से अपनी समझ प्रदर्शित करने की अनुमति देते हैं। परियोजना आधारित ज्ञान; वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करना और ज्ञान को कौशल व सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ एकीकृत करना, रोजगार क्षमता बढ़ाने का समग्र लक्ष्य होना चाहिए। रोजगार और उद्यमिता पर भी फोकस होना चाहिए।
हमें आजीवन सीखने की संस्कृति विकसित करनी चाहिए। आज की VUCA (अस्थिर, अनिश्चित, जटिल, अस्पष्ट) दुनिया में परिवर्तन की गति अभूतपूर्व है, और जो कौशल हम आज हासिल करते हैं, वह कल अप्रचलित हो सकते हैं। इसलिए, शिक्षा को औपचारिक स्कूली शिक्षा के साथ समाप्त नहीं किया जाना चाहिए बल्कि यह आजीवन प्रयास होना चाहिए। कोई भी सीख हमें कैसे सीखना है, हमारा फोकस इस पर होना चाहिए। हमें अपनी शैक्षिक प्रथाओं में पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देनी चाहिए। किसी भी सर्कुलर इकॉनमी (चक्रीय अर्थव्यवस्था) के लिए रीड्यूज, रीयूज और रीसाइकल (कम प्रयोग, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण) के माध्यम से संसाधन का संरक्षण, एक महत्वपूर्ण मंत्र होना चाहिए।
शिक्षा में निवेश बढ़ाना चाहिए
छात्रों को (एक्टिव एजेंट्स ऑफ़ चेंज) परिवर्तन के सक्रिय एजेंट बनने के लिए भी हमें उन्हें सशक्त बनाना चाहिए, प्रेरित करना चाहिए। वे केवल ज्ञान के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं हैं, बल्कि शिक्षा और आसपास की दुनिया को आकार देने में सक्रिय भागीदार भी हैं। शिक्षण के पेशे में सकारात्मक सोच वाले महान दिमागों को आकर्षित करने के लिए भी हमें शिक्षा में निवेश बढ़ाना चाहिए।
टिकाऊ और भविष्यवादी शिक्षा प्रणाली बनाना, केवल एक ऊंचा आदर्श नहीं है, बल्कि यह एक तत्काल आवश्यकता भी है। एक वैश्विक समुदाय के रूप में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उसके लिए हमें अपनी भावी पीढ़ियों को शिक्षित करने के तरीके की आमूल-चूल पुनर्कल्पना से कम कुछ नहीं चाहिए। एक साथ काम करके और नवाचार व स्थिरता को अपनाकर, हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं, जहां सभी को आगे बढ़ने और सभी के उज्ज्वल भविष्य में योगदान करने का अवसर मिले।