जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करती है। उसी तरह नया कौशल हमें आगे बढ़ने और रोजगार देने में मदद करता है।
एजुकेशन इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट समिट में टाइम्स प्रोफेशनल लर्निंग के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अनीश श्रीकृष्ण ने कहा हम देशभर में छात्रों के कौशल को अच्छा बनाने और उन्हें एक मुकाम तक पहुंचाने पर काम कर रहे है ताकि उन्हे एक अच्छा रोजगार मिल सके जो भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छा प्रभाव डालेगे। उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु में एजुकेशन एंड इनोवेशन समिट 2023 में आंत्रेप्रेन्योर (इंडिया एंड एपीएसी) की एडिटर इन चीफ रितु मार्या ने इस विषय पर चर्चा की।
मार्या ने कहा कि उच्च शिक्षा और कौशल भारत की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हमने उद्योग को बदलते देखा है और टेक्नॉलोजी को नए उद्योगों के साथ जोड़ा जा रहा है ताकि लोग नए कौशल के साथ आगे आए और यह नया कौशल उन्हें नौकरी में सक्रिय बनाए रखेगा।
श्रीकृष्ण ने कहा हम दो तरह की चुनौतियां देखते हैं, पहला अनइंप्लॉयबिलिटी (नौकरी पाने या रखने के लिए आवश्यक कौशल, योग्यता या गुणों की कमी का होना) दूसरा अनइंप्लॉयड उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हम किस प्रकार सकल नामांकन अनुपात का सामना कर रहे हैं। ‘सरकार का कहना है कि नामांकन योग्य छात्रों में से केवल 27 प्रतिशत ही नामांकित हो पाते हैं जिसे वह 50 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है। हर साल लगभग तीन करोड़ छात्र उच्च शिक्षा से पास होकर बाहर निकलते हैं और उनमें से 50 प्रतिशत अनइंप्लॉयबल होते हैं, क्योंकि वह आगे की पढाई का भी नही सोचते हैं, तो इस तरह की चुनौतियां सामने आई हैं।‘
श्रीकृष्ण ने कहा ‘एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा है जिसका मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा, जिसे ब्लूम द्वारा इंडस वैली रिपोर्ट में साझा किया गया है। उन्होंने भारत के बारे में तीन बात बताई पहला 100 मिलियन (10 करोड़) लोग जो अर्थव्यवस्था में एक ट्रिलियन डॉलर का योगदान करते हैं, दूसरा अगले 95 मिलियन लोग जो अर्थव्यवस्था में कुछ बिलियन का योगदान करते हैं और तीसरा बिलियन लोग जो अर्थव्यवस्था में ट्रिलियन डॉलर का योगदान करते हैं। अब इन तीन परतों के बीच जो माइग्रेशन हुआ है मुझे लगता है कि जो ज्ञान एक जगह से दूसरी जगह में आता है तो वह भारत की अर्थव्यवस्था की क्षमता को बढ़ाता है।
उन्होंने कहा पूरे इकोसिस्टम में चुनौतियां बहुत समान हैं। हर स्तर पर अफोर्डेबिलिटी और पहुंच एक चुनौती है और फिर कृषि जैसा उद्योग हैं जिनमें माता-पिता को न केवल शिक्षा के लिए बल्कि समय अवधि के लिए भी भुगतान करना मुश्किल होता है। अगर कोई कमाने वाला व्यक्ति एक- दो साल के लिए विश्राम चाहता है तो भारत में यह संभव नहीं है, भले ही वह अपने करियर को अच्छा बनाना चाहे। इसलिए, हमें सिखने के साथ कमाने जैसी प्रणाली बनानी होगी।
ऑनलाइन शिक्षा के बारे में बात करते हुए श्रीकृष्ण ने कहा ‘विश्वविद्यालयों ने टाइम्सप्रो जैसी निजी कंपनियों के माध्यम से चयन करना शुरू कर दिया है। जब यूनिवर्सिटी छात्रों को स्टडी मटेरियल या कॉन्टेंट नहीं देती है तो यह कंपनी उस समस्या को हल करने के लिए आगे आई है।‘ ये कुछ सकारात्मक संकेत हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में लाभ और गैर-लाभकारी के बीच रहने के बजाय अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नई शिक्षा नीति की मदद से एक अच्छा काम किया है और वह डिग्री का लोकतंत्रीकरण है।
आज 3जी मोबाइल कनेक्शन पर भी किराने के दुकान वाले की बेटी या किसान का बेटा कमाते हुए सीखता है और यह विश्वास की एक बड़ी छलांग है जो सरकार ने ली है। इस सम्मेलन में ग्रेट लर्निंग के को-फाउंडर हरि कृष्णन नायर सहित विभिन्न उद्योग जगत के लीडर जैसे टीमलीज एडटेक के फाउंडर और सीईओ शांतनु रूज, आईएएन अल्फा फंड के मैनेजिंग पार्टनर विनोद केनी शामिल हुए।