आज अपनी खुद की कार होना, कोई पहाड़ उठाने जैसा मुश्किल काम नहीं रहा है। प्री-ओन्ड कार उद्योग के उभर आने से एक अच्छी कार, भले वह सेकंड हैंड ही क्यों ना हो, खरीदना कठिन नहीं है। किसी जमाने में ऐश की चीज रही कार, आज एक आवश्यकता बन चुकी है। खर्च करने लायक कमाई के बढ़ जाने से लोग इस जरूरत पर खर्च करने के लिए तैयार हैं। हालांकि नई कारों की बढ़ती कीमतें और कार लोन्स पर बढ़ते ब्याज-दरों के कारण उपभोक्ता ब्रांड नई कार लें या ना लें, इस बारे में हिचकिचाते हैं। प्री-ओन्ड कार खरीदने के बारे में भी अनिश्चितता दिखाई देती है क्योंकि ये बाजार बहुत ही असंगठित है, लेकिन उद्योग में कुछ संगठित खिलाड़ियों के आने से और उनके द्वारा दिए गए आश्वासन के कारण, प्री-ओन्ड कार खरीदना अब एक अच्छा चुनाव बन गया है। प्री-ओन्ड कारों के बाजार में आए संगठित ब्रांड्स में महिंद्रा और मारूति का समावेश है। प्री-ओन्ड कारों की बढ़ती मांग को देखते हुए इन खिलाड़ियों ने फ्रैंचाइजी का रास्ता अपनाया है। विस्तार करते हुए इस बढ़िया अवसर को देश के हर कोने तक पहुंचाने का फ्रैंचाइजी बेहतरीन तरीका है। जैसा कि कारनेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर कहते हैं, “हम फ्रैंचाइजी ब्रांड पर जोर देना चाहते हैं, क्योंकि इससे हमारे नेटवर्क का अच्छा विस्तार होगा और हमें अपना ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी।” इस लेख में इस उभरते उद्योग के फ्रैंचाइजी अवसर और इस क्षेत्र के नामचीन खिलाडियों का जायज़ा लेंगे।
भारत में प्री-ओन्ड कारों का बाजार
भारत में प्री-ओन्ड कारों के बाजार में असंगठित व्यवसायियों का बोलबाला है और उसका सिर्फ 20% हिस्सा संगठित खिलाड़ियों के हाथ में है। प्री-ओन्ड कारों के बाजार का आकार नई कारों के जितना ही, यानी प्रति वर्ष 20 लाख कारें इतना है। बाजार अगले पांच वर्षों में हर वर्ष 20% की गति से बढने की उम्मीद है। महिंद्रा फर्स्ट चॉईस के उपाध्यक्ष यतीन चड्ढ़ा के मुताबिक, “उद्योग का वर्तमान आकार लगभग 2.2 मिलियन गाड़ियां प्रति वर्ष है, जो कि नई कार जितना ही है। फलती-फूलती अर्थव्यवस्था और लोगों की बढ़ती हुई आय के कारण, प्री-ओन्ड कार उद्योग तेज रफ्तार से बढ़ने वाला है।”
महिंद्रा फर्स्ट चॉईस, पॉप्युलर कार वर्ल्ड, मारूति ट्रू वैल्यू, कारनेशन और अन्य कई कंपनियों के बाजार में उतरने से ये क्षेत्र आक्रामक रूप से विस्तार करेगा, ऐसा दिखाई दे रहा है। इनमें से कुछ (महिंद्रा फर्स्ट चॉईस और पॉप्युलर कार वर्ल्ड) अपनी उपस्थिति को देशभर में बढाने के लिए फ्रैंचाइजी प्रारूप को पहले ही कामयाबी से अपना चुकी हैं, तो अन्य कुछ (मारुति ट्रू वैल्यू और कारनेशन) नजदीकी भविष्य में अपनी उपस्थिति पूरे देश में दर्ज करने के लिए फ्रैंचाइजिंग पर ध्यान केंद्रित करने वाली हैं। जैसे कि चड्ढ़ा कहते हैं, ”प्री-ओन्ड कारों के फलते-फूलते बाजार में प्रवेश करने के लिए फ्रैंचाइजिंग एक अच्छा जरिया है।”
प्री-ओन्ड कारों के बाजार में प्रवेश करना
इस क्षेत्र के ज्यादातर संगठित खिलाड़ी उपभोक्ताओं को बेहतर, विस्तृत विकल्प देते हुए पारदर्शिता, गुणवत्ता और विश्वास लाकर इस क्षेत्र को अधिक संगठित करने के लक्ष्य और दृष्टि से, प्री-ओन्ड कार के रीटेलिंग में उतरे हैं। इसमें जोड़ देते हुए चड्ढ़ा कहते हैं, “प्री-ओन्ड कार खरीद रहे ग्राहक को कारों के विकल्प नहीं दिए जाते थे, जो कारें उन्हें दिखाई जाती थी उनकी तकनीकी अवस्था को लेकर वे आश्वस्त नहीं रह पाते थे, वे पिछले मालिक की पृष्ठ्भूमि या कानूनी जानकारी नहीं पा सकते थे और और उन्हें संगठित, राष्ट्रीय स्तर के व्यवसायियों से व्यवहार करने का लाभ नहीं मिलता था। ये जो आवश्यकता-आधारित अंतर था, उसी को पूरा करने के लिए महिंद्रा फर्स्ट चॉईस की शुरुआत की गई।” जबकि मारुति ट्रू वैल्यू प्री-ओन्ड कारों के व्यवहारों में पारदर्शिता और ईमानदारी लाने के लिए अपनी विशेषज्ञता इस व्यवसाय में ला रही है। इससे उन्हें उनके ग्राहकों के साथ रिश्ता और भावनिक जुड़ाव बनाए रखने में मदद मिलती है।
फ्रैंचाइजी अवसर
विभिन्न व्यवसायियों की कोशिशों की वजह से ये क्षेत्र केवल फ्रैंचाइजर्स के लिए ही नहीं, बल्कि जो व्यवसायी इस उभरते क्षेत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनके लिए भी बहुत सारी संभावनाएं पेश करता है। चड्ढ़ा के अनुसार, “स्थानीय परिस्थितियों की उनकी जानकारी के कारण फ्रैंचाइजी हमें व्यक्तिगत सम्बंध बनाने, बिक्री बढ़ाने, लोगों का नियोजन करने और उसे कायम रखने में बहुत काम आते हैं।“ अगर आप भी इस आशादायक उद्योग में प्रवेश करने की सोच रहे हैं, तो प्री-ओन्ड कारों का व्यवसाय शुरु करने की दृष्टि से आपके लिए फ्रैंचाइजी बेहतरीन तरीका है। आपको आवश्यकता है, तो सिर्फ स्वस्थ आर्थिक पृष्ठभूमि की। आउटलेट जिस क्षेत्र में स्थित है, उसके अनुसार रुपए 20 लाख से 3 करोड़ रूपए तक निवेश की आवश्यकता होती है। महिंद्रा फर्स्ट चॉईस अपने फ्रैंचाइजी स्टोर के लिए 500 से 1,000 स्क्वे.फी. क्षेत्रफल और साथ में 15-20 कारें पार्क करने के लिए काफी जगह की उम्मीद रखता है, जबकि उसके सुपरस्टोर्स के लिए कंपनी रुपए 1 से 3 करोड़ रूपए के निवेश के साथ 25,000 से 40,000 स्क्वे. फी. क्षेत्र की आवश्यकता रखती है। हालांकि फ्रैंचाइजी चुनने के लिए हर कंपनी की पात्रता की कसौटी अलग-अलग होती है।
फ्रैंचाइजी के फायदे
अगर आप किसी सुस्थापित ब्रांड की पात्रता कसौटी में खरे उतरते हैं, तो आप कंपनी द्वारा तैयार की हुई प्रक्रियाओं के मुताबिक फ्रैंचाइजी स्टोर चलाने के लिए जरूरी सशक्त प्रशिक्षण संस्कृति और सहायता के लिए योग्य बन जाते हैं। नेटवर्क में एक नया फ्रैंचाइजी होने के नाते आपको ये चीजें मुहैया करवाई जाएंगी:
स्टोर का नक्शा, आंतरिक सज्जा, फर्नीचर, इत्यादि
फ्रैंचाइजी आउटलेट और डीलरशिप स्टाफ का प्रबंधन
सेकंड हैंड कारों की मांग/आपूर्ति की स्थिति समझना
कार के मूल्यांकन और खरीद-प्राप्ति की प्रक्रिया
प्राप्त की गई कारों के भुगतान की प्रक्रिया
कार के नवीनीकरण की प्रक्रिया
बेची गई कारों का मूल्य जमाने की प्रक्रिया
ग्राहकों के साथ बिक्री अनुबंध
कार के दस्तावेजों का हस्तांतरण, आदि
फ्रैंचाइजर इस बात के लिए कोशिश करते हैं कि उनके नए फ्रैंचाइजी अपना व्यवसाय शुरु करने से पहले व्यवसाय की कार्य-संस्कृति को अच्छी तरह समझ लें। इसीलिए वे फ्रैंचाइजी और उनके कर्मचारियों की कुशलताओं और ज्ञान को बहुत महत्व देते हैं। इसके अलावा, फ्रैंचाइजर उन्हें बाजार में आने वाले कार के नए-नए मॉडल्स के बारे में जानकारी देते रहते हैं।
इस तरह, सेकंड हैंड कारों की वारंटी और प्रमाण-पत्रों को लागू करने जैसे महत्वपूर्ण कदमों लेते हुए प्री-ओन्ड कारों का उद्योग फल-फूल रहा है। प्री-ओन्ड कारों का बहुत ही असंगठित क्षेत्र पारदर्शिता और विश्वसनीयता का नया रूप धारण कर रहा है।