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- सरकार ने निर्यातकों और एमएसएमई के लिए ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म शुरू किया
सरकार ने एक नया "ट्रेड कनेक्ट" नामक ई-प्लेटफॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफॉर्म भारतीय निर्यातकों, छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) और उद्यमियों को विदेश में भारतीय मिशनों, निर्यात संवर्धन परिषदों, और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ जोड़ने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य इन सभी हितधारकों को एक साथ लाना और उनके बीच बेहतर संपर्क और सहयोग स्थापित करना है, ताकि व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके।
यह प्लेटफॉर्म दुनिया भर में होने वाली व्यापार गतिविधियों की जानकारी देगा। इसमें भारत के विभिन्न देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) से मिलने वाले फायदों की जानकारी भी शामिल होगी। इसके अलावा, यह मंच अन्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी जानकारी और डेटा भी उपलब्ध कराएगा, जिससे व्यापारी और उद्यमी अपने व्यापार को बेहतर ढंग से समझ सकें और उसका लाभ उठा सकें।
भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का विवरण इस प्रकार है:
1.नई विदेश व्यापार नीति 31 मार्च 2023 को शुरू की गई और 1 अप्रैल 2023 से लागू हुई।
2. सरकार ने भारतीय मुद्रा में प्री और पोस्ट शिपमेंट निर्यात क्रेडिट पर ब्याज समानीकरण योजना को 31 अगस्त 2024 तक बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि इस योजना के तहत निर्यातकों को मिलने वाली वित्तीय सहायता और सस्ते ऋण की सुविधा अब अगले साल तक उपलब्ध होगी। इसके लिए 2500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया है, ताकि निर्यातक इस योजना का लाभ उठा सकें और उनका व्यापार बढ़ सके।
3.निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान की गई। निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना (टीआईईएस) और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव्स (एमएआई) योजना।
4. श्रमोन्मुख क्षेत्र के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्रीय लेवी और करों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना 7 मार्च 2019 से लागू की गई है।
5.आरओडीटीईपी (RoDTEP) योजना 1 जनवरी 2021 से शुरू की गई है। इस योजना के तहत, निर्यातित उत्पादों पर लगने वाले शुल्क और करों में छूट दी जाती है, जिससे निर्यातकों को आर्थिक मदद मिलती है। 15 दिसंबर 2022 से, इस योजना में फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, और लौह व इस्पात जैसे उत्पादों को भी शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि अब इन क्षेत्रों के निर्यातकों को भी इस योजना के तहत लाभ मिलेगा।
16 जनवरी 2023 से, 432 टैरिफ लाइनों में विसंगतियों को ठीक किया गया है। इसका मतलब है कि इन टैरिफ लाइनों पर लागू होने वाली दरों में कुछ समस्याएं थीं, जिन्हें ठीक कर दिया गया है, और अब सही दरें लागू हो गई हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इन उत्पादों पर सही शुल्क और कर लगाए जा रहे हैं। आरओडीटीईपी वर्तमान में सेज इकाइयों/ईओयू और अग्रिम प्राधिकरण धारकों से निर्यात के लिए भी उपलब्ध है।
6. व्यापार को आसान बनाने और निर्यातकों को मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का अधिक लाभ उठाने में मदद करने के लिए एक सामान्य डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग निर्यातकों द्वारा उत्पत्ति प्रमाण पत्र (जो यह प्रमाणित करता है कि माल कहां से आया है) प्राप्त करने के लिए किया जाता है। अब इस प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाया जाएगा और इसे "ट्रेड कनेक्ट" ई-प्लेटफॉर्म में शामिल किया जाएगा, ताकि सभी सेवाएं एक ही जगह पर मिल सकें।
7. प्रत्येक जिले में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों की पहचान करके, इन उत्पादों के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करके और जिले में रोजगार पैदा करने के लिए स्थानीय निर्यातकों/निर्माताओं का समर्थन सहित निर्यात हब के रूप में जिलों की पहल शुरू की गई है।
8. भारत के व्यापार, पर्यटन, टेक्नॉलॉजी और निवेश लक्ष्यों को बढ़ावा देने की दिशा में विदेशों में भारतीय मिशनों की सक्रिय भूमिका बढ़ाई गई है।
9. सरकार विदेशों में वाणिज्यिक मिशनों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्डों, और उद्योग संघों के साथ मिलकर निर्यात प्रदर्शन की नियमित रूप से निगरानी करती है। इसका मतलब है कि वे देखते रहते हैं कि भारतीय उत्पादों का निर्यात कैसे हो रहा है। अगर कहीं कोई समस्या होती है, तो समय-समय पर सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं, ताकि निर्यात बेहतर हो सके और व्यापार में वृद्धि हो।
10. भारतीय निर्यात के लिए नए बाजार खोलने के लिए महत्वपूर्ण भागीदार देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।