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- सरकारी नीतियों की मदद से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बना: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश का निर्यात बढ़ रहा है और दुनिया भर के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था अपनी वृद्धि गति जारी रखेगी। उन्होंने लाल किला की प्राचीर से कहा, ‘‘मैं युवा शक्ति में विश्वास करता हूं, युवा शक्ति ही मेरी ताकत है... हमारी नीतियां युवा शक्ति को और ताकत दे रही हैं... विश्व के युवा भारत के युवाओं की ताकत देखकर चकित हो रहे हैं।’’ मोदी ने कहा कि युवाओं की ताकत ने भारत को ‘‘दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र’’ बनने में मदद की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया कह रही है कि भारत अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा, विश्व रेटिंग एजेंसियां भारत की प्रशंसा कर रही हैं और कोरोना के बाद नई विश्व व्यवस्था में भारतीयों की क्षमता को स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई थी, हमने विश्व के समक्ष प्रदर्शित किया कि समाधान केवल मानवीय आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करके ही पाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) की आवाज बन गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा है, जो इसे स्थिरता प्रदान कर रही है। सरकार ने इस साल 30 अप्रैल तक 98,119 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है। ये सभी ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना के तहत कर लाभ सहित प्रोत्साहन प्राप्त करने के पात्र हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि वर्तमान सरकार की नीतियां देश के युवाओं को हरसंभव सहायता प्रदान कर रही हैं और उनके सामर्थ्य ने भारत को विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में सहायता की है।
शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में भारत
स्टार्टअप की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवाओं ने देश को विश्व के शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में ला दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया के युवा इस विकास से अचंभित हैं, भारत के युवाओं की क्षमता देखकर आश्चर्यचकित हैं। आज का विश्व प्रौद्योगिकी से प्रेरित है और भारत के पास प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो प्रतिभा है, उसे देखते हुए हमें दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सबसे विकसित देशों के वैश्विक नेताओं ने डिजिटल इंडिया की सफलता को स्वीकार किया है, और इन पहलों के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं। स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम और क्रेडिट गारंटी स्कीम जैसी योजनाएं इन संस्थाओं को उनके व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों में मदद करती हैं। सरकार ने देश में नवाचार व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के इरादे से 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की थी।
भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया कह रही है कि भारत अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा, विश्व रेटिंग एजेंसियां भारत की प्रशंसा कर रही हैं और कोरोना के बाद नई विश्व व्यवस्था में भारतीयों की क्षमता को स्वीकार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई थी, हमने विश्व के समक्ष प्रदर्शित किया कि समाधान केवल मानवीय आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करके ही पाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) की आवाज बन गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा है, जो इसे स्थिरता प्रदान कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए "एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य" की अवधारणा को सामने रखा है और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। जब दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, तो हमने रास्ता दिखाया है और पर्यावरण के लिए जीवन शैली- मिशन लाइफ पहल की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने दुनिया के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया है और कई देश अब अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। हमने जैव विविधता के महत्व पर जोर दिया है और "बिग कैट एलायंस" की व्यवस्था को आगे बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2023 को 77वें स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को अपने संबोधन में कहा, "भारत ने हाल के वर्षों में नई रणनीतिक ताकत हासिल की है और आज हमारी सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं।" उन्होंने वर्तमान वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के अटूट संकल्प को दोहराते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने और उन्हें भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से सशक्त और युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए कई सैन्य सुधार किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश के लोग आज सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि आतंकवादी हमलों की संख्या में काफी कमी हुई है। उन्होंने कहा कि जब देश शांतिपूर्ण और सुरक्षित होता है तो विकास के नए लक्ष्य हासिल होते हैं। प्रधानमंत्री ने वन रैंक वन पेंशन योजना (ओआरओपी) का भी जिक्र किया, जो रक्षा पेंशनभोगियों की काफी समय से लंबित मांग थी, जिसे सरकार ने सत्ता में आते ही लागू किया था। उन्होंने कहा, “ओआरओपी हमारे देश के सैनिकों के सम्मान का विषय था। जब हम सत्ता में आये तो हमने इसे लागू किया। आज पूर्व-सैनिकों और उनके परिवारों तक 70,000 करोड़ रुपये पहुंचाए गए हैं।” प्रधानमंत्री ने सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों के जवानों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं, जो देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ इसके हितों की रक्षा करते हैं।
