श्रीलंका में संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है। जो पिछले दो वर्षों में 70 प्रतिशत घटकर फरवरी 2022 के अंत तक केवल 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया है। देश पर 2022 में लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी ऋण है।
विदेशी मुद्रा संकट में कई कारकों ने योगदान दिया है। 21 अप्रैल, 2019 को तीन चर्च और तीन होटलों को निशाना बनाते हुए एक के बाद एक छह बम धमाके किए गए थे। जिसके के बाद से पर्यटन उद्योग में गिरावट के कारण श्रीलंका को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। जिसके कारण श्रीलंका में पर्यटकों के आगमन में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, महामारी के दौरान, विदेशी श्रमिकों से प्रेषण, जो कि श्रीलंका का अमेरिकी डॉलर का सबसे बड़ा स्रोत है, 2021 में 22.7 प्रतिशत घटकर 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था।
श्रीलंका संकट से भारत पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
भारत श्रीलंका के आर्थिक संकट के प्रभाव से अलग नहीं है। भूख और नौकरियों के नुकसान से प्रेरित होकर, भारत में शरण लेने के लिए द्वीप राष्ट्र के लोगों की संख्या में वृद्धि तेज़ी से हो रही है।
आर्थिक चुनौतियां
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत एक ट्रांसशिपमेंट हब यानी कि एक देश से दूसरे देश में एक्सपोर्ट किया जाता है, रूप में अपनी स्थिति को देखते हुए वैश्विक व्यापार के लिए कोलंबो के बंदरगाह पर काफी निर्भर रहता है। भारत के ट्रांसशिपमेंट कार्गो का 60 प्रतिशत बंदरगाह द्वारा नियंत्रित किया जाता है। भारत से जुड़े कार्गो, बदले में, बंदरगाह की कुल ट्रांसशिपमेंट मात्रा का 70 प्रतिशत हिस्सा है।
हालांकि, वर्तमान में, भारत से श्रीलंका में भेजे गए हजारों कंटेनर, जिनमें स्वयं की खपत के साथ-साथ ट्रांस-शिपमेंट कार्गो भी शामिल हैं। भारतीय बंदरगाहों पर श्रीलंका के लिए समान भेजा है।
केरल में एक ट्रांसशिपमेंट हब बनाने का काम शुरू हो गया है, यह भारत के हित में है, वही यह ट्रांसशिपमेंट हब श्रीलंका को अल्पावधि में आर्थिक संकट से राहत दिलाने में मदद करेगा।
इसके अतिरिक्त, भारत श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। भारत से एफडीआई 2005 से 2019 तक लगभग 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर दिया था। चीन और यूके के बाद, भारत 2019 में श्रीलंका के लिए 139 मिलियन अमेरिकी डॉलर के एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत था। भारत से मुख्य निवेश पेट्रोलियम खुदरा, पर्यटन और होटल, विनिर्माण, रियल एस्टेट, दूरसंचार, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्रों में है। श्रीलंका में कोई भी अस्थिरता इंडियन ऑयल, एयरटेल, ताज होटल्स, डाबर, अशोक लीलैंड, टाटा कम्युनिकेशंस, एशियन पेंट्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आदि जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों के हितों को प्रभावित कर सकती है, जिन्होंने श्रीलंका में निवेश किया है।
भारत को क्या- क्या अवसर मिलेंगा
देश के चाय बाजार में श्रीलंका द्वारा चाय की आपूर्ति अचानक रोक दिए जाने के बीच, भारत उसे पूरा करने लिए इच्छुक है। श्रीलंका, जो दुनिया का सबसे बड़ा चाय निर्यातक है, 12-14 घंटे की दैनिक बिजली कटौती के बीच चाय उत्पादन में भारी गिरावट से जूझ रहा है।
वही आयात करने वाले देशों के बाजारों पर कब्जा करने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार हो सकता है।
भारत ईरान और साथ ही तुर्की, इराक, अमेरिका, चीन और कनाडा जैसे नए बाजारों में अपने पहचान को मजबूत कर सकता है।
भारतीय कपड़ा उद्योग भी संकट के बीच लाभ की ओर आगे है क्योंकि भारतीय परिधान निर्यातकों को यूके, यूरोपीय संघ और यहां तक कि लैटिन अमेरिकी देशों से ऑर्डर मिलना शुरू हो गया है जहां भारतीय वस्त्रों की उपस्थिति बहुत कम या बिल्कुल नहीं थी। वित्तीय संकट आने से पहले, श्रीलंका के निर्यात में वस्त्र और वस्त्रों का योगदान लगभग आधा था। हालांकि, परिधान खंड में भी बिजली कटौती के कारण उत्पादन और आपूर्ति बाधित है।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि भारत इस अवसर का उपयोग श्रीलंका के साथ अपने राजनयिक संबंधों को संतुलित करने के लिए भी कर सकता है, जो चीन के साथ श्रीलंका की निकटता के कारण दूर रहे हैं। हालांकि, हाल के दिनों में, श्रीलंका की नीति भारत और चीन के प्रति झुकी हुई है, दोनों एशियाई शक्तियों को संतुलित करने का प्रयास स्पष्ट है। चूंकि खाद के मुद्दे पर चीन के साथ असहमति तेज हो गई है, श्रीलंका के अनुरोध पर भारत द्वारा खाद वितरण को दोनोपक्षो के संबंधों में सकारात्मक विकास के रूप में देखा जा रहा है।
इसके बाद श्रीलंका के लिए भारत ने हर तरह से आर्थिक और वित्तीय सहायता दृष्टिकोण का पालन किया गया है। इसमें भोजन, ईंधन और दवाओं के आयात के लिए क्रेडिट लाइनें शामिल हैं।
भारत श्रीलंका की किस प्रकार सहायता कर रहा है?
भारत ने 2021 के अंत से अबतक 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसमें 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रा विनिमय, 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण का आस्थगन और 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन शामिल है। ईंधन, भोजन और दवाओं का आयात किया।
तत्काल राहत के रूप में, भारत ने श्रीलंका में बिजली कटौती में वृद्धि को कम करने के लिए 40,000 मीट्रिक टन डीजल की लगभग चार खेप भेजी है। भारत ने भी द्वीप राष्ट्र को 40,000 टन चावल जल्द ही शिपमेंट में भेजा है।
इसके अलावा, श्रीलंका ने भी 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त सहायता का अनुरोध किया है। भारत ने त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म विकसित करने के लिए एक नए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा, भारत ने उत्तरी श्रीलंका में नए रिन्यूएबल एनर्जी एग्रीमेंट पर भी हस्ताक्षर किए हैं और इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।