व्यवसाय विचार

शुद्ध रखना होगा दूध का कारोबार, नियामक हुआ सख्त, जानें क्या है पूरा मामला

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 09, 2023 - 4 min read
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अगर आप दूध का कारोबार करते हैं और उसे बेहतर से बेहतर बनाने पर पूरा जोर है। इसके लिए आप भरसक प्रयास भी कर रहे हैं। तो ऐसे मे जरूरी है कि आप एफएसएसएआई का हालिया जारी बयान जान लें। ताकि किसी भी तरह की लापरवाही न कर बैठें।

दूध का कारोबार कर रहे उद्मियों के लिए एक खास खबर है, अब यह कितनी अच्छी है या कितनी बुरी इसका अंदाजा तो आपको खुद ही लगाना होगा। लेकिन ग्राहकों के लिहाज यह अच्छी खबर है। दरअसल यह फैसला भी लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हाल ही में एफएसएसएआई यानी कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने लिया है। इस संबंध एक निर्देश जारी किया है। जिसमें यह साफतौर पर स्पष्ट किया गया कि दूध और दुग्ध संबंधी अन्य उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर या किसी अन्य मिश्रण को मिलाने की अनुमति नहीं है। इसके साथ ही प्राधिकरण ने कहा है कि दूध और दुग्ध उत्पादों में खाद्य संरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य मिश्रण) नियम, 2011 के परिशिष्ट-ए में वर्गीकृत पदार्थों का ही प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य सभी उत्पादों का प्रयोग वर्जित है। यानी कि प्राइवेट कंपनियां जहां जिम जाने वाले ग्राहकों को अतिरिक्त प्रोटीन के नाम पर प्रोटीन बाइंडर पिला रही थीं या पैकज्ड मिल्क बेंच रहीं थीं तो अब उसपर लगाम लग चुकी है।

अब अगर आपको दूध बेचना है तो उसमें किसी भी तरह की मिलावट के बजाए शुद्धता का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होगा। अगर आपके मन में चल रहा है कि आखिर यह है क्या? जो कि इतना नुकसानदायक है, जिसकी मनाही की गई है तो बतौर ग्राहक आप यह जान लें कि प्रोटीन बाइंडर एक ऐसा उत्पाद है, जो दूध या दूध संबंधी किसी भी उत्पाद में मिला दिया जाए तो यह उसमें प्रोटीन की मात्रा को बढ़ा देता है। ऐसे में जब कोई सामान्य व्यक्ति इसका सेवन करता है तो यह उसके लिए नुकसानदायक साबित होता है। हालांकि किसी एथलीट या फिर किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो इतना काम करता हो कि शरीर को जरूरत से ज्यादा मिलने वाला प्रोटीन पचा सके तो भी यह हानिकारक नहीं होगा। लेकिन एक बच्चे या फिर सामान्य व्यक्ति के लिए यह घातक साबित हो सकता है।


प्रोटीन बाइंडर अमूमन पैकज्ड प्राॅडक्ट्स में ज्यादा मिला होता है। साथ ही इसे जिस भी उत्पाद में मिलाते हैं तो मसलन दूध या अन्य संबंधित उत्पादों में तो इसका रंग भी थोड़ा अलग होता है। इसे दूध में मिलाएंगे तो दूध थोड़ा ज्यादा सफेद और गाढ़ा दिखेगा, वहीं दही गाढ़ा होने के साथ ही स्वाद में हल्का मीठा होगा। जबकि घरों में जमाया जाने वाला दही ऐसा बिल्कुल नहीं होता। वह चार से पांच घंटे के भीतर ही खट्टा हो जाता है। ऐसे में ज्यादा समय तक ऐसे दूध-दही का सेवन हमें बीमार कर सकता है। यह हमारी पाचन क्षमता को प्रभावित करता है। उल्टी या दस्त जैसी समस्याओं को बढ़ाता है। दूध में पहले से ही जरूरी पोषक तत्व होते हैं। सामान्य 250 ग्राम दूध में 8 से 10 ग्राम प्रोटीन होता ही है, वहीं 250 ग्राम सोया मिल्क में 10 ग्राम प्रोटीन व प्रोटीन बाइंडर मिले हुए 250 ग्राम दूध में 15 ग्राम के आसपास प्रोटीन होता है, जो कि आवश्यकता से अधिक है और यह हमारे शरीर को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

बेहतर तो यही होगा कि दूध का सेवन हमेशा प्लेन ही करें और अपने शरीर के वजन के हिसाब से जितनी आवश्यकता हो, उतना ही करें। यहां सामान्य लोग यानी कि जो कोई खास डेली ऐक्टीविटी नहीं करते या फिर बच्चों के लिए भी पैकज्ड दूध की बजाए सादे दूध का ही प्रयोग करें। इसका एक कारण यह भी है कि दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन अपने आप में ही अमीनो एसिड का सबसे अच्छा सो्रत होता है। यह अमीनो एसिड आसानी से पच जाने वाला होता है और इसमें खराब पोषण जैसी कोई समस्या नहीं होती। या यूं कहें कि दूध, दही या पनीर, इन सबमें उचित मात्रा में अपना महत्वपूर्ण पोषण होता है। ऐसे में दूध या उससे बनने वाले किसी भी उत्पाद में किसी भी अन्य तरह की मिलावट की आवश्यकता नहीं होती। हां अब यह अलग बात है कि बिना प्रोटीन बाइंडर के दूध-दही या फिर पनीर की क्वाॅलिटी से आपको थोड़ा समझौता करना पड़ सकता है। लेकिन बात जब आपकी सेहत की है तो आपके लिए यही फायदेमंद होगा।

दूध या अन्य दुग्ध उत्पादों में संशोधन की सख्त मनाही

एफएसएसएआई ने कहा कि तकरीबन प्रत्येक डेयरी उत्पाद में अद्वितीय और बेहतर स्वीकृत बनावट व अन्य संवेदी विशेषताएं शामिल होती हैं। ऐसे में दूध और दुग्ध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर जैसे किसी बाइंडिंग सामग्री को दूध व दुग्ध उत्पादों में शामिल करके उसकी बनावट या संवेदी मानदंडों को संशोधित करने करने की जरूरत नहीं है। यहां यह भी जान लें कि प्रोटीन बाइंडर भी एक तरह का प्रोटीन होता है जो दूध के मॉल्येक्यूल्स को जोड़ने का काम करता है। यानी कि इसके प्रयोग से दूध और उससे निर्मित होने वाले उत्पादों में गाढ़ापन आता है। एफएसएसएआई के अनुसार प्रोटीन बाइंडर मिलाने से दूध या दूध से बनने वाले पदार्थों को पचाने में दिक्कतें आ सकती हैं। इसका कारण यह है कि दूध या उससे संबंधित सभी उत्पादों की अपनी विशेषता होती है, जिसमें किसी भी तरह की मिलावट उस पदार्थ के मूल स्वरूप यानी कि उसकी विशेषता को प्रभावित कर सकती है। इसी के चलते दूध या किसी भी तरह के फूड आइटम में प्रोटीन बाइंटर मिलाने से मना किया गया है।

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