शिक्षा एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग कार्य और विचार की नई पद्धतियाँ सीखते रहते हैं। उससे व्यवहार में ऐसे बदलाव लाने को बढ़ावा मिलता है, जिनसे मनुष्य की स्थिति में सुधार आए। छात्रों में एक सामजिक भाव की संस्कृति पनपने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सामाजिक मनोवैज्ञानिक आर. इस. बार्थ लिखते हैं, "एक छात्र के जीवन पर और स्कूल में उसकी हो रही शिक्षा पर शिक्षा विभाग, अधीक्षक, स्कूल बोर्ड इतना ही नहीं, स्कूल के प्रिंसिपल से भी उस स्कूल की संस्कृति का ज्यादा गहरा प्रभाव होता है।"
स्कूलों में धर्मनिरपेक्ष संस्कृति को अपना कर फ्रैंचाइज़र्स कई अलग अलग उद्देश्य पूर्ण कर सकते हैं। वो छात्रों को विरासत, लोग और समाज के बारे में सीखा सकते हैं, जिससे उनमें एक जिम्मेदारी और नागरिकता की भावना आकार लेगी। फ्रैंचाइज़र्स उनमें स्व-मूल्य और गौरव जगा सकते हैं, जिससे उनके आत्मविश्वास और विकास में वृद्धि होगी।
शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाएं विचारपूर्वक अपनी सांस्कृतिक विरासत प्रसारित करती हैं। संस्कृति शिक्षा का अभिन्न भाग है और उसका स्कूल के प्रशासन से गहरा सम्बन्ध है।
भाषा अहम् है
एजुकेशन फ्रैंचाइज़ी अपने सदस्यों को संचार के साधन मुहैया करवा रहे हैं। भाषा सामाजीकरण और शिक्षा में अहम् भूमिका अदा करती है। छात्रों ने अपने देश की स्थानीय भाषाओं से परिचित होना जरूरी है। इसीलिए लगभग हर स्कूल हिंदी, संस्कृत, उर्दू और अन्य कई भाषाओं में से चुनने का विकल्प देता है। शिक्षा-विशेषज्ञ बच्चों को अपनी भाषा का माध्यम चुनने देते हैं, क्योंकि उसी के ज़रिए वो अपनी संस्कृति की आत्मा को गहराई से जान सकते हैं।
परंपरागत समाजों की कहानियाँ
फ्रैंचाइज़र समाज के बुजुर्गों की मदद ले सकते हैं, क्योंकि वो शिक्षा के संस्कृतिकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके पास अक्सर ऐसी कहानियाँ और कौशल होते हैं, जिनके बारे में आज की पीढ़ी अनजान होती है। फ्रैंचाइज़र्स ऐसी कहानियाँ और कौशल टेप करके उन्हें देशी भाषाओं में और अंग्रेजी में लिखवा सकते हैं। वो ध्यानपूर्वक वर्तमान पाठ्यक्रम के साथ परंपरागत समाजों की कौशल, ज्ञान और कहानियों का मेल मिला सकते हैं, जिसके ज़रिए आज के छात्र कल अपनी विरासत से गौरवान्वित होने वाले शिक्षित नागरिक बनें।