सीमावर्ती गांवों के लिए वायब्रंट विलेज कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने देश के सीमावर्ती गांवों के लिए वायब्रंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि पहले सीमावर्ती गांव को देश का अंतिम गांव कहा जाता था, लेकिन हमने उस सोच को बदला है। उन्होंने कहा कि वो देश का अंतिम गांव नहीं बल्कि सीमा पर नज़र आने वाला देश का पहला गांव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सूरज पूर्व में उगता है तो उस तरह के सीमावर्ती गांव में सूर्य की पहली किरण आती है और जब सूरज ढलता है तो इस तरफ के गांव को उसकी अंतिम किरण का लाभ मिलता है।
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सीमावर्ती गांवों के 600 प्रधान आज स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में विशेष मेहमान के रूप में इसका हिस्सा बनने आए हैं। उन्होंने कहा कि ये विेशेष अतिथि पहली बार नए संकल्प और सामर्थ्य के साथ इतनी दूर आए हैं।
जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 25,000 केंद्र करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार की 'जन औषधि केंद्रों' की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने की योजना है। उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों ने लोगों, विशेषकर मध्यम वर्ग को नई शक्ति प्रदान की है। यदि किसी को मधुमेह है, तो मासिक बिल 3000 रु. जमा हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ''जन औषधि केंद्रों के माध्यम से हम 100 रुपये कीमत वाली दवाओं को 10 से 15 रुपये में दे रहे हैं।" सरकार अगले महीने पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये की राशि के आवंटन के साथ विश्वकर्मा योजना शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार 'जन औषधि केंद्र' (दवा की रियायती दुकानों) की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने की दिशा में काम कर रही है।
नर्सों, डॉक्टरों और अन्य लोगों की सराहना की
नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में, देश भर से 50 नर्सों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ लाल किले की प्राचीर से समारोह में भाग लेने और देखने के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इन विशेष अतिथियों में सरपंचों, शिक्षकों, किसानों और मछुआरों से लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के 1800 विशेष अतिथि शामिल थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का भाग्य बदलने के प्रयासों के लिए नर्सों, डॉक्टरों और अन्य लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोविड ने हमें सिखाया है कि मानव केंद्रित दृष्टिकोण के बिना दुनिया का विकास संभव नहीं है। देश के व्यापक स्वास्थ्य कवरेज में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने आयुष्मान भारत में 70,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो बीपीएल परिवारों को 5 लाख रुपये की वार्षिक स्वास्थ्य गारंटी प्रदान करता है।
इस अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, उन्होंने 200 करोड़ से अधिक कोविड टीकाकरण की उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त करने में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं के समर्पण और लगातार प्रयासों के लिए उनके अनुकरणीय योगदान की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा, "कोविड के दौरान और उसके बाद भारत ने जो दुनिया की मदद की, उसने भारत को दुनिया के लिए एक मित्र के रूप में स्थापित किया है।"
एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य और एक भविष्य के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “जन औषधि केंद्रों ने 20,000 करोड़ रुपये की बचत करके देश के मध्यम वर्ग को नई ताकत दी है। उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि देश आने वाले दिनों में जन औषधि केंद्रों की मौजूदा संख्या 10000 से बढ़ाकर 25,000 केंद्र करने के लक्ष्य की दिशा में काम करने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सामाजिक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कोऑपरेटिव्स हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता को बल देने, आधुनिक बनाने और देश के कोने-कोने में लोकतंत्र की सबसे बड़ी इकाई को मज़बूत करने के लिए अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय देश में सहकारी संस्थाओं का जाल बिछा रहा है, जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति की सुनवाई हो, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो और वो राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने सहकार से समृद्धि का रास्ता अपनाया है।
