व्यवसाय विचार

सरकार ने आईआईएम की स्वायत्तता खत्म करने के लिए नए नियम अधिसूचित किए

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Nov 14, 2023 - 2 min read
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‘जनहित’ से ‘लगातार अवज्ञा’ तक सरकार ने आईआईएम बोर्ड को भंग करने के लिए तीन आधारों की पहचान की है। राष्ट्रपति बोर्ड को भंग कर वहां किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को अंतरिम बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में नियुक्त कर सकते हैं।

भारत सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) के काम करने के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं। इस नए नियम के अनुसार, राष्ट्रपति अब आईआईएम के नए विजिटर यानी कुलाध्यक्ष होंगे। राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह बोर्ड ऑफ गर्वर्नर्स (गवर्नर मंडल) के चेयरपर्सन को नियुक्त कर सकें। निदेशक की नियुक्ति और उन्हें निष्कासित करने समेत कर्तव्यों का वहन करने में अक्षम बोर्ड को भंग करने का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास होगा। बीते 10 नवंबर 2023 को शिक्षा मंत्रालय ने संशोधित कानूनों के तहत ये नए नियम अधिसूचित किए हैं।

नियमों के अनुसार, इस उप-नियम के किसी भी खंड के अनुसार कुलाध्यक्ष चाहे तो निदेशक की सेवाओं को किसी भी वक्त निरस्त करने का निर्णय ले सकता है या निदेशक को किसी भी समय संस्थान के प्रति उनके कर्तव्यों से अलग किया जा सकता है। कुलाध्यक्ष, आदेश द्वारा बोर्ड को भंग कर सकता है और किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को अंतरिम बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में नियुक्त कर सकता है, जैसा भी मामला हो, छह महीने से अधिक की अवधि के लिए और उन्हें अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करने और कार्यों का निर्वहन करने का निर्देश दे सकता है।

इससे पहले बोर्ड के लिए प्रशासकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, विज्ञानियों, तकनीकी विशेषज्ञों और प्रबंधन विशेषज्ञों में से पांच विशेष व्यक्तियों का चुनाव सर्च-कम-सेलेक्शन कमिटी (खोज-संग-चुनाव समिति) करती थी। वर्ष 2018 के आईआईएम नियमों के अंतर्गत बोर्ड ऑफ गर्वर्नर्स (गवर्नर मंडल) के पास भी निदेशक को हटाने की शक्ति थी। हालांकि, इसमें कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों की सहमति होना अनिवार्य था। अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करने, नैतिक अधमता से जुड़े किसी भी मामले में या अपने वित्तीय या अन्य हितों को पूरा करने के लिए दोषी ठहराये जाने पर ऐसा कदम उठाया जा सकता था।

केंद्र सरकार ने आईआईएम के निदेशक पद पर नियुक्ति के नियमों में भी बदलाव किए हैं। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि इस पद के लिए केवल वे ही उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने किसी सम्मानित संस्थान से पीएचडी या इसके समकक्ष समेत बैचलर्स और मास्टर्स में प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की हो। इससे पहले आईआईएम में निदेशक पद हेतु आवेदन के लिए केवल किसी सम्मानित संस्थान से पीएचडी डिग्री या समकक्ष होना अनिवार्यता थी। पिछले दिनों आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा की नियुक्ति को लेकर हुए विवाद के बाद ये नए नियम बनाए गए। धीरज कुमार ने बैचलर डिग्री द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की है।

नए नियमों के अनुसार, कुलाध्यक्ष को आईआईएम के निदेशक की नियुक्ति का अंतिम निर्णय करने का अधिकार होगा। कुलाध्यक्ष बोर्ड द्वारा भेजे गए नामों में से किसी एक का चुनाव करके यह निर्णय करेगा। इस बीच अगर बोर्ड द्वारा भेजे गए नामों पर कुलाध्यक्ष संतुष्ट नहीं होगा तो वह इसे बोर्ड को पुनर्विचार के लिए भेज सकता है। इसके बाद पैनल को चयन समिति द्वारा चयनित तीन नए नाम कुलाध्यक्ष को भेजने होंगे। बता दें कि इससे पहले निदेशक की नियुक्ति के लिए बोर्ड अकेले ही पूरी तरह से जिम्मेदार था।

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