केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन को मिलने वाली सब्सिडी को घटाने का फैसला किया है, जिसके बाद इस योजना को 1 जून 2023 से लागू किया गया। फेम इंडिया योजना को दो चरणों में बांटा गया है।
पहला फेम 2015 में शुरू हुआ और 31 मार्च, 2019 तक चालू रहा। दूसरा फेम अप्रैल 2019 में शुरू हुआ और 31 मार्च, 2022 तक जारी रहा। हाल ही में केंद्र सरकार ने फेम2 को 31 मार्च, 2024 तक आगे बढ़ाया है।
फेम-1
योजना के पहले चरण के दौरान अधिकारियों ने चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है जैसे की डिमांड क्रिएशन, टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म, पायलट प्रोजेक्ट और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर।
इस फेज में केंद्र सरकार ने 427 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किये। सरकार ने पहले चरण के खर्चों को कवर करने के लिए 895 करोड़ रूपये आवंटित किए, जहां लगभग 2.8 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को मदद देने के लिए लगभग 359 करोड़ रुपये प्रदान किए गए।
फेम-2
फेम इंडिया योजना के दूसरे फेज में सरकार का ध्यान सार्वजनिक और परिवहन के विद्युतीकरण पर है। सरकार ने इस फेज के लिए 10,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया। यह योजना विभिन्न श्रेणियों के वाहनों, जैसे इलेक्ट्रिक दोपहिया, इलेक्ट्रिक चार पहिया, हाइब्रिड चार पहिया, ई-रिक्शा और ई-बसों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।
फेम-2 का क्या है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया की फेम-2 सब्सिडी को मौजूदा 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट प्रति घंटा से घटाकर 10,000 रुपये प्रति किलोवॉट कर दिया। वाहन के एक्स-फैक्ट्री मूल्य की 40 प्रतिशत की मौजूदा अधिकतम सब्सिडी सीमा को भी घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।
यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योकि इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए व्यय इस योजना की मार्च 2024 की समय सीमा से कुछ महीने पहले समाप्त होने वाली थी। सरकार पहले ही इस योजना के तहत लक्ष्य बनाए गए ईवी दोपहिया वाहनों के लगभग 80 प्रतिशत को सब्सिडी वितरित कर चुकी है।
इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय की ओर से फेम स्कीम पेश की गई थी। सरकार को इस स्कीम से काफी उम्मीदें थीं। देश में इलेक्ट्रिक वाहन के चलन को बढ़ावा देने में फेम स्कीम का काफी बड़ा योगदान है इसलिए सरकार ने स्कीम का दूसरा फेज यानी फेम 2 स्कीम भी पेश कर दिया, हालांकि कुछ समय पहले ईवी सब्सिडी को लेकर कुछ विवाद सामने आया।
खबरों के अनुसार, कुछ इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों ने फेम 2 स्कीम का फायदा उठाने के लिए गलत तरीके का उपयोग किया। कई इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों के खिलाफ जांच बैठी गई। इलेक्ट्रिक स्कूटर पर सब्सिडी का फायदा लेने के लिए सरकार ने एक कीमत तय की है। अगर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की कीमत 1.50 लाख रुपये से ऊपर जाती है तो सब्सिडी का फायदा नहीं मिलेगा। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए कई ईवी कंपनियों ने अपने स्कूटर की कीमत को जानबूझकर कम किया, ताकि सब्सिडी का लाभ उठाया जा सके।
अब सरकार ने इन कंपनियों से सब्सिडी का पैसा वसूली करने की योजना बनाई है। दरअसल, पिछले साल से ही सरकार ने फेम 2 सब्सिडी की समीक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। कई कंपनियों ने गलत तरीके से विदेशों से पुर्जे आयात किए, जबकि इन्हें भारत में बने पुर्जों के तौर पर दर्शाया गया। ज्यादातर कंपनियां चीन से आयात किए सामान पर निर्भर रहीं। हालांकि, सब्सिडी का लाभ लेने के लिए भारतीय उद्योगों से 50 प्रतिशत कंपोनेंट्स और पार्ट्स लेना जरूरी है। वहीं, कुछ कंपनियों ने चार्जर और सॉफ्टवेयर को स्कूटर से अलग बेचा यानि चार्जर और सॉफ्टवेयर की कीमत स्कूटर की कीमत में नहीं जोड़ी गई, जिससे स्कूटर की कीमत 1.50 लाख रुपये से कम हो जाए। इन सभी गड़बड़ियों की वजह से सरकार ने कई कंपनियों की सब्सिडी रोक दी।
बीलाइव के सह-संस्थापक और सीओओ संदीप मुखर्जी ने फेम-2 पर कहा स्वामित्व की कुल लागत (टीसीओ) में वृद्धि का ईवी बिक्री पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, जिससे गिरावट आई है। हमने जून में 50 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी। ईवी के विकास को बढ़ावा देने के लिए, सरकार के लिए सहायक उपायों के साथ कदम उठाना महत्वपूर्ण है। सब्सिडी में क्रमिक कमी या ईवी वित्त के लिए कम ब्याज दरों की पेशकश से ईवी को खरीदारों के लिए अधिक किफायती बनाने में मदद मिल सकती है, जिससे स्वच्छ गतिशीलता समाधानों को अपनाने में निरंतर सुधार सुनिश्चित हो सकेगा।
फेम इंडिया योजना के लाभ
फेम इंडिया योजना विभिन्न लाभ प्रदान करती है जैसे पर्यावरण और ईंधन संरक्षण से संबंधित मुद्दों को कम करना, विभिन्न वाहन खंडों को सब्सिडी लाभ प्रदान करना, पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, चार्जिंग सिस्टम के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करना और आस-पास चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना। इन लाभों के लिए पात्र होने के लिए, आवेदकों को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं या इलेक्ट्रिक वाहन अवसंरचना प्रदाताओं की श्रेणियों में आना चाहिए।
फेम इंडिया योजना से संबंधित चुनौतियाँ और मुद्दे
भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन उत्पादन में तेजी लाने पर फेम पर सवाल उठाया जा रहा है, क्योंकि इन वाहनों की पर्याप्त मांग होगी या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता है। इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन भारतीय सड़क स्थितियों के लिए बेहतर अनुकूल हैं, और कई पश्चिमी शहरों में इलेक्ट्रिक स्कूटर राइड-शेयरिंग लोकप्रिय हो गई है। यह ट्रेंड भारत में शहरी परिवहन में क्रांति ला सकती है। लेकिन फेम योजना कार बैटरी के आकार के साथ प्रोत्साहन के मूल्य को सहसंबंधित करने के लिए छोटे वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करता है। परिणामस्वरूप, भारत में उत्पादित लगभग 95 प्रतिशत इलेक्ट्रिक दोपहिया मॉडल फेम-2 के तहत प्रोत्साहन के लिए पात्र नहीं होंगे।
फेम-3
केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम3 ) वित्तीय सहायता योजना के तीसरे चरण पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स के लिए है।
मुखर्जी ने फेम 3 पर कहा नए ईवी पर ज्यादा सब्सिडी (ईवी लागत का 30 प्रतिशत) रेट्रोफिट वाहनों तीन और दो पहिया वाहन के लिए सब्सिडी और पुराने आईसीई दो पहिया वाहन को ईवी में बदलने पर होगा लाभ।