केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के स्कूल के भीतर के अनुभव को बेहतर और अच्छा बनाने के लिए स्कूलों में बदलाव के लिए कार्य कर रही है। शिक्षा बोर्ड स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा और ब्रेल लिपि को एक विषय के तौर पर कंप्यूटर आधारित टेस्ट, उपस्थिति नियम में बदलाव और विषयों के चुनाव के नियम में लचीलापन देने का विचार कर रही है।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह प्रस्ताव दिया गया है कि भारतीय सांकेतिक भाषा या ब्रेल को एक भाषा के तौर पर लिया जाए ताकि बोर्ड के द्वारा दिए गए फार्मेले को संतुष्ट किया जा सके।'
समावेश को प्रोत्साहन देना
सीबीएसई विशेष आवश्यकताओं के बच्चों के लिए समान सिस्टम की कल्पना कर रहा है जिसकी मदद से वे समान पैटर्न में परिक्षाओं में हिस्सा ले सकें। इस कदम से स्कूलों में समावेश को प्रोत्साहन मिलेगा और इन विशेष आवश्यकताओं के छात्रों के प्रति समाज के रवैये को भी बदलेगा।बोर्ड किसी अन्य अनिवार्य भाषा की जगह पर भारतीय सांकेतिक भाषा को एक विषय के तौर पर पेश करना चाहता है। एक वरिष्ठ एचआरडी अधिकारी ने कहा, 'ऐसे बच्चों को छूट दी जानी चाहिए। पहले से ही मौजूदा बोर्ड परीक्षाओं में दो/एक अनिवार्य भाषा और भारतीय सांकेतिक भाषा को भाषा के तौर पर लेना चाहिए ताकि बोर्ड के दिए गए फार्मूले को भी संतुष्ट कर सके। इसी आधार पर ब्रेल को एक भाषा विकल्प के रूप में पेश किया जा सकता है।'
विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को लाभ
सीबीएसई ने शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए भी योजनाएं प्रस्तावित की हैं जिन्हें गतिविधि संबंधी परेशानी है। ऐसे छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास सामग्री की सिफारिश की गई है। वे हर ऑनलाइन सेशन के खत्म होने के बाद अपना टेस्ट दे सकते हैं।
तैयार की गई नीति के अनुसार, गंभीर दिव्यांग छात्रों के लिए उपस्थिति की आवश्यकता को भी बदला जा सकता है। स्कूलों को भी अपने ढांचे संबंधी दिशा निर्देश दिए गए है ताकि वे आसानी से उस में आ सकें। यह सिफारिश की गई है कि दिव्यांग छात्रों की सुविधा के लिए सभी स्कूलों की इमारतें बाधा रहित होनी चाहिए। स्कूल इमारत के सभी हिस्सों में रैम्प या लिफ्ट होनी चाहिए और उनकी जरूरतों के ध्यान में रख कर कम से कम एक शौचालय बनाया जाना चाहिए।
एक अधिकारी ने बताया कि जिन छात्रों को गतिशीलता संबंधी परेशानी है ऐसे बच्चों के लिए सीबीएसई ने ऑनलाइन क्लास निर्माण की सिफारिश की है। गंभीर दिव्यांग छात्रों की उपस्थिति नियम की आवश्यकता से मुक्त किया जा सकता है।