सस्ती यूरिया उपलब्ध कराने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए यूरिया सब्सिडी के रूप में 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर 3,000 रुपये प्रति बोरी कीमत वाली यूरिया, किसानों को 300 रुपये प्रति बोरी की सस्ती कीमत पर दी जा रही है, सरकार ने यूरिया सब्सिडी के रूप में 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।'
प्रधानमंत्री ने लाल किले से दिए अपने संबोधन में कहा, ‘कुछ वैश्विक बाजारों में यूरिया की जो बोरी 3000 रुपये में मिलती है, वह किसानों के लिए 300 रुपये में उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार हमारे किसानों के लिए 10 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रही है।’
विश्वकर्मा जयन्ती पर विश्वकर्मा योजना लॉन्च
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले महीने में विश्वकर्मा जयन्ती पर विश्वकर्मा योजना लॉन्च की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह योजना परम्परागत कौशल्य वोले लोग अर्थात वह लोग जो औजार से और अपने हाथ से काम करने वाले वर्ग यानि जो कि ज्यादातर ओबीसी समुदाय से है। जैसे कि सुथार हों, सुनार हों, राजमिस्त्री हों, कपड़े धोने वाले काम करने वाले लोग हों, बाल काटने वाले भाई-बहन परिवार, ऐसे लोगों को एक नई ताकत देने का काम करेगी। इस योजना का आरंभ लगभग13-15 हजार करोड़ रुपये के बजट से किया जाएगा।
लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम दिव्यांगजनों के लिए एक सुगम भारत के निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पैरालिंपिक में भी हिन्दुस्तान का तिरंगा झंडा लहराने के लिए दिव्यांगजनों को सामर्थ्यवान बना रहे हैं। जिसके लिए खिलाडि़यों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जारही हैं। अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के पास डेमोग्राफी है, डेमोक्रेसी है, और डाइवर्सिटी है। उन्होंने कहा कि डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की ये त्रिवेणी भारत के हर सपने को साकार करने का सामर्थ्य रखती है।
डिजिटल रूप से सशक्त भारत के महत्व पर दिया बल
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत द्वारा हासिल की गई महत्वपूर्ण सफलताओं के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अविस्मरणीय अवसर पर इस अद्भुत यात्रा में गौरवान्वित राष्ट्र द्वारा प्राप्त की गई अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि किस तरह से पिछले एक दशक के दौरान तकनीकी परिदृश्य पूरी तरह से परिवर्तित हो चुका है। उन्होंने डिजिटल रूप से सशक्त भारत के महत्व पर भी बल दिया। नरेन्द्र मोदी ने भारत में डिजिटल नवाचार पर जोर दिया। उन्होंने भारत के डिजिटल परिदृश्य में आने वाले उल्लेखनीय परिवर्तनों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिजिटल इंडिया की सफलता पर भी प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि जी20 शिखर सम्मेलन के लिए उनकी बाली यात्रा के दौरान वैश्विक नेताओं ने उनसे डिजिटल इंडिया की सफलता की कहानी में आने वाली जटिलताओं के बारे में जानकारी ली थी। एक समाचार एजेंसी ने प्रधानमंत्री का उल्लेख करते हुए यह कहा था कि पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में विकसित देशों सहित हर कोई भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की सफलता के बारे में जानना चाहता था। मोदी ने कहा कि भारत ने जो कुछ भी किया है वह केवल मुंबई, दिल्ली और कोलकाता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी युवा विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के सबसे छोटे शहरों में भी और गांवों में भी, दृढ़ विश्वास का साहस निहित है।
नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा कि भारत आधुनिकीकरण की दिशा में अपनी अनेक विशेषताओं के साथ आगे बढ़ रहा है। देश आज नवीकरणीय ऊर्जा से लेकर हाइड्रोजन ऊर्जा तक का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां अंतरिक्ष में हमारी क्षमताऐं बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ गहरे समुद्र के अभियानों में भी हमें तेजी से सफलता मिल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से लेकर क्वांटम कंप्यूटर तक भारत लगातार आगे जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से लेकर गहरे समुद्री मिशन, वंदे भारत रेलगाड़ियां, इलेक्ट्रिक बसें, मेट्रो ट्रेन, गांवों को इंटरनेट और सेमीकंडक्टर निर्माण तक हम हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार जिस परियोजना का शिलान्यास करती है, उसका उद्घाटन भी करती है। हमारा लक्ष्य वृहद् और विस्तृत है।
अब तक की प्रगति:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 01 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य डिजिटल सेवाओं, डिजिटल पहुंच, डिजिटल समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण को सुनिश्चित करके भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और डिजिटल रूप से सशक्त समाज में परिवर्तित करना और डिजिटल विभाजन को पाटना था। कार्यक्रम का समन्वय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों और विभागों के साथ उनके संबंधित कार्य क्षेत्रों में किया जाता है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश में स्टार्ट-अप उद्योगों को सहायता प्रदान करने, सेमीकंडक्टर में निवेश आकर्षित करने और देश में सेमीकंडक्टर ईको-सिस्टम, क्वांटम कंप्यूटिंग, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि को मजबूत करने के लिए विशेष ध्यान दिया है।
