वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और इस वृद्धि के साथ सोलर और विंड ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। आइए समझते हैं कि ये ऊर्जा स्रोत ईवी में कैसे योगदान कर रहे हैं।
1. हरित ऊर्जा का स्रोत : सौर और पवन ऊर्जा (सोलर और विंड) नवीकरणीय हैं, यानी ये ऐसे स्रोत हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। जब ईवी को इन स्रोतों से चार्ज किया जाता है, तो इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है। इसका मतलब है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित रख रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे हैं।
2. चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना : सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग करके चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की जा रही है। उदाहरण के लिए, कई शहरों में सौर पैनलों के साथ चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं, जो दिन के समय धूप का उपयोग कर बिजली उत्पन्न करते हैं। इसी तरह, पवन टरबाइन का उपयोग भी चार्जिंग स्टेशनों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। इससे इन स्टेशनों की ऊर्जा लागत में कमी आती है।
3. एनर्जी स्टोरेज: सौर और पवन ऊर्जा के साथ एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (जैसे बैटरी) का उपयोग किया जा रहा है, जिससे जरूरत के समय में ऊर्जा का उपयोग किया जा सके। चार्जिंग स्टेशन पर स्थापित बैटरियां अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहित करती हैं, जो बाद में ईवी चार्जिंग के लिए उपयोग की जाती हैं। इससे ऊर्जा का कुशल उपयोग होता है।
4. स्थायी विकास की दिशा में कदम: जब हम सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग करके ईवी को चार्ज करते हैं, तो हम स्थायी विकास की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हैं। यह न केवल ईवी उद्योग को बढ़ावा देता है, बल्कि ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी बदलाव लाता है, जिससे फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम होती है।
5. सरकारी नीतियाँ और योजनाएं: कई सरकारें सोलर और विंड एनर्जी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएँ बना रही हैं। ये योजनाएँ न केवल चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को बढ़ावा देती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि ईवी चार्जिंग के लिए हरित ऊर्जा उपलब्ध हो। पीएम सुरेखा जैसी योजनाएँ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
एनएसईएफआई के सीईओ सुब्रमण्यम पुलिपाका ने इस विषय पर बताया की ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर मुख्य रूप से ग्रिड-आधारित चार्जिंग पर निर्भर है। जैसे-जैसे हम अपनी बिजली मिश्रण में सौर और पवन ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाते हैं, हम ई-मोबिलिटी की पूरी मूल्य श्रृंखला को हरा-भरा बनाने की स्थिति में होंगे। एक संघ के रूप में, हम इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
हमने हौज़खास में दिल्ली का पहला सौर ऊर्जा संचालित ईवी चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया है, जो भारत और जर्मनी के सहयोग से समर्थित है। मुझे विश्वास है कि ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संचालित चार्जिंग स्टेशन और स्टोरेज के साथ ऑफ-ग्रिड सौर चार्जिंग स्टेशन, हमारे देश में एक स्थायी ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। दूसरी ओर मैं एक ऐसे भविष्य की भी कल्पना कर रहा हूं जहाँ ओपन एक्सेस और 24x7 बिजली के माध्यम से हमारे चार्जिंग स्टेशन पूरी तरह से हरित ऊर्जा से संचालित होंगे, जिससे हम चार्जिंग क्षेत्र में भी स्थिरता प्राप्त कर सकेंगे।
ईवी चार्जिंग में सोलर और विंड की मांग का प्रभाव
पुलिपाका ने कहा निश्चित रूप से मांग बढ़ेगी। ईवी चार्जिंग में एक विशेष बात यह है कि हम मांग का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते। मांग की प्रक्षेपण करना पूर्वानुमान और मॉडलिंग के लिहाज से एक चुनौती है। लेकिन जिस तरह भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है, उसी तरह सोलर और विंड एनर्जी की मांग भी बढ़ेगी। इसके साथ ही, जहाँ चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं, वहाँ सोलर एनर्जी के साथ जुड़े स्टोरेज की भी जरूरत बढ़ेगी। इससे चार्जिंग के लिए स्टोरेज की मांग भी बढ़ेगी। एक तरफ सोलर और विंड ऊर्जा की मांग भी बढ़ेगी और दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग भी बढ़ेगी। तो यह दोतरफा प्रक्रिया है।
हरित ऊर्जा की दिशा में कदम
हरित ऊर्जा पर पुलिपाका ने कहा पिछले दो वर्षों से हमने नीति ढांचे और नीति उपकरणों पर एक कार्य समूह का गठन किया है। जहाँ चार्जिंग स्टेशनों को 24x7 हरित ऊर्जा दी जानी चाहिए। हम पिछले दो वर्षों से नीतियों और नियमों की आवश्यकता पर एक मसौदा श्वेत पत्र (ड्राफ्ट वाइट पेपर) तैयार करने के लिए आंतरिक चर्चा कर रहे हैं। हमने पहले ही सिफारिशों का पहला सेट जमा कर दिया है। हम इस पर दोनों मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर, हम अपने सदस्यों के साथ पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। हमने हौजखास गांव में एक सौर ऊर्जा से चलने वाला ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाया है। यह इस साल 26 जून से चल रहा है। इससे हम यह जानना चाहते हैं कि हमने चार्जिंग के लिए हरित ऊर्जा के उपयोग को कैसे बढ़ाया है इसके अलावा, हम इस पर भी ध्यान दे रहे है, कि कैसे इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी अपनाया जाए, जहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर ज्यादा है। पीएम सुरेखा की प्रमुख योजना, भारत की सबसे महत्वाकांक्षी रूफटॉप योजना के तहत, हम यह भी देखेंगे कि हम कैसे छत पर चार्जिंग की व्यवस्था कर सकते हैं। हम इस पर आंतरिक चर्चा भी करेंगे। हम सरकार को अपनी सिफारिशें भी देंगे।
निष्कर्ष
सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग ईवी उद्योग में न केवल ऊर्जा का एक हरित स्रोत प्रदान करता है, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा, ऊर्जा लागत में कमी और स्थायी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जैसे-जैसे ईवी की मांग बढ़ती है, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जाएगी। ईवी और नवीकरणीय ऊर्जा के इस संगम से हमें एक स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है।