देश में आठवीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स को उनकी योग्यता के आधार पर उत्तीर्ण करने और 'नो डिटेंशन पॉलिसी' वापस लेने से संबंधित निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधित) बिल 2019 को राज्यसभा ने पास कर दिया है। इस बिल पर लोकसभा की मुहर पहले ही लग चुकी है।
हालांकि बिल को राज्य सरकार के हाथ में सौंप दिया गया है। अब वो ये फैसला लेगी कि इसे लागू किया जाए या नहीं। पुरानी पॉलिसी के अनुसार अभी तक कक्षा आठवीं के बच्चों को अनुत्तीर्ण (फेल) नहीं किया जाता था।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने बताया कि 25 राज्य के शिक्षा मंत्री 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त करने के पक्ष में थे जबकि चार इसके रखना चाहते थे। अब बिल राज्य के हवाले कर दिया गया है जो ये निर्णय लेंगे कि बिल को समाप्त कर दिया जाए या रखा जाए।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'आठवीं कक्षा तक कोई भी बच्चा फेल नहीं होता था क्योंकि उनके एग्जाम नहीं होत थे। लेकिन कक्षा नौ में 20 प्रतिशत और 10वीं में भी करीब 20 प्रतिशत तक स्टूडेंट्स फेल हो जाते थे। लेकिन 'जो आपने पढ़ा है वो सीखा नहीं है' ये शिक्षा नहीं है। अगर कोई बच्चा कक्षा में फेल होता है तो ये शिक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वो उसे दो महीने अलग से क्लास दे और उसके बाद वो बच्चा फिर से एग्जाम में बैठे।'