देश में प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप-नवाचार इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने की पहल और उपाय:
I. उद्यमियों का प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन और विकास (टीआईडीई 2.0) 2000 से अधिक प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का सहयोग और पोषण कर रहा है और साथ ही नवाचार को बढ़ावा देने और आर्थिक धन बनाने के लिए चयनित 51 प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन केंद्रों की क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इस योजना के अंतर्गत, 51 इन्क्यूबेशन केंद्रों में 920 से अधिक स्टार्टअप शामिल किए गए हैं।
II. स्वास्थ्य देखभाल की नवोन्मेषी डिलीवरी के लिए बाज़ारों और संसाधनों तक सतत पहुंच समृद्धि योजना (एसएएमआरआईडीएच) संभावित उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप को बड़े पैमाने पर चुनने और प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान और आगामी प्रेरकों का सहयोग करती है। अब तक, स्वास्थ्य देखभाल की नवोन्मेषी डिलीवरी के लिए बाज़ारों और संसाधनों तक सतत पहुंच (एसएएमआरआईडीएच) योजना के अंतर्गत 14 राज्यों और 12 शहरों में 22 प्रेरकों का सहयोग किया गया है।
III. आत्मनिर्भरता लाने और नए तथा उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर कब्जा करने की क्षमता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय हित के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 42 उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) आरंभ किए गए हैं।
IV. इसके अलावा, पूरे भारत में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप अवसंरचना को आपस में जोड़ने के लिए एक नोडल इकाई 'इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योग्की मंत्रालय स्टार्ट-अप हब' (एमएसएच) की स्थापना इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योग्की मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र व्यापार विभाग(आईबीडी) के रूप में की गई है, जिसमें 3365 से अधिक स्टार्टअप, 482 इनक्यूबेटर, 424 परामर्शदाताओं का एकीकरण है, जिन्होंने विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 143 चुनौतियों का सफलतापूर्वक संचालन किया है, जो वर्तमान और गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन उत्पादों/सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
हाल ही में, सरकार ने दूसरी श्रेणी और तीसरी श्रेणी के शहरों में स्टार्टअप्स की खोज, समर्थन, विकास और सफल बनाने के लिए 5 वर्षों के लिए 490 करोड़ के बजट के साथ एक व्यापक कार्यक्रम 'जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप्स (जेनेसिस)' को स्वीकृति दे दी है।
बीपीओ प्रमोशन योजना
योजनाओं के अंतर्गत अर्थात उत्तर पूर्व बीपीओ प्रोत्साहन योजना (एनईबीपीएस) और भारत बीपीओ प्रोत्साहन योजना (आईबीपीएस), 246 इकाइयों ने देश के 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल करते हुए लगभग 100 छोटे शहरों/कस्बों में बीपीओ/आईटीईएस संचालन स्थापित किया है, जो 52,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। कोई नया आवेदन आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। हालांकि, वित्त पोषित परियोजनाओं के अंतर्गत प्रतिबद्ध दायित्व और पहले से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर किसी भी नई स्वीकृति का इन दूसरी श्रेणी और तीसरी श्रेणी के शहरों में सहयोग किया जाएगा।
सेमीकंडक्टर
भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले विनिर्माण इको-सिस्टम के विकास के लिए संशोधित कार्यक्रम:
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को व्यापक और टिकाऊ करने तथा देश में एक मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इको-सिस्टम के विकास को सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए संशोधित कार्यक्रम को स्वीकृति दी। कार्यक्रम का लक्ष्य उन कंपनियों को आकर्षक प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना है जो सिलिकॉन सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर, सेमीकंडक्टर पैकेजिंग और सेमीकंडक्टर डिजाइन में लगे हुए हैं।
भारत सरकार ने 14.06.2023 को भारत में 22,516 करोड़ रुपये (2.75 बिलियन डॉलर) के पूंजी निवेश के साथ सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिए माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। माइक्रोन की यह विनिर्माण सुविधा डीआरएएम, फ्लैश मेमोरी और सॉलिड-स्टेट डिवाइस का निर्माण करेगी।
बेंगलुरु में सहयोगात्मक इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए एप्लाइड मैटेरियल्स इंक 400 मिलियन डॉलर के नियोजित निवेश की घोषणा की है। शुरुआती 5 वर्षों के दौरान केंद्र 2 बिलियन डॉलर से अधिक राशि का समर्थन करेगा और लगभग ~500 उन्नत इंजीनियरिंग नौकरियों के अवसर सृजित करेगा।
चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम के अंतर्गत, चिपआईएन सेंटर के माध्यम से चिप डिजाइन और निर्माण सहायता के साथ-साथ विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता के लिए 103 संगठनों का चयन किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वीएलएसआई/चिप डिजाइन क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले बी.टेक, एमटेक और पीएचडी स्तर पर 85,000 जनशक्ति का सृजन होगा।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रतिभाओं के पूल के निर्माण की दिशा में एक कदम के रूप में अंडर ग्रेजुएट (यूजी), डिप्लोमा स्तर पर नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। डिप्लोमा और अंडर ग्रेजुएट (यूजी) स्तर पर ये पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को उद्योग के लिए तैयार करने के लिए समय के अंतराल को काफी कम कर देंगे।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) ने कुशल कार्यबल के विकास (विशिष्ट पाठ्यक्रमों/शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से), विशेष अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों, वित्त पोषण/अनुदान सहायता के लिए सहयोग को सक्षम करने के लिए पर्ड्यू विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सेमीकंडक्टर उपकरण निर्माता, लैम रिसर्च ने अगले 10 वर्षों में 60,000 कार्यबल को प्रशिक्षित करने की घोषणा की है। भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से अपने सेमीवर्स सॉल्यूशन वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से, भारत के सेमीकंडक्टर शिक्षा और कार्यबल विकास लक्ष्यों में तेजी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग की दिशा में एक कदम के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ), अमेरिका ने सेमीकंडक्टर, अगली पीढ़ी के संचार, साइबर सुरक्षा, स्थिरता और हरित प्रौद्योगिकियों और इंटेलिजेंट परिवहन प्रणाली जैसे विभिन्न अनुप्रयुक्त अनुसंधान क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं के साथ संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किया है।
क्वांटम कंप्यूटर अगली पीढ़ी के लिए कंप्यूटिंग के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर काम करते हुए, क्वांटम कंप्यूटर कंप्यूटिंग क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं और अभूतपूर्व कम्प्यूटेशनल शक्ति प्रदान करते हैं। सरकार क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार ने शोधकर्ताओं/विद्यार्थियों/व्यवसायियों के क्वांटम प्रोग्रामिंग में कौशल विकसित करने के लिए क्वांटम सिम्युलेटर (क्यूसिम) शुरू किया। इस विशिष्ट प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए परिष्कृत बुनियादी ढांचे के साथ क्वांटम टेक्नोलॉजीज में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किया गया है।
5जी और 6जी के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने 2015 में संचार के क्षेत्र में भारत में अनेक प्रथम पहल करते हुए राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों (विभिन्न आईआईटी और आईआईएससी) में 03 साल की अवधि के लिए 33 करोड़ रुपये के अनुसंधान अनुदान के साथ 5जी में अनुसंधान एवं विकास करने और भारतीय बाजार के लिए नेक्स्ट जेन सॉल्यूशन बनाने की पहल की थी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने ब्रॉडबैंड वायरलेस संचार क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान करने के उद्देश्य से 03 वर्षों की अवधि के लिए 95.81 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ जुलाई 2021 में “5जी और उससे आगे के लिए अगली पीढ़ी के वायरलेस अनुसंधान और मानकीकरण” परियोजना शुरू की है, जिससे 5जी और उससे आगे की तकनीकों का मानकीकरण हो सके। ऐसा देश में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों और सीईडब्ल्यूआईटी (वायरलेस टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा स्थापित आईआईटी मद्रास की गैर-लाभकारी स्वायत्त अनुसंधान सोसायटी), आईआईएससी बैंगलोर, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी कानपुर, आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी मद्रास जैसे संगठनों से उपलब्ध विशेषज्ञता का उपयोग करके किया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने अगस्त 2023 में 19.99 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक पूर्ण ओपन-सोर्स 5जी सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म (आईओएस-5जीएन) बनाने के लिए एक और परियोजना “एंड-टू-एंड 5जी नेटवर्क (आईओएस-5जीएन) के लिए भारतीय ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म” शुरू की है। 02 वर्ष की अवधि के लिए यह परियोजना आईआईएससी बैंगलोर, आईआईटी दिल्ली, सीडीएसी तिरुवनंतपुरम द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
नवंबर 2022 में 3 वर्षों की अवधि में 19.99 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 6जी एंड-टू-एंड संचार प्रणाली परियोजना आईआईटी हैदराबाद द्वारा कार्यान्वित की जा रही है: पेटेंट और अवधारणाओं के प्रमाण (पीओसी) के रूप में 6जी आईपी निर्माण पर जोर दिया गया है।
6जी: 03 वर्षों की अवधि में 29.97 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ नवंबर 2022 में इंटेलिजेंट रिफ्लेक्टिंग सर्फेस (आईआरएस) के साथ सब-टीएचजेड वायरलेस संचार परियोजना आईआईटी मद्रास और एसएएमईईआर कोलकाता द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इस परियोजना का फोकस 140 गीगाहर्ट्ज़ पर विभिन्न उपप्रणालियों को शामिल करते हुए एक पूरी तरह कार्यात्मक 6जी उच्च गति संचार लिंक विकसित करने और प्रदर्शित करने पर है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की अन्य प्रमुख पहल