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सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास में योगदान

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 17, 2018 - 2 min read
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"हर समय सिर्फ़ काम और काम अच्छा नहीं होता" ये लोकक्ति ही काफ़ी है। उपरोक्त बात को समझने के लिए। शारीरिक शिक्षा और शिक्षा छात्रों के सुधार के लिए एक-दूसरे के पूरक हैं। यह छात्र के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास में मदद करता है। नेतृत्व, टीम भावना, आज्ञाकारिता और अनुशासन जैसे विभिन्न कौशल और गुणों को काफी हद तक बढ़ाता है।

आज की शिक्षा प्रणाली छात्रों के मानसिक विकास के लिए तनावपूर्ण है, जिसमें शारीरिक गतिविधियों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया जाता है। नतीजा? स्नातकों और पेशेवरों के विकासशील समूहों में लोगों की काया कमजोर हो जाती हैं। पाठ्यक्रम में छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए क्रीड़ा, खेल और शारीरिक स्वास्थ्य शिक्षा शामिल होनी चाहिए।

बच्चों को सक्रिय और चुस्त बनाना:

इंटरनेट, कंप्यूटर और टेलीविजन का आविष्कार सभी की आसन्न जीवनशैली में योगदान दे रहा है। यह बच्चों में मधुमेह और दिल की समस्याओं जैसी विभिन्न बीमारियों पैदा कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, शारीरिक अभ्यास की कमी के कारण इस युग के बच्चों के लिए मोटापा एक बड़ी चुनौती बन रही है। इन का मुकाबला करने के लिए, शिक्षकों को खेल के लिए जुनून विकसित करना आवश्यक है, जो शारीरिक अभ्यास की एक निश्चित अवधि सुनिश्चित कर सकता है।

मानसिक क्षमताओं का विकास:

किसी भी खेल को खेलने के लिए बच्चों की  मानसिक शक्ति विकसित करना महत्वपूर्ण है। मैदान में खेल के दौरान एक बच्चे की समस्या सुलझाने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। दबाव को झेलने की क्षमता एक और कौशल है, जो छात्रों को खेल शिक्षा प्रदान करता है। न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि ये कौशल छात्र के समग्र व्यक्तित्व को विकसित करने में भी मदद करते हैं।

स्पोर्ट्सशिप भावना को विकसित करना:

स्पोर्ट्सशिप भावना निष्पक्ष और नैतिक होने का आचरण विकसित करता है, जीतने का दृष्टिकोण रखना सिखाती है और यहां तक कि विफलता को भी संभालती है। ऐसी मनोदृष्टि, एक व्यक्ति को लाइफ स्किल्स से लैस करने में और जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्यधिक आवश्यक है।

टीम बिल्डिंग शुरू करना:

खेल शिक्षा, छात्रों को टीम में काम करने में मदद करता है।  टीम बिल्डिंग द्वारा निर्मित प्रभाव अकेले काम करने से कहीं अधिक बड़ा है, इस भावना की समझ उत्पन्न करता है।  शिक्षकों को छात्रों को सिखाना चाहिए कि टीम सहयोग, सफलता की कुंजी है तथा व्यक्तिगत प्रतिभा के अलावा, सफलता के लिए एक टीम प्रयास भी आवश्यक है।

जुनूनों को पंख देना:

शिक्षा उद्योग के सुधार के साथ, बच्चों के सपने और लक्ष्य भी बदल रहे हैं। वे अक्सर एक अकेडमीशियन के बजाय एक खिलाड़ी बनना चाहते हैं। शिक्षकों को उनकी रूचि का सम्मान करना चाहिए और उनके वांछित लक्ष्य की दिशा में उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। उन्हें अपने जुनून की ओर प्रोत्साहित करना और उसे पेशे में बदलने की तरफ शिक्षा उद्योग को अधिक ध्यान देना चाहिए।

खेल न केवल ज़रूरी है, अपितु व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए भी अनिवार्य है। प्रसिद्ध कहानियां, “द बॅटल ऑफ वॉटरलू वाज़ वन ऑन द प्लेग्राउंड्स ऑफ ईटन,” शिक्षा में खेल के महत्व को सही ढंग से और उपयुक्त तरीके से बताती है।

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