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- शिक्षा व्यवसाय को इस तरह बढ़ा सकती है मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग
दि नेशनल रिपोर्ट ऑफ मेंटल हेल्थ ने बताया है कि 13 से 18 साल के बीच के युवा वर्ग की स्थिति भी इसी के समान है। बच्चों के विकास, विस्तार और समाजिक विकास के आधार पर शिक्षा संस्थानों को दूसरे स्थान के रूप में माना जाता है। देखा जाए तो मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम की बढ़ती मांग का कारण शिक्षकों द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य शिक्षा पर ज्यादा जोर देना है। परिणामस्वरूप शारीरिक स्वास्थ्य शिक्षा के निरंतर विकास के कारण इसे स्कूल के पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में जाना जाने लगा।
आज की भारतीय शिक्षा इंडस्ट्री लगातार छात्रों के मानिसक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए निरंतर कोशिश कर रही है ताकि छात्र स्वस्थ रहें और उसका भविष्य सुनहरा बन सके। यहां पर कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जिसकी मदद से आप अपने संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाव दे सकते हैं।
सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम को बढ़ावा
15 से 25 साल के उम्र के लोगों के मानसिक बीमारियों के बढ़ते बोझ के कारण वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ा विषय बनकर उभर रहा है। भारत में 1 से 16 साल के बच्चों में मनोवैज्ञानिक विकारों की वर्तमान दर 12.5 प्रतिशत है और 5 से 17 साल की बच्चों की 12 प्रतिशत। शिक्षक, स्कूल आधारित और उससे जुड़े ऐसे कार्यक्रम पेश कर सकते हैं जिसके विकास का मुख्य उद्देश्य शुरूआती बीच-बचाव, संकट निवारण, सकारात्मक सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देना और उन बच्चों का उपचार करना है।
मानसिक स्वास्थ्य गतिविधियां
90 के दशक के शुरुआत से मानसिक स्वास्थ्य गतिविधियों को भारतीय स्कूल पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ऐसी ही मानसिक स्वास्थ्य गतिविधियों की आवश्यकता पर जोर दिया है। शिक्षक होने के नाते आप ऐसे जागरुक कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं जिसमें छात्र मानसिक स्वास्थ्य विषयों और उसके कारणों पर बात कर सकते हैं। ऐसी गतिविधियां के माध्यम से वे छात्रों को इन मानसिक विकारों के शुरुआती लक्षणों, बचाव और देखभाल के बारे में शिक्षित कर सकते हैं।
काउंसलर को नियुक्त करें
एक शिक्षक के तौर पर आपका सर्वश्रेष्ठ निर्णय होगा यदि आप एक पेशेवर काउंसलर को नियुक्त कर लें। एक छात्र के शिक्षा के स्तर के आधार पर काउंसलर की भूमिका अलग-अलग हो सकती है। हालांकि ज्यादातर काउंसलर छात्र के मार्गदर्शन, व्यवहार संबंधी बातों को संभालने, बच्चे के अकादमिक प्रदर्शन को सुधारने और उनके भविष्य की योजना बनाने सहित अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देते हैं। एक काउंसलर प्रशासकों, शिक्षकों और माता-पिता के साथ कार्य करके स्वस्थ और रचनात्मक वातावरण बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही यह आपके ब्रांड की छवि के निर्माण भी मदद कर सकता है।