जम्मू कश्मीर में मिले लीथियम भंडार से भारत को एक बड़ी उम्मीद जागी है। भारत में 59 लाख टन लीथियम का भंडार मिला है जो दुनिया में अब तक का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। भारत के ईवी सेक्टर के लिए यह गेमचेंजर माना जा रहा है। यह ना सिर्फ भारत की जरूरतों को पूरा कर सकता है बल्कि कई देशों को निर्यात भी किया जा सकता है।
राज्य सभा में सोमवार को खनिज ब्लॉक मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा खोजे गए लीथियम ब्लॉक को बिक्री के लिए रखा जाएगा। जम्मू-कश्मीर सरकार खनिज ब्लॉक की समग्र लाइसेंस (सीएल) के रूप में नीलामी करेगा। उसके बाद वित्तीय व्यवहार्यता निर्धारित की जाएगी।
जोशी ने कहा जीएसआई (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) ने फील्ड सीजन 2020-21 और 2021-22 के दौरान जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमना क्षेत्रों में जी3 चरण की परियोजना को अंजाम दिया और 59 लाख टन लीथियम के अनुमानित संसाधन (जी3) का अनुमान लगाया।
लीथियम एक अलौह धातु है और ईवी बैटरियों में प्रमुख घटकों में से एक है। इसका उपयोग रिचार्जेबल बैटरी बनाने के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है। भारते के ईवी सेक्टर को इससे काफी उम्मीदें हैं। इसके अलावा इसका उपयोग मोबाइल की बैटरी से लेकर इनवर्टर और सौर पैनल में भी किया जाता है। एयरक्राफ्ट से लेकर हाई-स्पीड ट्रेनों, थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शन और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी लीथियम का उपयोग होता है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने लीथियम के भंडार की जानकारी दी थी। भारत लीथियम का आयात ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली और चीन से करता है। फिलहाल लीथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में है। चिली में लगभग 93 लाख टन लीथियम मौजूद है और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन, अर्जेंटीना में 27 लाख टन और चीन में 20 लाख टन लीथियम का भंडार है।
आगर हम भारत में लीथियम भंडार की कीमत की बात करें, तो वर्तमान में एक टन लीथियम की कीमत लगभग 57.36 लाख रुपये है। ऐसे में भारत में मिले लीथियम की कुल कीमत करीब 3,384 अरब रुपये होगी।
लीथियम भंडार पर ईवी उद्योग की राय
जेएलएन फिनिक्स एनर्जी के सीईओ सुनील गांधी ने कहा था कि भारत वर्तमान में अपनी स्वदेशी लीथियम संपत्ति का लाभ नहीं उठा रहा है,फिर भी, सरकार ने इस बाजार के अवसर को निजी उद्योग के लिए खोला है। भारत सरकार ने एक योजना तैयार की है जिसमें वाणिज्यिक खनिकों को लीथियम का उत्पादन करने की अनुमति देने के लिए मौजूदा कानूनों में बदलाव शामिल हैं। साथ ही प्रशासन संशोधनों के लिए विधायिका के मौजूदा सत्र में सांसदों की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
बेरिलियम, लीथियम और ज़िरकोनियम सहित आठ खनिजों को उन खनिजों की सूची से हटाया जा सकता है जो वर्तमान में प्रस्तावित परिवर्तनों के तहत निजी क्षेत्र के उत्पादन को प्रतिबंधित करते हैं। योजना का उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण खनिज आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद करना है। यह आर एंड डी और अत्याधुनिक लीथियम खनन विधियों की तैनाती में व्यय को भी सक्षम करेगा।
भारत वर्तमान में अपनी सभी लीथियम आवश्यकताओं का आयात करता है। कंपनी "खनिज बिदेश इंडिया" का गठन अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में खानों के स्रोत और खरीद के लिए किया गया था। पूर्वानुमानों को ध्यान में रखते हुए लीथियम खपत वर्ष 2021 में 500,000 मीट्रिक टन लीथियम कार्बोनेट समतुल्य (एलसीई) से बढ़कर वर्ष 2030 में तीन से चार मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगी। हमें लगता हैं कि लीथियम क्षेत्र बहुत सारे सामानों के साथ विस्तारित लीथियम-आयन बैटरी उद्योग की आपूर्ति करने में सक्षम होगा।
डायरेक्ट लीथियम एक्सट्रैक्शन (डीएलई) और डायरेक्ट लीथियम टू मार्केट (डीएलपी) जिसका मतलब है लीथियम खनन के बाद उसे रिफाइन किया जाता है और फिर बाजार तक पहुंचाया जाता है। जब यह बाजार में पहुंच गया तो भविष्य में इसकी मांग भी बढ़ेगी और पारंपरिक लीथियम आपूर्ति का विस्तार भी होगा। अनुमानों के अनुसार वर्ष 2021 और 2030 के बीच यह 300 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि देखी जा सकती है ।
जबकि डीएलई और डीएलपी टेक्नोलॉजी अभी भी अपनी शुरूआत में हैं और उद्योग की मांग में वृद्धि और समय सीमा के कारण अस्थिरता के प्रति संवेदनशील हैं, उनमें आपूर्ति का विस्तार करने, उद्योग के पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन (ईएसजी) पदचिह्न को कम करने और कीमतों में कटौती करने की काफी संभावनाएं हैं।
लीथियम ईवी बैटरी की दक्षता में किस तरह से सुधार करेगा
अरंका के सीनियर मैनेजर - ग्रोथ एडवाइजर धीरेंद्र मिश्रा ने कहा था कि लीथियम आधुनिक बैटरी के लिए मांग में है और यह विद्युत ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में उपयोग किए जाने वाले दूसरे मेटेरियल से काफी ज्यादा बेहतर है, जो बैटरी की क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए, समान क्षमता होने पर लीथियम-आधारित बैटरी आकार में छोटी होती हैं। उनके पास उच्च ऊर्जा दक्षता, कम स्व-निर्वहन(लो सेल्फ- डिस्चार्ज) और बढ़े हुए तापमान के लिए अच्छा प्रतिरोध भी है।
ये विशेषताएं ईवी के स्थायित्व, रेंज और सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। लीथियम-आधारित बैटरियों ने ईवी की रेंज में काफी सुधार करने में मदद की है, जिससे उनके अपनाने में वृद्धि हुई है।
लीथियम-आधारित बैटरी के लिए टेक्नोलॉजी में विकास जैसे लीथियम-सल्फर, लीथियम-वायु, और लीथियम-धातु-आधारित बैटरी का व्यावसायीकरण, भविष्य में ईवी के स्थायित्व और सीमा को बढ़ाएगा।
लीथियम उपभोक्ताओं और उद्योग पर कैसा प्रभाव डालेगा
वर्तमान में रिचार्जेबल बैटरी स्मार्टफोन, लैपटॉप, कैमरा और ईवी जैसे अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रमुख कॉम्पोनेन्ट हैं। लीथियम एक महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट है जिसका उपयोग रिचार्जेबल बैटरी के निर्माण में किया जाता है। वर्तमान में भारत अपनी कुल लीथियम आवश्यकता का 70 प्रतिशत से ज्यादा अन्य देशों से आयात करता है। लीथियम की सीमित उपलब्धता ने देश में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन को प्रभावित किया है।
जम्मू-कश्मीर में लीथियम के बड़े भंडार की खोज से भारत को लीथियम की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कुल उत्पादन लागत को कम करने में मदद करेगा क्योंकि बैटरी कुल लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह ग्राहकों के लिए भारतीय ईवी को अधिक लागत-प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मदद करेगा।