व्यवसाय विचार

स्कूल व्यवसाय कैसे शुरु करें

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 15, 2018 - 4 min read
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शिक्षा क्षेत्र में व्यवसाय करने वालों के लिए यह अच्छी बात है कि उच्च गुणवत्ता के निजी स्कूलों के लिए मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन यह भी समझ लेना जरूरी है कि भारत में स्कूल शुरु करने की प्रक्रिया ‘दो दूनी चार’ जितनी आसान नहीं है...

भारत में 22 करोड़ से भी अधिक बच्चे स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। उससे भी बड़ी बात ये कि इसके बावजूद 14 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। एक आम सर्वेक्षण के अनुसार भारत को वर्तमान में 2,00,000 और स्कूलों की जरूरत है। सिर्फ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ही देश को लगभग 1,500 अतिरिक्त यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों की जरूरत है।

अगर आप शिक्षा के व्यवसाय में कुछ करने की सोच रहे हैं, तो ये बिलकुल सही समय है। स्कूलों के लिए जबरदस्त मांग होने के बावजूद उस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। इसीलिए निजी निवेशकों को सिर्फ आंकड़ों में इजाफा करने के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षा की कुल गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक बहुत बड़ा बाजार खुला पड़ा है।

शुरु करना

भारत में एक स्कूल शुरु करना कोई आसान बात नहीं है। एक तो, उसमें कई ‘क्या करें’ और ‘क्या नहीं’ शामिल हैं और उसकी वजह जाहिर है। किसी को भी निजी तौर पर स्कूल शुरु करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है और पंजीकृत सोसाइटी के द्वारा ही आप ये व्यवसाय शुरु कर सकते हैं। ऐसी संस्था को ‘दी सोसाइटीज एक्ट, 1860’ या राज्यों के ‘पब्लिक ट्रस्ट एक्ट’ के अनुसार ही बनाया जा सकता है। दूसरा रास्ता ये है कि कोई व्यक्ति निजी तौर पर ‘कंपनीज एक्ट 1956’ के अनुभाग 25 के अनुसार कंपनी स्थापित कर सकता है।

स्कूल ट्रस्ट या सोसाइटी स्थापन करते वक्त ‘संस्था के बहिर्नियम’ (मेमरैन्डम ऑफ एसोसिएशन) बनाना भी जरूरी है।

 

ये सारे एहतियात आपकी स्कूल एक लाभ-निरपेक्ष संस्था के रूप में स्थापित हो रही है, ये सुनिश्चित करने के लिए होते है।

इन सबके अलावा कुछ आवश्यक लाइसेंसेज होते हैं, जो संबंधित प्राधिकारी वर्ग से ली जानी चाहिए। अगर कोई ट्रस्ट या सोसाइटी स्थापना करने का निर्णय लेता है, तो समिति में कम से कम 5 से 6 सदस्य होने चाहिए, जिन्हें मिल कर प्रबंध निकाय कहा जाता है। निकाय को फिर अध्यक्ष, सचिव और सभाध्यक्ष चुनना होता है और औपचारिक रूप से घोषित करना पड़ता है, ताकि सोसाइटी में सभी लोगों को उस बात का पता चले।

अनुमतियां और लाइसेंस

स्कूल स्थापित करते वक्त ट्रस्ट या कंपनी को कई लाइसेंस लेने पड़ते हैं। इनमें जल और विद्युत उपयोग की अनुमतियां और खास कर जिस जमीन पर स्कूल की इमारत है, उसके लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) का समावेश है। एनओसी स्कूल की उस इलाके के मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों से नजदीकी और वहाँ नए स्कूल की जरूरत है या नहीं, यह ध्यान में रख कर दिया जाता है। प्रमाण-पत्र मिल जाने के तीन वर्ष पूरे होने से पहले स्कूल बांधना संस्था के लिए बंधनकारक है। यदि ऐसा ना हो, तो नए प्रमाण-पत्र के लिए फिर से आवेदन देना पड़ता है। ये ‘अनिवार्यता प्रमाणपत्र’ (EC) भी कहलाता है और राज्य का शिक्षा विभाग इसे जारी करता है। ऐसी जमीन आम तौर पर नीलामी के जरिए और अनुदानित मूल्य पर जारी की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि जमीन का इस्तेमाल शिक्षा देने के लिए होने वाला है और उस में से निजी फायदा कमाने का व्यवसायिक दृष्टिकोण नहीं होता है।

इसके अलावा, प्रबंध समिति का कोई सदस्य भी, जरूरी NOC के लिए आवेदन देकर, अपनी खुद की जमीन शैक्षिक उद्देश्य के लिए रूपांतरित कर सकता है।

अगर आप सिर्फ प्राथमिक विद्यालय शुरु करना चाहते हैं, तो आपको सिर्फ नगर निगम से ही अनुमति पाने की आवश्यकता होती है, लेकिन माध्यमिक (कक्षा 6 से 8) और उच्च माध्यमिक स्कूल (कक्षा 9-12) के लिए राज्य के शिक्षा विभाग से जरूरी इजाजत लेना पड़ती है।  ये तभी मिल पाती है, जब कोई स्कूल प्राथमिक विद्यालय के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है।

सम्बद्धता और अन्य औपचारिकताएं

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE), राज्य सरकार के विभाग और कौन्सिल फॉर दी इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) ने स्कूल शुरू करने के लिए कुछ खास आदेश बना रखे हैं, जिनका अनुपालन करना बंधनकारक है। हर स्कूल में पूरी तरह से कार्यरत और सुसज्जित क्रीडा व्यवस्था और खेल का मैदान होना जरूरी है।

सम्बद्धता पाने की प्रक्रिया एक सरल कदम दर कदम प्रक्रिया है और पारदर्शी है। सम्बद्धता पाने के लिए स्कूल प्रबंधन को परीक्षण सूची में दी गई चीजों का अनुपालन करना पड़ता है । स्कूल का परिचालन शुरु करने से पहले नीचे दी गई बातों को व्यवस्थित रूप से करना जरूरी है। जमीन की खरीदी और भवन के निर्माण के खर्चे का ब्यौरा, जल प्रमाणपत्र, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, समय-समय पर होने वाले लेखा परीक्षण के विवरण, प्रबंध निकाय तथा सदस्यों के बैंक विवरण, आदि का उनमें समावेश होता है।  

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