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- सुरेश प्रभू ने बताया शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने का तरीका
शिक्षा व्यवसाय तेजी से स्टार्टअप और एडटेक के साथ बढ़ रहा है। हालांकि, भविष्य में तैयार कुशल छात्रों की मांग अभी भी बढ़ रही है।
मांगों को पूरा करने के लिए, शिक्षा समुदाय छात्रों और शिक्षा व्यवसायियों को विभिन्न कार्यक्रमों सहित, सिस्टम के भीतर और अधिक परिवर्तन लाने में बुद्धिमानी से निवेश करके और बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
छात्रों को भविष्य के लिए करें तैयार
केंद्रीय कॉमर्स, उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने उच्च शिक्षा की चुनौतियों को पहचानने और चौथी औद्योगिक क्रांति की आवश्यकताओं का जवाब देने के लिए शिक्षा समुदाय से आग्रह किया ताकि भविष्य के छात्र दुनिया का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।
सुरेश प्रभू ने कहा, 'यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि कैसे सीखना है, बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि कैसे नहीं सीखना है। दिमाग खुले रखने और निरंतर सीखने के प्रति दृष्टिकोण रखने से यह सब आ जाएगा।'
उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव के साथ, बाकि सब पुराना हो जाएगा, जहां ज्ञान पुराना होगा वहां बुद्धिमानी प्रबल होगी। शिक्षा वहीं बढ़ती है जहां नवाचार को दबाया नहीं जाता और फिर वह इस तरह से प्रतिक्रिया देगा जिससे समाज की मदद हो सके।
सीखने का भविष्य
भारत सरकार के एचआरडी मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने उन मौलिक सिद्धांतों को रेखांकित किया जहां भविष्य के विश्वविद्यालय टिके होंगे। छात्रों की रचनात्मकता, सहयोग, संचार और संबंधित मुद्दों के बारे में अवधारणाओं के बीच महत्वपूर्ण सोच क्षमताओं को बढ़ाएगी।
उन्होंने कहा कि भविष्य के छात्रों को सामाजिक समस्याओं के समाधान, विश्लेषण और समाधान के लिए महत्वपूर्ण सोच विकसित करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि रचनात्मकता बॉक्स से बाहर सोचने की कुंजी थी क्योंकि परंपरागत तरीकों से समस्याओं का सामना करना बहुत जटिल हो रहा था। छात्रों और अकादमी के बीच सहयोग नए ज्ञान और दो-तरफा संचार को बनाएगा और मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला की वैचारिक समझ विकसित करेगा। अकादमिक स्वतंत्रता और उदार शिक्षा के अनुसरण से यह सब जानने को मिलेगा ।
(फिक्की से इनपुट के साथ)