पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों में भागीदारी बढ़कर 37 प्रतिशत हुई
विभिन्न योजनाओं के तहत बांटे गए महिला उद्यमियों को ऋण
महिला एमएसएमई पंजीकरण में सबसे आगे है बंगाल
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की ओर से की जा रही तमाम कवायद का परिणाम है कि सरकारी पोर्टल पर महिला उद्यमियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में यह जानकारी आंकड़ों के साथ एमएसएमई मंत्रालय में राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा ने साझा की। मंत्रालय के साथ पंजीकृत कुल एमएसएमई में महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाली छोटी-मझोली कंपनियों की हिस्सेदारी में उछाल आया है। उन्होंने बताया कि सरकार के उद्यम पोर्टल पर पंजीकरण में महिला एमएसएमई की हिस्सेदारी मौजूदा समय में बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई है।
भानु प्रताप वर्मा ने बताया कि एक अगस्त 2023 तक पंजीकृत कुल 2.10 करोड़ से अधिक इकाइयों में महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई की हिस्सेदारी 19.43 प्रतिशत थी। वर्तमान में यह बढ़कर सरकार के उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या 1.17 करोड़ यानी कि 37.13 प्रतिशत हो गई है। पंजीकरण संख्या में इस साल जनवरी में लॉन्च किए गए सरकार के उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (यूएपी) से पंजीकरण शामिल थे ताकि वस्तु एवं सेवा कर पंजीकरण के दायरे से बाहर सूक्ष्म उद्यमों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के लाभ के लिए मंत्रालय के साथ पंजीकरण करने में सक्षम बनाया जा सके।
महिला एमएसएमई पंजीकरण में अग्रणी राज्य
महिला एमएसएमई पंजीकरण में अग्रणी राज्यों की बात करें तो इसमें सबसे पहले तो (पश्चिम) बंगाल है, जहां से 18.13 लाख पंजीकृत इकाइयां हैं। इसके बाद महाराष्ट्र है, जहां 13.38 लाख इकाइयां हैं जो पंजीकृत हैं। अब बारी आती है तमिलनाडु की, जहां से 9.90 लाख महिला एमएसएमई का पंजीकरण हुआ है। बिहार की बात करें तो यहां से 8.82 लाख पंजीकरण हुए हैं। भानु प्रताप वर्मा ने अग्रणी राज्यों की जानकारी साझा करने के साथ ही बताया कि सितंबर 2015 और जून 2020 के बीच महिला एमएसएमई ने कुल यूएएम पंजीकरण में 15.67 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व किया है।
उन्होंने कहा कि महिला एमएसएमई के लिए उपलब्ध योजनाओं में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महिला कॉयर योजना, सीजीटीएमएसई के तहत महिला उद्यमियों के लिए ऋण की गारंटी कवरेज को 85 प्रतिशत तक बढ़ाना, केंद्रीय उद्यमों और मंत्रालयों व विभागों द्वारा अनिवार्य न्यूनतम तीन प्रतिशत वार्षिक खरीद शामिल है। अब योजनाओं के तहत कर्ज की बात करें तो इसमें मुद्रा योजना के तहत महिला उद्यमियों को 27.7 करोड़ से अधिक ऋण जारी किए गए। स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत महिला उद्यमियों को 33,000 करोड़ रुपये से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए और 1.45 लाख से अधिक महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई द्वारा सरकारी जनता के माध्यम से 15,922 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए।