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- स्टार्टअप पहल के तहत विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत है सरकार: सोम प्रकाश
16 जनवरी 2016 को हुई थी स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत, लोकसभा में बोले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री
स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने और इन्हें आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने बनाई है नई कार्ययोजना
कार्ययोजना में प्रोत्साहन देने के लिए व्यवसायों के सरलीकरण से लेकर वित्त पोषण सहित अन्य 19 मदों को किया है शामिल
सरकार ने देश में बेहतरीन स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए योजनाओं और प्रोत्साहनों का खाका तैयार किया है। स्टार्टअप को बेहतर से बेहतर स्थिति में लाने के लिए जिस कार्य योजना को तैयार किया गया है, उसमें व्यवसायों के सरलीकरण से लेकर, शुरुआती दौर में उनकी हर संभव मदद, वित्त पोषण सहायता और अन्य प्रोत्साहन सहायता को शामिल किया गया है। इसके अलावा उद्योग-शिक्षा क्षेत्र भागीदारी और इनक्युबेशन जैसे क्षेत्रों में फैले 19 कार्य मदों को भी इसमें शामिल किया गया है। यह बात लोकसभा में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कही। उन्होंने कहा कि देश में मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम में नवोन्मेषण और निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की गई थी।
सोम प्रकाश ने बताया कि सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समय-समय पर कई कार्यक्रम लागू किए जाते हैं। इसी दिशा में निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप सरकार ने 31 अक्टूबर 2023 तक 1,14,902 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना के कार्य मदों को ध्यान में रखते हुए, सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत स्टार्टअप को उनके व्यवसाय चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता देने के लिए जिससे कि स्टार्टअप उस स्तर तक पहुंच सकें जहां वे निवेश जुटाने या ऋण लेने में सक्षम हों, प्रमुख योजनाओं जैसे स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) और स्टार्टअप्स की सहायता के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (सीजीएसएस) को लागू कर रही है।
स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत कार्यान्वित तीन प्रमुख स्कीमों को यहां जानें विस्तार से
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम को 945 करोड़ रुपये की राशि के साथ 2021-22 से आरंभ होने वाले 4 वर्ष की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है। इस स्कीम का उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना 1 अप्रैल 2021 से कार्यान्वित की गई है। एसआईएसएफएस के तहत विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी), एसआईएसएफएस के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए उत्तरदायी है। स्कीम के तहत ईएसी धन के आवंटन के लिए इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करता है। स्कीम के प्रावधानों के अनुसार, चयनित इनक्यूबेटर स्कीम दिशानिर्देशों में उल्लिखित मापदंडों के आधार पर स्टार्टअप्स का चयन करते हैं।
स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) स्कीम स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स स्कीम को जून 2016 में 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ अनुमोदित और आरंभ किया गया था, जिसमें कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग चक्र में योगदान दिया गया था जिससे कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को आवश्यक बढ़ावा दिया जा सके और घरेलू पूंजी तक पहुंच को सक्षम बनाए जा सके। यह स्कीम भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रचालित है। एफएफएस के तहत, यह स्कीम सीधे स्टार्टअप्स में निवेश नहीं करती है, बल्कि सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) को पूंजी प्रदान करती है, जिन्हें डॉटर फंड के रूप में जाना जाता है, जो बदले में इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड उपकरणों के माध्यम से बढ़ते भारतीय स्टार्टअप में धन निवेश करते हैं। सिडबी को उपयुक्त डॉटर फंडों के चयन और प्रतिबद्ध पूंजी के संवितरण की देखरेख के माध्यम से इस फंड के प्रचालन का अधिदेश दिया गया है। एफएफएस के तहत समर्थित एआईएफ को स्टार्टअप्स में एफएफएस के तहत प्रतिबद्ध राशि का कम से कम 2 गुना निवेश करना आवश्यक है।
स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (सीजीएसएस) सरकार ने सेबी के तहत पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और वेंचर डेट फंड्स (वीडीएफ) द्वारा डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को दिए गए ऋणों पर क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए स्टार्टअप हेतु क्रेडिट गारंटी स्क्रीम की स्थापना की है। सीजीएसएस का उद्देश्य पात्र उधारकर्ताओं अर्थात डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को वित्तपोषित करने के लिए सदस्य संस्थानों (एमआई) द्वारा दिए गए ऋणों के विरुद्ध एक तय सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करना है। सीजीएसएस का प्रचालन नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा किया जाता है।